नयी दिल्ली 06 मई, सरकार ने आज दो टूक शब्दों में स्पष्ट किया कि वह देश के किसी भी केन्द्रीय विश्वविद्यालय में छात्रों के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई के मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी क्योंकि यह विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता का मामला है। मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कई विपक्षी सदस्यों की इस मांग को खारिज कर दिया कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय , हैदराबाद विश्वविद्यालय तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रों के खिलाफ की गयी अनुशासनात्मक कार्रवाई के मामले में सरकार हस्तक्षेप कर इस मुद्दे को सुलझाये। श्रीमती ईरानी ने कांग्रेस के आनंद भास्कर रापोलु द्वारा इन विश्वविद्यालय के छात्राें को मिले दंड को माफ करने के अनुरोध पर कहा कि वह संविधान के नियमों और कानूनों से बंधी हैं और विश्वविद्यालयों की स्वायत्ता की पक्षधर हैं। वैसे भी विश्वविद्यालय ऐसे मामलों में निर्णय लेने में सक्षम हैं । उन्होंने कहा कि वह इस तरह के मामलो में हस्तक्षेप कर विवादों का पिटारा नहीं खोलना चाहती। अगर किसी कानून का उल्लंघन हुआ है तो इस मामले काे विजिटर (राष्ट्रपति)के पास भेजे जाने का प्रावधान है। गौरतलब है कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा और जनता दल यू के शरद यादव ने आज शून्यकाल में भी जेएनयू के आमरण अनशन कर रहे छात्रों के मामले को सुलझाने के लिए सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
आईआईटी में संस्कृत पढाये जाने संबंधी विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए श्रीमती ईरानी ने कहा कि इन संस्थानों में संस्कृत का कोई खौफ (फोबिया)नहीं फैलाया जा रहा है बल्कि उन्हें संस्कृत भाषा में जो वैज्ञानिक ज्ञान है उसका फायदा उठाने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि दुनिया को कैलकुलस की जानकारी 16 वीं सदी में मिली जबकि भारत में इसका उल्लेख 14 वीं सदी में ही संस्कृत ज्यामिति की पुस्तक “सुलभ सूत्र ” में मिलता है। पाठ्यक्रम का भगवाकरण किये जाने के आरोपों के जवाब में उन्होंने कहा कि देश में कहीं भी केन्द्र सरकार ने पाठ्यक्रमों को नहीं बदला है क्योंकि यह राज्य सरकारों द्वारा तय किया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के पाठ्यक्रम में भी कोई बदलाव नहीं किया है और 2005 में पाठ्यक्रम के बारे में जो फ्रेमवर्क बना था अभी तक उसे ही अपनाया जा रहा है। केन्द्रीय शैक्षणिक संस्थाओं में वर्षों से खाली पडे पदों को भरने में हो रहे विलंब के मामले में उन्होंने कहा कि ये नियुक्तियां विश्वविद्यालय खुद करते हैं और इसके लिए राष्ट्रपति का प्रतिनिधि और मंत्रालय के प्रतिनिधियों के चयन का काम लंबे समय से नहीं हो पाया था लेकिन उनकी सरकार ने 10 प्रतिनिधियों का एक पैनल तैयार कर विश्वविद्यालयों को भेज दिया है और वे इनमें सेे किसी भी सदस्य को बुलाने के लिए स्वतंत्र हैं।
श्रीमती ईरानी ने 2009 से पहले पीएचडी करने वाले छात्रों को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) से मुक्त करने की जानकारी देते हुए सदन को बताया कि इन छात्रों के साथ सरासर अन्याय हुआ था क्योंकि केवल 2006 से 2009 तक के पीएचडी धारकों को ही नियुक्ति की पात्रता से वंचित रखा गया था । उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने यह निर्णय लिया था और इसके लिए कोई तर्क भी नहीं दिया था। मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की नियुक्ति और प्रोन्नति के मामले में एपीआई स्कोर प्रणाली को समाप्त कर केवल शिक्षण योग्यता को ही आधार बनाया जायेगा और इस संबंध में जल्दी ही अधिसूचना जारी की जायेगी। चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों द्वारा देश के सभी शिक्षा बोर्डों के नतीजे एक साथ घोषित किये जाने की मांग के जवाब में श्रीमती ईरानी ने कहा कि बोर्ड परीक्षा का आयोजन राज्य सरकार करती हैं इसलिए वह इस संबंध में कोई निर्णय तो नहीं ले सकती लेकिन उन्होंने यह व्यवस्था जरूर कर दी है कि सभी शिक्षा बोर्डों के परीक्षा फल 31 मई तक आ जायें। सर्व शिक्षा अभियान के तहत स्कूली बच्चों को दिये जाने वाले मिड डे मिल के वर्करों का मेहनताना बढाये जाने और रसोईघरों के निर्माण के बारे में सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 47 हजार वर्करों को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत लाया गया है और दस लाख रसोई घर बनाने के लक्ष्य में से 7 लाख बनाये जा चुके हैं और एक लाख फिलहाल बन रहे हैं इस तरह जल्द ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया जायेगा। उन्होंने यह भी कहा कि मिड डे मिल के खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और पाैष्टिकता का भी ख्याल रखा जा रहा है और इस संबंध में एम्स के एक डाक्टर की समिति की रिपोर्ट भी आ गयी है ।
उन्हाेंने कहा कि विज्ञान , इंजीनयरिंग , अर्थशास्त्र और कृषि जैसे विषयों की पढाई 22 भाषाओं में उपलब्ध कराने के लिए बहुत जल्द ही ‘ भारतवाणी’योजना लागू की जायेगी और अगले साल इसे बढाकर देश की 100 भाषाओं में कर दिया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि महंगी पुस्तकों से छात्रों पर पड़ रहे बोझ को कम करने के लिए 10 भाषाओं मे एक पोर्टल और मोबाइल एप शुरू किया जा रहा है । श्रीमती ईरानी ने बताया कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बढाने के लिए शुरू किये गये ज्ञान नेटवर्क के तहत अब तक 400 से विदेशी शिक्षक देश में आकर छात्रों को पढा चुके हैं और अगले साल इन शिक्षकों की संख्या 700 से 1000 तक होने की संभावना है। उन्होंने यह भी बताया कि केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा हिन्दी और 30 आदिवासी भाषाओं के अलग अलग शब्दकोश तैयार किये जा रहे हैं।

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