सर्वदलीय बैठक में महबूब आलम ने उठाया सभी प्रवासियों की घर वापसी का मुद्दा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 6 मई 2020

सर्वदलीय बैठक में महबूब आलम ने उठाया सभी प्रवासियों की घर वापसी का मुद्दा

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पटना (आर्यावर्त संवाददाता) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा 5 मई की शाम में आहूत सर्वदलीय बैठक में भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने सभी प्रवासियों की घर वापसी के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया. उन्होंने कहा कि सरकार केवल उन्हीं मजदूरों को आने की इजाजत दे रही है, जो अचानक हुए लाॅकडाउन के कारण फंस गए थे. जो मजदूर पहले से कहीं रह रहे हैं, सरकार उन्हें क्यों नहीं लाना चाहती है! जबकि फैक्टरियां बंद हो चुकी हैं और वे भुखमरी के कगार पर पहंुच चुके हैं. उनके पास रोजगार के कोई साधन नहीं रह गए. आगे कहा कि जो भी मजदूर लौट रहे हैं, सरकार के दावे के विपरीत उनसे न केवल भाड़ा बल्कि अतिरिक्त पैसा वसूला जा रहा है. यह अव्वल दर्जे का मानवता विरोधी कदम है. किराया देने की सरकार की घोषणा का कोई आधिकारिक नोटिफिकेशन नहीं है. बिहार सरकार क्वारंटाइन के बाद पैसा देने के बात कह रही है! इससे मजदूरों की समस्याओं का कोई हल नहीं निकलने वाला. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि सभी प्रवासी मजदूरों की लौटने की गारंटी पीएम केयर फंड की राशि से की जाए, लाॅकडाउन में गुजारा भत्ता के लिए प्रत्येक मजदूर को 10 हजार रुपया मिले, उनके लिए काम की गारंटी की जाए, मृतक मजदूरों को 20 लाख रुपए का मुआवजा मिले और कार्ड व बिना कार्ड अर्थात सभी जरूरतमंदों को 3 महीने का राशन मिले. उन्होंने आगे कहा कि भाजपा शासित प्रदेशों में बिहारी प्रवासी मजदूरों को कोरोना बम कहा जा रहा है. पहले कोरोना के नाम पर मुस्लिमों को टारगेट किया गया, अब प्रवासी मजदूरों को टारगेट किया जा रहा है. कर्नाटक की भाजपा सरकार एक तरफ जहां प्रवासी मजदूरों के खिलाफ जहर फैला रही है, वहीं बिल्डरों के दबाव में उसने प्रवासी मजदूरों को भेजने से इंकार कर दिया है. यह भाजपा का घोर मजदूर विरोधी और कारपोरेटपरस्त चरित्र नहीं तो और क्या है! कहा यह बिहार का अपमान है. आज भाजपा शासित गुजरात सहित अन्य राज्यों में प्रवासी मजदूरों पर हमले हो रहे हैं. पुलिसिया कहर ढाया जा रहा है. बिहार सरकार को इस मामले में तत्काल केंद्र व संबंधित राज्य सरकार से बात करनी चाहिए और इसपर रोक लगनी चाहिए. महबूब आलम ने क्वारंटाइन सेंटरों की खराब हालत के भी सवाल उठाए. कहा कि खराब व्यवस्था के कारण लोग क्वारंटाइन में रहना नहीं चाह रहे. सरकार को इन तमाम संेटरों की हालत पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और तत्काल सुधार लाना चाहिए. उन्होंने विपक्षी पार्टियों, सामाजिक-मजदूर संगठनों से नियमित बातचीत करने पर जोर दिया. कहा कि कोरोना समय में हम सब मिलकर ही आगे बढ़ सकते हैं. ग्रामीण इलाकों में मनरेगा व अन्य गतिविधियों की शुरूआत कर देनी चाहिए. यह भी कहा कि प्रशासन इस संकट के दौर में दमन अभियान न चलाए. उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि कई जगह पुलिस दमन व गरीबों पर बर्बर किस्म के हमले की खबरें मिली हैं. ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए. लाॅकडाउन की ओट में सामंती दबंगई  व अपराध में वृद्धि चिंतनीय है. सरकार को चाहिए कि वह आ रहे सभी सुझावों पर गंभीरता से विचार करे.

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