- हरियाली, बर्फ की छटा और भक्ति में रचा-बस गया काशी का रोअनवा महावीर धाम
विशेष श्रृंगार में दर्शन का अद्वितीय अनुभव
सुबह ब्रह्ममुहूर्त से ही मंदिर में विशेष आरती और श्रृंगार आरंभ हो गया था। पुजारी दिलीप तिवारी के अनुसार, हनुमान जी का यह हिम श्रृंगार इस वर्ष की सबसे भव्य श्रृंखलाओं में एक था। फूलों, तुलसी की मालाओं और सफेद सजावट के माध्यम से पवनपुत्र को ‘हिमान्चल रूप’ में सजाया गया। यह श्रृंगार केवल धार्मिक रस्म नहीं, बल्कि भक्ति और कला का संगम था।
भक्तों ने हवन-पाठ में की सहभागिता
शाम 6 बजे से मंदिर प्रांगण में वैदिक मंत्रोच्चारों के साथ विशेष हवन का आयोजन हुआ। श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ किया। वातावरण पूरी तरह भक्ति रस में डूबा रहा। कई भक्तों ने तुलसी, गुलाब और गेंदा फूलों से बनी विशेष माला हनुमान जी को अर्पित की।
भंडारे में उमड़ा भक्तों का हुजूम
श्रृंगार के बाद विशाल भंडारे का आयोजन हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। मंदिर समिति द्वारा संचालित इस भंडारे में बच्चों से लेकर वृद्धजनों तक, हर वर्ग के भक्तों की बड़ी संख्या में उपस्थिति ने यह साबित कर दिया कि आज भी श्रद्धा से बड़ा कोई आयोजन नहीं।
’रोअनवा महावीर’ की लोकश्रद्धा
इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां विराजमान हनुमान जी को श्रद्धालु ‘रोअनवा महावीर’ कहते हैं। मान्यता है कि जो भक्त यहां आकर सच्चे मन से रोकर अपनी पीड़ा बताते हैं, उनके कष्ट हर लेते हैं केसरी नंदन। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां मात्र सवा पाव लड्डू और हनुमान चालीसा के पाठ से ही बजरंगबली प्रसन्न हो जाते हैं।
ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व
काशी की पंचकोशी यात्रा के दौरान यह मंदिर एक अनिवार्य पड़ाव माना जाता रहा है। पुराने दिनों में मंदिर के पीछे स्थित अखाड़े से कई नामचीन पहलवान निकले हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर काशी का गौरव बढ़ाया। आज भी स्थानीय विद्यार्थी, व्यापारी और संगीत साधक अपनी दिनचर्या की शुरुआत ‘रोअनवा महावीर’ को प्रणाम कर करते हैं।

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