पटना, 2 मई, विगत 30 अप्रैल और 1 मई को पटना में जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने अनेक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। 30 अप्रैल को पटना हवाई अड्डे से निकल कर वह सीधे शहीदे आजम भगत सिंह,करगिल स्मारक पीरअली, महात्मा गांध्ी, जय प्रकाष नारायण, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, डा॰ भीमराव अम्बेडकर, 42 के शहीदों का षहीद स्मारक, बटुकेष्वर दत्त, जननायक कर्पूरी ठाकुर और बिहार में छात्रासंघ के संस्थापक महासचिव स्व0 कामरेड चन्द्रषेखर सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के उपरांत प्रेस वार्ता की और संध्या समय मुख्यमंत्राी नीतीष कुमार समेत उन नेताओं से षिष्टाचार मुलाकात की जिन्हांेने उनके नेतृत्व में जेएनयू छात्रा आंदोलन को समर्थन दिया।
इसी क्रम में वह राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद से भी मिले। ई.टी.वी. ने उक्त मुलाकात को विवादास्पद बनाने के उद्देष्य से कन्हैया कुमार की तस्वीर को किसी कथित षराब मापिफया के साथ दिखाते हुए मनगढं़त कहानी बनाई कि उसी ने उनके कार्यक्रमों को प्रायोजित किया यह आरोप सरासर गलत, भ्रामक और दुर्भावना से प्रेरित है जिसके पीछे भाजपा- संघ परिवार की घिनौनी साजिष छिपी हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि इलेक्ट्र्रोनिक मीडिया चैनलों में इस बात की होड़ मची हुई है कि भाजपा-आएसएस की गोद में बैठकर कौन कितना उछल-कूद सकता है, कौन कितना अध्कि चहेता बन सकता है। लालू प्रसाद के यहां कौन कौन से लोग पहले से मौजूद थे और क्या कर रहे थे इसका कन्हैया कुमार की मुलाकात से कोई लेना-देना नहीं है। परंतु ई.टी.वी. ने जिस प्रकार दिनभर बार बार एक ही क्लिपिंग दिखाकर जो कृत्य किया वह लांछित करने की साजिष के सिवा कुछ नहीं है, और इस प्रकार वह चरित्राहनन व मानहानि का मामला बनता है।
उक्त आषय की जानकारी देते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने कहा कि उन्हें इस बात की जानकारी मिली है कि केन्द्र सरकार के एक मंत्राी, भाजपा के एक पूर्व अध्यक्ष और आरएसएस के सूत्राधरों के इषारे पर सोची समझी रणनीति के तहत यह सब कुछ किया गया और आगे भी ऐसा ही करने की योजना उनके पास तैयार है। कौन नहीं जानता कि षराब मापिफया, भू-मापिफया, षिक्षा मापिफया, जमाखोरों, सट्टेबाजों, आर्थिक अपराध्यिों की राजनैतिक पार्टी भाजपा ही है, और इसलिए उसे अथवा उसके इषारे पर ई.टी.वी जैसे न्यूज चैनलों को कन्हैया कुमार पर मिथ्या आरोप मढ़ने का कोई नैतिक अध्किार नहीं है। वास्तव में यह भाजपा के पफासीवादी तौर तरीकों का ही एक नमूना है।

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