दशरथ प्रसाद केशरी स्व0 दशरथ मांझी की तरह हैं। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 7 मई 2016

दशरथ प्रसाद केशरी स्व0 दशरथ मांझी की तरह हैं।


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पटना। स्वर्गीय बालदेव प्रसाद केशरी के पुत्र हैं दशरथ प्रसाद केशरी। रेलवे स्टेशन रोड, गुलजारबाग में स्थित नीम की भट्ठी, विश्वकर्मा मंदिर के पास रहते हैं। पटना जिले में एनटीसीपी,पटना के एक स्वयंसेवक हैं। इनकी विशेष इच्छा है कि टैम्बेको कन्ट्रौल प्रोग्राम।  जी हां, गया जिले के स्व0 दशरथ मांझी की तरह हैं। जो पत्नी प्रेम में छेनी-हथौड़ी के बल पर पहाड़ के सीने कोें काटकर सड़क निर्माण कर दिया। इसी तरह पटना जिले के दशरथ प्रसाद केशरी हैं। इनपर जुनून सवार है। साइकिल चढ़कर लोगों को तम्बाकू के जानलेवा हरकत की जानकारी देते रहते हैं। 

वृहस्पतिवार को सीएम नीतीश कुमार कंकड़बाग में स्थित जयप्रभा अस्पताल आये थे। जयप्रभा मेदांता अस्पताल का शिलान्यास हुआ। इस अवसर पर तम्बाकू के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से दशरथ प्रसाद केशरी ने आवेदन तैयार किया था। इसमें उल्लेख किये थे कि जिन्दगी चुना, तम्बाकू नहीं। नशामुक्त। सेपूर्ण पटना जिले में बढ़ती धूम्रपान एवं नशा संख्या पर रोक लगाने के लिए ग्रामीण स्तर पर साइकिल पर घूमघूम कर प्रचार-प्रसार तथा आमजन में तम्बाकू एवं शराब के गंभीर खतरे के प्रति जागरूकता फैलाना चाहते हैं। इससे ग्रामीण स्तर पर तम्बाकू एवं शराब के उपयोग में कमी आएगीं अभी इस यात्रा का व्यय मेरे द्वारा किया जा रहा है। परन्तु मेरी आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर है। अतः श्रीमान् से अनुरोध है कि इस प्रचार-प्रसार को और आगे बढ़ाने हेतु आर्थिक सहयोग प्रदान करने कृपा की जाये। 

आगे दशरथ प्रसाद केशरी कहते हैं कि 84 तरह का नशा है। इसमें पेय, दवा, सिरफ, गुटका, इंजेक्शन, भोजन,सेक्स आदि शामिल है। इसके बाद फाइल दिखाते हैं। अखबार में प्रकाशित खबर को जन्नत से रखे हैं। फाइल में से किये गये कार्य को गिनाते हैं। वर्ष  1990 में पटना -मोकामा शटल में आग लग गयी थी। कुम्हार के पास हमको पटना सिटी अनुमंडल पदाधिकारी अपने गाड़ी से ले गये। हमने अपने दुकान से पर्याप्त मारकीन जिसके साथ शवों को उठाया, फिर अनुमंडल पदाधिकारी ने हमको मारकीन का पैसा दिये। वर्ष 1991 में फतुहा क्षेत्र से एक अपहरण हुआ लड़का को हमने पकड़कर फतुहा थाना को दिया, फिर उसके बाद वरीय आरक्षी अधीक्षक हमको चार सौ रूपये का अवार्ड दिये। फिर उसके बाद सम्मानित पत्र भी दिया गया। वर्ष 1195 में अपनी साइकिल से दिल्ली तक ‘ हम दो हमारे दो’ का नारा लगाया। दिनांक 17 मार्च, 1996 को पूरे वैशाली जिले के क्षेत्र में परिवार नियोजन का ‘हम दो हमारे दो’ का प्रचार-प्रसार किया। दिनांक 19 सितम्बर, 2000 में सोनपुर मेला में ‘ हम दो हमारे दो’ का प्रचार-प्रसार किया। दिनांक 13 दिसम्बर, 2000 को अनुमंडल पदाधिकारी पटना सिटी की अनुमति से ईद एवं मुहर्रम, चालीसा,दशहरा,दीवाली के अवसर पर शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए हमने सहयोग प्रदान किया।15 से 19 जून, 2002 तक राष्ट्रीय परिवार कल्याण स्वास्थ्य मेला, फुलवारीशरीफ में अपनी साइकिल से परिवार नियोजन का प्रचार-प्रसार किया। बिहार पुलिस प्रशंसा पत्र दिनांक 18 नवम्बर, 2002 को दुर्गा पूजा एवं छठ पूजा के लिए पुलिस प्रशासन को सहयोग किया। वर्ष 2010  में हमको सूर्या ने सम्मानित किया। फिर उसके बाद हमने सोनपुर मेला में दो-दो बार वर्ष 2011 एवं 2012 में प्रसार-प्रसार किया। दिनांक 16 मई,2013 से खैनी, गुटखा नशा से मुक्त करन के लिए पूरे पटना शहर में प्रसार-प्रसार किया। हमने पुनपुन में स्वास्थ्य मेला में 7 जनवरी, 2015 को प्रचार-प्रसार में भाग लिया। हमें सम्मान पत्र नहीं दिया गया। 

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