पूर्णिया : मखाना क्षेत्र विस्तार योजना : लक्ष्य 100 एकड़, - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 6 मई 2020

पूर्णिया : मखाना क्षेत्र विस्तार योजना : लक्ष्य 100 एकड़,

केनगर में ही पूरा हुआ 40 फीसदी लक्ष्य, किसानों में हर्ष
  • - उद्यान निदेशालय पटना के निर्देश पर मखाना क्षेत्र विस्तार योजना के तहत पूर्णिया में वर्ष 2020-21 के लिए 100 एकड़ खेत में मखाने की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया
  • - केनगर में 40 किसानों को एक एक एकड़ खेत में मखाने की खेती करने के लिए प्रति किसान 6408 रूपए बतौर अनुदान राशि दी गई
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कुमार गौरव । पूर्णिया : जिले में मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है। उद्यान निदेशालय पटना के निर्देश पर मखाना क्षेत्र विस्तार योजना के तहत पूर्णिया में वर्ष 2020-21 के लिए 100 एकड़ खेत में मखाने की खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। जिसमें सिर्फ केनगर प्रखंड में करीब 40 किसानों को एक एक एकड़ खेत में मखाने की खेती करने के लिए प्रति किसान 6408 रूपए बतौर अनुदान राशि भी दी गई। ताकि वे इस राशि से मखाने की बीज की खरीदारी कर सके। बता दें कि जिले के केनगर प्रखंड में मखाने की खेती बड़े पैमाने पर होती है। जिस कारण उद्यान निदेशालय द्वारा तय किए गए 100 एकड़ खेत में मखाने की खेती के लक्ष्य के सापेक्ष में सिर्फ केनगर प्रखंड में 40 एकड़ में मखाने की खेती के लिए अनुदान राशि वितरित की गई। जबकि शेष 60 एकड़ के लिए जिले के अन्य 13 प्रखंडों में अनुदान राशि का वितरण किया गया है। विभागीय मदद से केनगर प्रखंड के किसानों में हर्ष का माहौल है और कोरोना के कहर के बावजूद अबकी बार समय पर मखाने का बीजारोपण होने के कारण पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

...प्रगति रिपोर्ट के आधार पर किया गया किसानों का चयन :
makhana-farmingबता दें कि मखाना क्षेत्र विस्तार योजना के तहत अबकी बार उन किसानों को प्राथमिकता दी गई है जिसे प्रगति रिपोर्ट के आधार पर चयन किया गया है। इस खेती में अच्छी आमद होने के किसानों का रूझान मखाने की खेती की ओर रहता है। वहीं जिले में भोला पासवान शास्त्री कृषि महाविद्यालय होने का भी लाभ किसानों को मिल जाता है। उन्हें नए अनुसंधान की जानकारी जहां मिलती है वहीं मखाने का उन्नत बीज भी ससमय उपलब्ध हो जाता है। बता दें कि फरवरी माह में जानकारी के अभाव में कटिहार, अररिया एवं पूर्णिया के कुछ किसानों के यहां पौधाशाला विफल होने की सूचना कृषि महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ पारसनाथ को मिली। जिसके बाद उन्होंने तत्परता दिखाते हुए संबंधित जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रधान सह वरीय वैज्ञानिकों को निर्देशित करते हुए कहा कि जिन किसानों का पौधशाला विफल हो गया है वे किसान मखाना अनुसंधान परियोजना इकाई से मखाना का पौधा निशुल्क ले जा सकते हैं। जिसके बाद किसानों को कोराेना के कहर के बीच मखाने का बीज व पौधा उपलब्ध कराया गया। बता दें कि सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, कटिहार, पूर्णिया, अररिया एवं किशनगंज में बायोटेक किसान हब एवं राज्य बागवानी मिशन के मखाना विकास योजना अंतर्गत लगभग कुल 170 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगभग 200 से अधिक किसानों के खेत में सबौर मखाना-1 के पौधे की रोपाई की गई है।

...लक्ष्य को कर लिया गया है पूरा :
उद्यान निदेशालय द्वारा मखाना क्षेत्र विस्तार योजना के तहत दिए गए लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है। चूंकि केनगर को मखाने की खेती का हब माना जाता है। इस कारण यहां पूरे लक्ष्य का 40 फीसदी अनुदान किसानों को दिया जा चुका है।
: सुनील कुमार झा, उद्यान पदाधिकारी, केनगर।

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