छतीसगढ़ में सिस्टरों की जमानत पर रिहाई के बाद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 7 अगस्त 2025

छतीसगढ़ में सिस्टरों की जमानत पर रिहाई के बाद

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रायपुर. छत्तीसगढ़ में 'जबरन धर्मांतरण' और 'मानव तस्करी' के आरोप में गिरफ्तार दो ननों, प्रीति मेरी और वंदना फ्रांसिस को शनिवार को एनआईए कोर्ट ने जमानत दे दी. दोनों नन असिसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैकुलेट (एएसएमआई) कॉन्ग्रेगेशन से हैं, जिसका मुख्यालय केरल के अलप्पुझा जिले के चेरथला में है. आइये इनके बारे में कुछ जानकारियां उपलब्ध हैं उससे इनके काम तथा जीवन के बारे में कुछ जानते हैं. प्रीति मैरी केरल के एर्नाकुलम जिले के एलावूर से हैं. प्रीति मेरी ने कम उम्र में ही नन बनने का फैसला किया था. अपने सात भाई-बहनों के परिवार में सबसे बड़ी प्रीति ने 20 साल की उम्र में ही नन बनने का निर्णय लिया था. उनके भाई एम. बैजू ने कहा कि प्रीति को गरीबों की मदद करने का जुनून था. "वह जब भी घर आती थीं, छत्तीसगढ़ के गरीबों के लिये भोजन, कपड़े और दवाइयाँ पैक कर ले जाती थीं," बैजू ने कहा. एक प्रशिक्षित नर्स होने के नाते, प्रीति प्रार्थना और उपचार को समान रूप से महत्व देती थीं.


वहीं, 56 वर्षीय वंदना फ्रांसिस केरल के कन्नूर जिले के उदयगिरी गाँव की रहने वाली हैं. वह छत्तीसगढ़ में एक फार्मेसी में काम करती थीं. दोनों ननों के भाई, बैजू और जेम्स, उनके गिरफ्तारी के बाद से छत्तीसगढ़ में डेरा डाले हुए थे. असिसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैकुलेट की मदर सुपीरियर इसाबेल फ्रांसिस ने कहा, "हमारा मिशन 75 साल पहले कुष्ठ रोगियों के उपचार से शुरू हुआ था. बाद में हमने सामान्य चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में काम शुरू किया. हम छत्तीसगढ़ में मानसिक रूप से अक्षम बच्चों के लिए स्कूल और स्वास्थ्य क्लीनिक चलाते हैं. हमें कभी भी जबरन धर्मांतरण जैसे आरोपों का सामना नहीं करना पड़ा." प्रीति और वंदना, दोनों अपनी 50 की उम्र में हैं और पिछले 30 सालों से चर्च के लिए काम कर रही हैं. इसाबेल ने बताया कि उनकी गिरफ्तारी के बाद कॉन्वेंट की अन्य ननें चिंतित हैं और कुछ ननें अब कानून सीख रही हैं ताकि उसे "बनावटी आरोपों" का सामना किया जा सके.

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