- सरकारी खर्चे पर भीड़ जुटाने की चल रही तैयारी, हमारे सवालों का जवाब नहीं दिया गया तो 11 जुलाई को 1 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर लेकर राज्यपाल और CM से मिलेंगे और विधानसभा का भी घेराव करेंगे

पटना (रजनीश के झा)। जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आज पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जदयू, भाजपा और राजद द्वारा जातीय जनगणना, दलित-महादलित राजनीति और भूमि सर्वेक्षण के मुद्दे पर जनता के साथ किए जा रहे छल का सच प्रेस के सामने रखा और इन सभी मुद्दों पर जन सुराज द्वारा सरकार से की गई मांगों के बारे में भी बताया। प्रशांत किशोर ने जाति जनगणना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी भी दल का जाति जनगणना करने का उद्देश्य समाज का विकास करना नहीं बल्कि सिर्फ अपनी राजनीति के लिए जातिगत उन्माद पैदा करना है। उन्होंने कहा कि जाति जनगणना के आंकड़े 7 नवंबर 2023 को विधानसभा के पटल पर रखे गए और नीतीश कुमार ने 22 नवंबर 2023 को विधानसभा में 5 बड़ी घोषणाएं की। जन सुराज का पहला सवाल है कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने की घोषणा का क्या हुआ। नीतीश कुमार बताएं कि केंद्र और राज्य में उनकी सरकार है तो आरक्षण की सीमा क्यों नहीं बढ़ाई गई? दूसरा सवाल यह है कि 22 नवंबर को की गई घोषणा का क्या हुआ कि 94 लाख परिवारों को रोजगार के लिए 2 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी? जन सुराज की जानकारी के मुताबिक अब तक किसी भी परिवार को एक रुपया भी नहीं दिया गया है। इसलिए नीतीश कुमार बताएं कि क्या यह भी नरेंद्र मोदी के हर खाते में 15 लाख के जुमले की तरह एक जुमला था। नरेंद्र मोदी के 24 अप्रैल को मधुबनी के दौरे के लिए सरकारी खर्चे पर भीड़ जुटाने की तैयारी चल रही है। तीसरा सवाल यह है कि 22 नवंबर को 40 लाख बेघर लोगों को घर के लिए 1 लाख 20 हजार रुपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की गई थी। सरकार को जवाब देना चाहिए कि अब तक किसको कितनी सहायता दी गई है। इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि वे जातीय जनगणना पर श्वेत पत्र पेश करें। प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार से सवाल किया कि 2006 में महादलित विकास मिशन की शुरुआत की गई थी और घोषणा की गई थी कि भूमिहीन दलित परिवारों को 3 डिसमिल जमीन दी जाएगी। लेकिन 2025 तक सिर्फ 2 लाख 34 हजार परिवारों को ही जमीन दी गई है। और उसमें भी देशपाल कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार 1 लाख 20 हजार परिवारों को जमीन तो मिल गई है लेकिन वे बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
प्रशांत किशोर ने भूमि सर्वे पर उठाए सवाल, पूछा - भूमि सर्वे के कारण हर घर में विवाद हो रहा है, बिहार में क्राइम रेट और भ्रष्टाचार का मुख्य कारण है जमीन सर्वे
प्रशांत किशोर ने भूमि सर्वेक्षण की हकीकत बताते हुए कहा कि 2013 में भूमि सर्वेक्षण शुरू हुआ था। लेकिन फरवरी 2025 तक सिर्फ 17 लाख 30 हजार जमीन का ही डिजिटलीकरण हो पाया है, जो कुल जमीन का सिर्फ 20 फीसदी है। जबकि बिहार के बाद भूमि सर्वेक्षण शुरू करने वाले आंध्र प्रदेश ने अब तक 80 फीसदी जमीन का डिजिटलीकरण कर लिया है। बिहार में भूमि सर्वेक्षण के नाम पर हर घर में लड़ाई हो रही है और CO के पद पर बने रहने के लिए 25 से 50 लाख की रिश्वत दी जा रही है। इन सभी मुद्दों की गंभीरता को देखते हुए जन सुराज ने तय किया है कि 11 मई 2025 से जन सुराज 40 हज़ार गांवों में इन मुद्दों पर बैठकें करेगा और हस्ताक्षर अभियान चलाएगा। 11 जुलाई को 1 करोड़ लोगों के हस्ताक्षर के साथ मुख्यमंत्री और राज्यपाल को ज्ञापन दिया जाएगा। और जन सुराज यहीं नहीं रुकेगा। जन सुराज ने तय किया है कि इन सभी मुद्दों पर सरकार की विफलता के विरोध में 17वीं विधानसभा के आखिरी सत्र में विधानसभा का घेराव भी करेगा। प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती, एन. पी मंडल, गजेन्द्र मांझी, अनिल आर्य, विनीता विजय, सरवर अली, रियाज अहमद, पूनम पासवान समेत अन्य नेता मौजूद थे।
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