काव्य-संग्रह 'एक अकेला पेड़' का विमोचन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 18 जून 2021

काव्य-संग्रह 'एक अकेला पेड़' का विमोचन

  • चनप्रीत सिंह की 21 कविताओं का संग्रह 'एक अकेला पेड़' का विमोचन मुंबई में हुआ

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मुंबई। अभिनेता, कवि और लेखक चनप्रीत सिंह की 21 कविताओं का संग्रह 'एक अकेला पेड़' का विमोचन शुक्रवार 18 जून 2021 को यारी रोड, अँधेरी (वेस्ट),मुंबई  में किया गया। इस काव्य-संग्रह का विमोचन इससे पहले अमेरिका में किया गया था। चनप्रीत सिंह अमेरिका में कैलिफ़ोर्निया के रहने वाले हैं। वे अपनी कविताएँँ सैन फ़्रांसिस्को में आयोजित कवि-सम्मेलनों में पढ़ते रहे हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी चनप्रीत सिंह ने अमेरिका और भारत में विभिन्न नाटकों और फ़िल्मों में काम भी किया है। 'एक अकेला पेड़' काव्य-संग्रह को ' राइटर्सग्राम' पब्लिकेशन द्वारा हिंदी में प्रकाशित किया गया है, जोकि 135 पृष्ठ का है और इसकी कीमत 225 रुपये रखी गयी है। यह अमेज़ान जैसी सभी बड़ी ई-कॉमर्स वेब साइट पर उपलब्ध है। जीवन के सभी पहलुओं को 'एक अकेला पेड़' में कविताओं के माध्यम से बड़े आकर्षक और अनोखे तरीके से प्रस्तुत किया गया है। जीवन व मृत्यु  जुड़ी छोटी और बड़ी घटनाओं को कविता के माध्यम से जीवन के पूरे उतर-चढ़ाव को  दर्शाया गया है। सिंह की कविताए व्यक्ति राष्ट्रवाद, मानवता, एकता, भाईचारा, महिला-सशक्तिकरण और जीवन के अर्थ जैसे चीजों को बड़ी संवेदनशीलता से बताती है। इस कविता संग्रह की कविताएँ जैसे कि ,'बँटवारा','हठ','क्षमता से जंग' और 'आखरी दम' इत्यादि दिल को छू लेती हैं। सभी को 'एक अकेला पेड़' कविता पढ़नी चाहिए। इसकी सादगी हर इंसान के मन को छू जाती है। यह हमें सिखाती है कि एक साधारण जीवन असाधारण सोच के साथ कैसे जीया जाये? पुस्तक में चनप्रीत सिंह द्वारा बनाई गई कुछ तस्वीरें भी हैं। जो कविताओं जीवंत करती है और इन कविताओं को और रसमय बना देती है। कवि चनप्रीत सिंह अपनी कविताओं की पुस्तक 'एक अकेला पेड़' के बारे में कहते हैं,"सफलता में जितना योगदान हुनर और परिश्रम का होता है, उतना ही आत्मविश्वास का भी होता है। आपके आसपास का माहौल जैसे कि परिवार, दोस्त और करीबी रिश्तेदार आपका हौंसला बढ़ा कर आपके आत्मविश्वास को और मज़बूत बना सकते हैं या फिर नकार कर उसे अत्यधिक हानि भी पहुँचा सकते हैं। शायद इसीलिए संगत का चुनाव महत्वपूर्ण माना जाता है। इस विषय में मैं बहुत भाग्यशाली रहा हूँ। इस कविता माला की शुरुआत मैंने २ वर्ष पहले की थी। तबसे मेरे परिवार और करीबी मित्रों ने निरंतर मेरा हौंसला बढ़ाया है। इसके लिए मैं उनका हृदय से आभारी हूँ। इस माला की शुरुआत एक नाटक के पूर्वाभ्यास के दौरान हुई, जिसमें मैं एक मूल किरदार निभा रहा था। फिर एक से दो, दो से तीन और तीन से चार करते कविता लिखने और सुनाने का सिलसिला नियमित रूप से चल पड़ा। इस माला में मैंने २१ कविताएँ, उनसे सम्बंधित कुछ गद्य और चित्र शामिल किए हैं। अब कला किसी भी रूप में हो - कहानी, कविता, आकृति, चित्र, संगीत या फिर गीत वह समय और आसपास के समाज को कलाकार के दृष्टिकोण से दर्शा सकती है। मेरी रचनाएँ भी शायद कुछ ऐसा करें। आख़िर मैं भी तो इस समाज का ही हिस्सा हूँ। पर मेरा मक़सद किसी को उपदेश देना नहीं हैं। मैं तो केवल कविता का रस लेते अपनी बात कहता हूँ। मुझे इन कविताओं को लिखने  में बहुत आनंद आया है। मुझे आशा है की आपको इन्हें पढ़ने में वैसा ही आनंंद प्राप्त होगा।" चनप्रीत सिंह ने फिल्म 'साउंड्स ऑफ साइलेंस' में अभिनय किया है, जो एक पीटीसी की पंजाबी फिल्म है । उन्होंने 'रूमर्स', 'राशोमोन','दी पार्टिंग','स्टेट ऑफ़ डेनियल एंड रोड्स','मुआवज़े' जैसे नाटकों में मुख्य किरदार निभाया है। वे 'नाटक थिएटर ग्रुप',' एनक्टे आर्ट इंक' व ' बेड कंपनी' इत्यादि थिएटर ग्रुप्स से जुड़े रहे हैं।और वे एक प्रतिष्ठित व बड़ी कंसल्टिंग फर्म में 'सीनियर एक्जीक्युटिव' के तौर पर काम करते हैं और विभिन्न सोसल मिडिया पर काफी एक्टिव हैं।

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