पटना,06 मई, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव और कई घोटालों की जननी कांग्रेस का जब से साथ हुआ है तब से बिहार में न केवल भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई ठप पड़ गयी है बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तो भ्रष्टाचार पर बोलना भी बंद कर दिया है। श्री मोदी ने यहां कहा कि श्री यादव और कांग्रेस के साथ का ही असर है कि श्री कुमार के..सात निश्चय..से भ्रष्टाचार विरोधी अभियान गायब है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बतायें कि पिछले तीन वर्षों में बिहार में क्या एक भी भ्रष्टाचार के आरोपी की सम्पत्ति जब्त हुई है और क्या किसी भ्रष्ट व्यक्ति की जब्त जमीन पर या भवन में कोई स्कूल खुला है । भाजपा नेता ने कहा कि श्री कुमार बतायें कि रंगे हाथ पकड़े गए रिश्वतखोर और आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में कितने लोग नौकरी से बर्खास्त किए गए हैं, ट्रैप के मामले जो 2011 में 73 थे, अब घट कर 35-40 क्यों हो गए हैं और क्या भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई को सुस्त करने के लिए ही निगरानी ब्यूरो और भ्रष्टाचार विरोधी अन्य संस्थाओं को पंगु नहीं बना दिया गया है ।
श्री मोदी ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 और विशेष न्यायालय अधिनियम, 2009 (भ्रष्टाचारियों की सम्पति जब्त करने के लिए) के तहत पटना और मुजफ्फरपुर में अलग-अलग स्थापित विशेष न्यायालयों में दो वर्षों से न्यायाधीश नहीं हैं। इसी तरह निगरानी ब्यूरो में महानिरीक्षक का पद रिक्त है तथा पुलिस उपाधीक्षक के स्वीकृत 31 पदों में मात्र आठ पर ही अधिकारी तैनात हैं। भाजपा नेता ने कहा कि ट्रैप मामलों की सुनवाई के लिए गठित 10 में से सात अदालतों में न्यायाधीश नहीं है, फलतः 2006 से लेकर अब तक के 650 से ज्यादा मामले लम्बित हो गये हैं। ठीक से पैरवी नहीं होने के कारण ही रिश्वतखोरी और आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में अधिकतर आरोपित बरी हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बतायें कि जब अधिकारी और न्यायाधीश ही नहीं हैं तो फिर भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई और मुकदमों की सुनवाई कैसे होगी। क्या यह भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के सरकार के दावों की पोल नहीं खोल रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें