कई राज्यों में मनरेगा का सोशल ऑडिट नहीं हुआ : कैग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 1 मई 2016

कई राज्यों में मनरेगा का सोशल ऑडिट नहीं हुआ : कैग

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नयी दिल्ली, 01 मई, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा) में पारदर्शिता तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अनिवार्य सामाजिक लेखापरीक्षा (सोशल ऑडिट) का कार्य कई राज्यों में नहीं हुआ है जबकि कुछ ने यह प्रक्रिया पूरा करने का गलत दावा भी किया है। नियंत्रक एवं महा लेखापरीक्षक (कैग) की मनरेगा पर जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2014-15 के दौरान 25 राज्यों की दो लाख, 34 हजार 594 ग्राम पंचायतों में सामाजिक लेखापरीक्षा की जानी थी लेकिन केवल एक लाख 13 हजार 753 ग्राम पंचायतों ने यह कार्य किया गया। कुछ राज्यों ने सामाजिक लेखापरीक्षा के संबंध में गलत जानकारी भी दी है। कैग ने कहा है कि इन 25 राज्यों में से पांच राज्य छत्तीसगढ, कर्नाटक, मेघालय, मिजोरम एवं सिक्किम ने ग्राम पंचायत की सामाजिक लेखापरीक्षा कराने के लिए वार्षिक कैलेण्डर तैयार किया है जबकि 14 राज्यों ने कैलेण्डर बनाया ही नहीं है। जिन राज्यों ने यह कैलेण्डर नहीं बनाया उनमें आंध्र प्रदेश, असम, गुजरात, हरियाणा, जम्मूकश्मीर, झारखंड, अध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इसी तरह से छह राज्यों बिहार, गोआ, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, एवं त्रिपुरा ने इस संदर्भ में सूचना प्रस्तुत ही नहीं की है। 

कैलेण्डर में इस बात का विवरण होता है कि सामाजिक लेखापरीक्षा कब और किसकी मौजूदगी में हुई। इसकी एक प्रति जिला अधिकारी के कार्यालय को भेजी जाती है। सामाजिक लेखापरीक्षा का मकसद जवाबदेही को बढावा देना, लोगों को उनके अधिकारों तथा हक हकूब के बारे में जागरुक पैदा करना, अपनी शिकायतों तथा आवश्यकताओं को एक मंच पर पेश करने की सुविधा प्रदान करना तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकार सबकी भागीदारी से योजना को सुदृढरूप से संचालित करना है। इस लिहाज से इसे राज्य सरकारों के लिए अनिवार्य बनाया गया था। 

रिपोर्ट के अनुसार इस काम में सुचारु संचालन तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक लेखापरीक्षा इकाई तथ संसाधान कर्मी के रूप में एक स्वतंत्र संगठन के गठन का प्रावधान है। संगठन में विषय के विशेषज्ञ के साथ ही राज्य, जिला, ब्लॉक और ग्राम संसाधन कर्मी शामिल होता है। संगठन के सदस्य फील्ड में जाते हैं और लाभार्थियों से मिलकर स्थिति के बारे में जानकारी लेते हैं। कैग ने कहा है कि 2014 के दौरान अरुणाचल, उत्तराखंड, गोआ, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, झारखंड तथा केरल ने सामाजिक लेखापरीक्षा इकाई तथा संसाधन कर्मी संगठन का गठन ही नहीं किया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि राज्यों ने मंत्रालय द्वारा सामाजिक लेखापरीक्षा कराने में मदद के लिए शुरू की गयी परियोजनाओं का लाभ नहीं उठाया तथा सामाजिक लेखापरीक्षा करने में संसाधनों को मजबूत बनाने में विफल रहे हैं। 

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