इस विशाल सागर में अनगिनत लहरें हैं| प्रत्येक लहर दूसरी लहर से भिन्न है
और प्रत्येक लहर का प्रत्यक्षीकरण अलग रूप में किया जाता है| लेकिन सभी
मात्र पानी है और विशाल समुद्र से अलग नहीं है| इससे पता चलता है कि इस
सृष्टि में जितने भी असंख्य जीव है यद्यपि वे एक दूसरे से अलग दिखाई देते है पर वास्तव में सभी उस सर्वशक्तिमान के सागर के अंश हैं और आपस में समान हैं|
(स्वामी शिवानन्द )
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