सुशील मिश्रा/कोलकाता, चुनाव आयोग के आदेश पर जब पहली बार राज्य के एक डीएम व तीन पुलस सुपर को चुनावी ड्यूटी से हटा दिया गया तब तृणमूल प्रमुख ममता बनजीर् खामोश रहीं। फिर जब आयोग ने एक ही दिन में राज्य के दो एसपी समेत 34 पुलिस अधिकारियों को चुनावी ड्यूटी से अलग कर दिया तो उन्होंने प्रतिक्रिया व्यक्त की अौर कहा कि जब एक पुलिस वाले को हटाया जाता है तो दूसरे एकजुट होते हैं। उऩका दावा था कि आयोग चाहे कितने भी अधिकारियों को हटाए, सभी उऩके अपने हैं तथा वे सरकार के प्रति डेडिकेटेड है। लेकिन चंडीपुर में आखिरी चरण के मतदान के पहले ममता बनजीर् ने जिस तरीके से पुलिस वालों को धमकी दी है, वे स्वयं हैरान हैं। ममता ने कहा है कि अगर 15 दिन के लिए अधिकार मिलता है तो कोई यह न सोचे कि उसे स्वणर् मुकुट मिलेगा। उसे इसका भोग करना ही होगा। उन्होंने कुछ पुलिस वालों को डरपोक तक कह डाला है। उऩका यह आरोप कि भाजपा ने केंद्रीय बल की मदद से वोट लूट की है, काफी मायने रखता है। विपक्ष ने ममता के इस बयान पर कडी प्रतिक्रिया देने के साथ चुटकी भी ली है कि क्या अब पुलिस वाले उनसे मुंह मोड रहे है। विपक्ष का आरोप है कि जिस पुलिस को तृणमूल ने दास के रूप में तब्दील कर दिया था, अगर अब वे आयोग की लाठी के सहारे खडे होने की सोच रहे हैं, तो क्या गलत है। माकपा, कांग्रेस व भाजपा ने ममता बनजीर् के बयान की कडी निंदा की है। इऩ सबके बीच एक सवाल खडा हो रहा है कि आखिर ममता के बौखलाहट का राज क्या है।
माकपा सांसद मो. सलीम ने कहा है कि तृणमूल सुप्रीमो को नतीजे की भनक लग गई है। पुलिस वालों ने अपनी ड्यूटी की जिससे तृणमूल के लोग वोट लूट नहीं सके। इससे ममता बनजीर् बौखला गईं हैं। अगर उन्हें मालूम है कि वे दो सौ सीट के साथ सत्ता में वापसी कर रहीं हैं तो उन्हें पुलिस वालों के खिलाफ इतना आक्रामक बयान नहीं देना चाहिए थे। सलीम का कहना है कि पुलिस द्वारा निरपेक्षता दिखाने का ही नतीजा है कि पांचवे चरण में मतदाताअों ने भारी संख्या में मताधिकार का प्रयोग किया। अौर इसी से दीदी घबडा गईं हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि ममता बनजीर् को सत्ता हाथ से जाता दिख रहा है। उन्होंने निकाय चुनाव में जो किया था, वह नहीं कर पाने से वे हतोत्साहित हैं। पहले आयोग को निशाना बनाने की रणनीति फेल होने पर अब उन्होंने राज्य के पुलिस बल पर हमला किया है। कल तो वे पुलिस वालों को अपना लोग मान रहीं थी। अब इनकी विदाई केवल कुछ समय की बात है। माकपा राज्य सचिव सूयर्कांत मिश्रा ने तो यहां तक निदेर्श दिया है कि विजय जुलूस में पाटीर् के लोग संयत आचरण करें तथा किसी भी तृणमूल कांग्रेस समथर्क को क्षति नहीं पहुंचाएं। वहीं, भाजपा ने वोट लूट के बयान पर कडी प्रतिक्रिया दी है। पाटीर् के प्रदेश उपाध्यक्ष जय प्रकाश मजुमदार ने तो कहा है कि ममता जनता की भीड से डर गईं हैं। उन्हें सत्ता गवांने का डर अभी से सताने लगा है। केंद्रीय बल ने लोगों को मताधिकार का रास्ता तैयार किया। आयोग को लोग इसके लिए धन्यवाद दे रहे हैं। यह दीदी को बदार्स्त नहीं हो रहा है। जिस पुलिस वाले को अब वे भोग भोगने की धमकी दे रहीं हैं, कल तक सब उनके अपने थे। अब अचानक क्या हुआ।
पुलिस महल में खलबली ः इस बीच मुख्यमंत्री के बयान के बाद पुलिस महकमे में खलबली है। लालबाजार सूत्रों का कहना है कि उन्होंने संविधऩ के तहत प्राप्त अधिकार का इस्तेमाल करने में मतदाताअों की मदद की। वदीर् पहनने के बाद पुलिस वाले किसी के नहीं होते। वे जनता के लिए होते हैं। एक सीनियर आईपीएस अधिकारी ने कहा कि हमने आयोग के आदेश के तहत काम किया। कौन क्या कहता है, फकर् नहीं पडता है। वैसे भी पुलिस वाले हमेशा ही तबादले के लिए तैयार रहते हैं। सही-गलत का फैसला जनता करती है। भोग भोगने की धमकी के बारे में अधिकारी ने हंसते हुए कहा कि यह सब सविर्स बूक में दजर् होता है। कतर्व्य से मुंह नहीं मोड सकते है। हम भी इंसान हैं।

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