- अनशन के 7 वें दिन भी जेएनयू प्रशासन का रवैया बेहद संवेदनहीन, अनशनकारियों की बिगड़ती हालत बेहद चिंताजनक
पटना 5 मई 2016, वाम दलों ने संयुक्त प्रेस बयान जारी कर कहा है कि जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार, पूर्व अध्यक्ष आशुतोष कुमार, पूर्व महासचिव चिंटू कुमारी सहित 19 छात्र नेताओं पर राजनीतिक दुर्भावना के तहत मोदी सरकार व संघ परिवार के इशारे पर जेएनयू प्रशासन ने कार्रवाई की है. यह पूरी तरह लोकतंत्र विरोधी व पक्षपातपूर्ण कार्रवाई है, जिसकी हम कड़ी भत्र्सना करते हैं. सीपीआई के राज्य सचिव सत्यनारायण सिंह, सीपीआई (एम) के राज्य सचिव अवधेश कुमार, सीपीआई (एमएल) के राज्य सचिव कुणाल, एसयूसीआई (सी) के राज्य कमिटी सदस्य अरूण कुमार, आरएसपी के महेश प्रसाद सिन्हा और एआईएफबी के अशोक प्रसाद ने संयुक्त प्रेस बयान जारी कर उच्चस्तरीय जांच समिति की इस अलोकतांत्रिक व पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ छात्रों के अनिश्चितकालीन अनशन के प्रति समर्थन व्यक्त किया है. वाम नेताओं ने कहा कि 9 फरवरी की घटना की आड़ में जेएनयूएसयू अध्यक्ष के अलावा जिन 19 लोगों पर निष्कासन व हर्जाना लगाने की कार्रवाई की गयी है, उनमें बिहार की महादलित परिवार से आने वाली छात्रा व आइसा नेता चिंटू कुमारी और सामाजिक तौर पर पिछड़ी पृष्ठभूमि से आने वाले आशुतोष कुमार भी शामिल हैं. इससे साफ जाहिर है कि केंद्र सरकार दलित व पिछड़ी जाति के छात्र-छात्राओं को अपना खास निशाना बना रही है. और ठीक हैदराबाद विश्वविद्यालय की तरह माहौल बनाना चाहती है, जिसमें घुटकर रोहित वेमुला आत्महत्या के लिए मजबूर हुए थे.
जेएनयू प्रशासन की इस एकपक्षीय कार्रवाई के खिलाफ 27 अप्रील की शाम से ही सभी छात्र नेता अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं. एक तरफ जहां अनशनकारी छात्रों को विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों व देश के विभिन्न हिस्सों में छात्रों का व्यापक समर्थन मिल रहा है, वहीं जेएनयू प्रशासन अनशनकारियों के प्रति अव्वल दर्जे का संवेदनहीन रूख अपनाये हुए है. इस भीषण गर्मी में अनशन पर बैठे छात्रों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है. कन्हैया कुमार अर्द्धचेतना की स्थिति में हाॅस्पीटल में भर्ती हैं, बावजूद जेएनयू प्रशासन अड़ियल रवैया अपनाये हुए है. यहां तक कि वह अनशन को ही अवैध बता रहा है.हकीकत में उच्चस्तरीय कमिटी का फैसला अवैध है. जब मामले की कोर्ट में सुनवाई हो रही है तो प्रशासन फैसला कैसे सुना सकता है? लेकिन जेएनयू प्रशासन सजा देने की ऐसी हड़बड़ी में हैं कि सारे नियम-कानून को ताक पर रख दिया है. छात्रों को अपना मंतव्य तक नहीं रखने दिया गया और एकतरफा फैसला सुनाया गया. वाम नेताओं ने मांग की है जेएनयू प्रशासन छात्रों पर से अनुशासनात्क कार्रवाई अविलंब वापस ले और उनका अनशन समाप्त कराये.

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