मोदी ताशकंद रवाना, एनएसजी की सदस्यता के लिए जिनपिंग से करेंगे मुलाकात - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 23 जून 2016

मोदी ताशकंद रवाना, एनएसजी की सदस्यता के लिए जिनपिंग से करेंगे मुलाकात

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नयी दिल्ली, 23 जून, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए आज ताशकंद के लिये रवाना हो गये जहां अपराह्न में उनकी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय मुलाकात होगी जिसमें वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता के मुद्दे पर चीन को मनाने का प्रयास करेंगे। श्री मोदी आज पूर्वाह्न करीब सवा ग्यारह बजे ताशकंद के लिए रवाना हो गये। वह स्थानीय समयानुसार डेढ़ बजे वहां पहुंचेंगे। ताशकंद पहुंचने पर उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री शावकत मिरोमोनोविच मिरजियोव श्री मोदी का स्वागत करेंगे। श्री मोदी का वहां पहला आधिकारिक कार्यक्रम चीनी राष्ट्रपति से द्विपक्षीय मुलाकात है। दोनों नेता अपराह्न तीन बजे मुलाकात करेंगे जिसमें एनएसजी में भारत की सदस्यता प्रमुख मुद्दा होगा। श्री मोदी इसको लेकर चीन के विरोध को शांत करने और उसे समर्थन के लिये मनाने का प्रयास करेंगे। 

इसके बाद श्री मोदी उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति इस्लाम करीमोव से मुलाकात करेंगे और फिर एससीओ सम्मेलन के आधिकारिक स्वागत समारोह के लिए शाम को उज्बेकिस्तान पैलेस ऑफ इंटरनेशनल फोरम पहुंचेंगे जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम और रात्रिभोज का आयोजन किया जायेगा। कल एससीओ की शिखर बैठक होगी जिसमें भारत की सदस्यता की प्रक्रिया शुरु हो रही है। प्रधानमंत्री कल रात स्वदेश लौटने के पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से भी मिलेंगे। श्री मोदी ने रवाना होने के पहले अपने बयान में कहा कि भारत एससीओ का सदस्य बनकर खुश है और अच्छे परिणामों विशेषकर एससीओ के जरिए आर्थिक क्षेत्र में सहयोग को लेकर खासा उत्साहित है। श्री मोदी ने कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ संबंधों को काफी अहमियत देता है और वह इस क्षेत्र के साथ ना केवल आर्थिक बल्कि लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाना चाहता है। एससीओ शिखर बैठक में भारत संगठन की सदस्यता हासिल करने के लिये दायित्व संबंधी एक करार (मेमोरैण्डम ऑफ ऑब्लिगेशन) पर हस्ताक्षर करेगा जिसमें भारत इस संगठन में अब तक हुए सभी 34 समझौतों पर हस्ताक्षर करने पर सहमति प्रदान करेगा। बाद में एक साल के अंतराल में सभी 34 समझौतों पर दस्तखत किये जायेंगे। सूत्राें के अनुसार मुख्यत: सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर एससीओ में भारत की सदस्यता दीर्घकालिक हितों के अनुरूप होगी। एससीओ को एक ऊर्जा समूह के रूप में भी मान्यता दिये जाने का प्रस्ताव है। ऐसे में भारत की सदस्यता देशहित में काफी अहम होगी। सूत्रों ने बताया कि संगठन में भारत की हैसियत इस बार पर्यवेक्षक के बजाय ‘आगामी सदस्य’ की होगी लेकिन सदस्यता की औपचारिकता पूरी होने तक वह पर्यवेक्षक वाली दीर्घा में ही बैठेगा।

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