- जेएनयू के छात्रों पर की गयी कार्रवाई वापस की जाए, हमें और रोहित वेमुला नहीं चाहिए.
- जेएनयू में चल रहे छात्र आंदोलन के समर्थन में आइसा-इनौस द्वारा दिए जा रहे दो दिवसीय अनशन को संबोधित किया माले महासचिव ने.
- डाॅ. पीएनपीपाल, प्रो. भारती एस कुमार आदि ने भी किया संबोधित
- हिरावल व कोरस की टीम ने प्रस्तुत किया सांस्कृतिक आयोजन
पटना 2 मई 2016 , केंद्र की मोदी सरकार ने देश के विश्वविद्यालयों के खिलाफ एकतरफा युद्ध छेड़ दिया है. पहले हैदराबाद विश्वविद्यालय में दलित शोध छात्रों को निशाना बनाया गया और इस बार जेएनयू उनके निशाने पर है. पहले जेएनयू के छात्र नेताओं पर राजद्रोह का फर्जी मुकदमा लाद दिया गया और उन्हें देशद्रोही कहकर उत्पीडि़त किया गया. अब जेएनयू प्रशासन ने मोदी सरकार के इशारे पर 20 छात्र नेताओं को दंडित करने का फैसला किया है. इसके खिलाफ जेएनयू में पिछले 27 अप्रैल से छात्रों का अनिश्चितकालीन अनशन चल रहा है. इसके समर्थन में आइसा व इनौस द्वारा पूरे देश में 2-3 मई को दो दिवसीय अनशन का कार्यक्रम लिया गया है. यह स्वागतयोग्य है. उक्त बातें माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने की.
आइसा-इनौस के अनशन को संबोधित करते हुए माले महासचिव ने कहा कि हमने देखा कि कैसे हैदराबाद विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार के मंत्रियों ने रोहित वेमुला केा आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया. आज वे जेनएयू में महादलित परिवार से आने वाली आइसा नेत्री चिंटू कुमारी, कमजोर सामाजिक पृष्ठभूमि से आने वाले बाढ़ के ही आशुतोष कुमार और रामा नागा व अनंत प्रकाश नारायण जैसे दलित छात्र नेताओं को अपना निशाना बना रही है. जिन 20 छात्रों के खिलाफ जेएनयू प्रशासन ने कार्रवाई का फैसला किया है, उनमें अधिकांश दलित, पिछड़े व अल्पसंख्यक पृष्ठभूमि के हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि मोदी सरकार तथाकथित देशभक्ति की आड़ में दलित छात्र-छात्राओं को अपना निशाना बना रही है. लेकिन देश के छात्र-युवा समुदाय ने इस सरकार को साफ कह दिया है कि हम अब कैंपसों केा कत्लगाह नहीं बनने देंगे और अब कोई दूसरा रोहित वेमुला पैदा नहीं होने देंगे.
उन्होंने कहा कि हमारी हमारी पार्टी हैदराबाद और जेएनयू के छात्र आंदोलन का भरपूर समर्थन करती है. इस छात्र-युवा उभार ने मोदी सरकार के असली चरित्र को बेनकाब किया है. इस उभार को व्यापक पैमाने पर ग्रामीण गरीबों, खासकर दलित छात्र-युवाओं तक विस्तार देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसी बुनियाद पर खड़े होकर सच्चे जनवादी, धर्मनिरपेक्ष और आंदोलनकारी ताकतों की एकता के बल पर सांप्रदायिक ताकतों को मुकम्मल तौर पर हराया जा सकता है. उन्होंने आम लोगों से भी जेएनयू में चल रहे छात्र आंदोलन के पक्ष में एकजुटता जाहिर करने की अपील की.
उन्होंने कहा कि भाजपा से लड़ने का नीतीश-लालू का दावा चाहे जितना हो, लेकिन हकीकत यह है कि बिहार में भी संघ परिवार द्वारा गरीबों के खिलाफ जो संगठित हमले चल रहे हैं, उसे रोक पाने में सरकार पूरी तरह से अक्षम साबित हुई है. यहां तक कि जिस जेएनयू आंदोलन पर नीतीश व लालू इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं, जब रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या और जेएनयू पर संघी हमले के खिलाफ माले विधायकों ने विधानसभा से निंदा प्रस्ताव लाने की मांग की, तो जदयू-राजद भाग खड़े हुए. मुजफ्फरपुर में भी ‘मैं जेएनयू बोल रहा हूं’ कार्यक्रम में प्रशासन की भूमिका निंदनीय थी.
उन्होंने कहा कि आइसा नेता व जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष काॅ. चंद्रशेखर के नेतृत्व में जेएनयू के छात्रों ने सामाजिक तौर पर पिछड़े व पिछड़े इलाकों से आने वाले छात्रों के लिए विशेष अधिकार हासिल किए थे. आज उस अधिकार पर भी जेएनयू प्रशासन हमला कर रहा है. यह बेहद शर्मनाक है. सभा को पटना के जाने माने चिकित्सक डाॅ. पीएनपी पाल और प्रो. भारती एस कुमार ने भी संबोधित किया. हिरावल व कोरस की टीम ने सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किये. इसके पूर्व भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. अमर ने आइसा-इनौस नेताओं को माला पहनाकर अनशन पर बैठाया. अनशन पर बैठने वाले नेताओं में आइसा के संतोष आर्या, कुमार अमित, रिंचू कुमार और इनौस के मनीष कुमार सिंह, अजय कुमार शामिल हैं. जबकि इस मौके पर इनौस नेता नवीन कुमार, आइसा नेता तारिक अनवर सहित कई लोग उपस्थित थे.

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