नयी दिल्ली, 19 जून। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) मेें भारत को सदस्यता हासिल होने का विश्वास जताते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कहा कि चीन ने भारत की सदस्यता का विरोध नहीं किया है बल्कि उसने प्रक्रियागत सवालों को ही उठाया है। उन्होंने यह भी साफ किया कि भारत एनएसजी का सदस्य बनने के बाद इस समूह में पाकिस्तान की सदस्यता का विरोध नहीं करेगा। श्रीमती स्वराज ने यहां मोदी सरकार के दो साल पूरा होने के मौके पर कूटनीतिक उपलब्धियों को साझा करने के लिये आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीन ने भारत की सदस्यता का विरोध नहीं किया है। वह तो केवल दायरों का सवाल उठा रहा है। जहां तक चीन द्वारा पाकिस्तान की सदस्यता की मांग उठाये जाने का सवाल है तो भारत एनएसजी का सदस्य बनने के बाद पाकिस्तान को भी सदस्यता देने के किसी प्रस्ताव का विरोध नहीं करेगा। वह सिर्फ खुद को प्रक्रियाओं की सुनिश्चितता तक ही सीमित रखेगा। विदेश सचिव एस जयशंकर की हाल ही में हुई चीन यात्रा के दौरान चीनी नेतृत्व से हुई बातचीत के बारे में पूछे जाने पर श्रीमती स्वराज ने बताया कि चीन इस समय जिन प्रक्रियागत सवालों को उठा रहा है, उन्हें तो 2008 में ही भारत को रियायतों के माध्यम से हल कर लिया गया था। भारत ने चीन से कहा है कि उसे अब प्रक्रियागत सवाल उठाने की बजाय भारत के वादों की विश्वसनीयता को देखना चाहिये। भारत ने अपने वादों से कहीं अधिक बढ़कर प्रदर्शन किया है।
रविवार, 19 जून 2016
भारत को एनएसजी में चीन के समर्थन का भरोसा
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