भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) आधा फीसदी घटाकर 5.5 प्रतिशत करने की घोषणा की। रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दर वर्तमान स्तर पर बरकरार रखी है। रेपो दर भी 8.5 प्रतिशत पर कायम है।
सीआरआर में आधा फीसदी की कटौती से बैंकिंग तंत्र में 32,000 करोड़ रुपये की नकदी और उपलब्ध होगी। रिजर्व बैंक ने 2011-12 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है।
केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि मार्च अंत तक मुद्रास्फीति गिर कर 7 फीसदी तक रहेगी। बैंक के अनुसार राजकोषीय घाटे में वृद्धि आर्थिक स्थिरता के लिए बड़ा जोखिम है। देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था में सुस्ती और महंगाई की दर में कमी को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी तीसरी तिमाही मौद्रिक समीक्षा में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की कमी करने का फैसला किया है। आरबीआई ने मंगलवार को जारी समीक्षा में सीआरआर को छह फीसदी से घटाकर 5.5 फीसदी कर दिया है, जो 28 जनवरी से प्रभावी होगी। आरबीआई के इस कदम से व्यावसायिक बैंकों के पास ऋण के लिए 320 अरब रुपये की अतिरिक्त राशि उपलब्ध हो सकेगी। इसके अलावा आरबीआई ने अन्य सभी प्रमुख दरों को अपरिवर्तित रखा है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर डी़ सुब्बाराव ने मुंबई में वाणिज्यिक बैंकों के साथ बैठक में चालू वित्त वर्ष की मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा करते हुए अपनी अल्पकालिक उधार दर रेपो, 8.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने की घोषणा की। इसके आधार पर बैंक की रिवर्स रेपो दर भी 7.5 प्रतिशत पर स्थिर रहेगी। उद्योग व्यापार क्षेत्र ने अर्थव्यस्था में नरमी का हवाला देते हुए रिजर्व बैंक से नीतिगत ब्याज दरों में कमी की पुरजोर अपील की थी। बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति की मौजूदा उंचाई तथा दमित मुद्रास्फीति को देखते हुए नीतिगत ब्याज दरों में अभी कमी करना जल्दबाजी होगी। दमित मुद्रास्फीति से मतलब सरकारी मूल्य नियंत्रण के प्रभाव से है।
बैंक ने कहा है कि सीआरआर बाजार में नकदी बढाने का एक स्थायी तरीका है। सीआरआर में कमी को इस रूप में भी देखा जा सकता है कि भविष्य में ब्याज दरों में कमी लाने का रिजर्व बैंक का एख और मजबूत हुआ है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक सीआरआर के रूप में बैंकों के पास जमा राशि का एक हिस्सा अनिवार्य रूप से अपने नियंत्रण में रखता है और इस पर बैंकों को ब्याज नहीं मिलता।
रिजर्व बैंक ने अपनी पिछली मध्यतिमाही समीक्षा में कहा था कि ब्याज दरों में वृद्धि का मौजूदा दौर अब अपने चरम पर है। आगे ब्याज में कमी का दौर शुरू हो सकता है। केंद्रीय बैंक ने बैंकों के लिए फौरी उधार की सुविधा (एलएएफ) के अतिरिक्त अल्प स्थायी सुविधा पर ब्याज को 9.5 प्रतिशत और अपनी दीर्घकालिक ब्याज दर-बैंक दर को छह प्रतिशत पर बनाए रखा है। रेपो दर वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उनके पास नकदी की दैनिक कमी के पूरा करने के लिए उधार देता है। जबकि रिवर्स रेपो के जरिये रिजर्व बैंक बैंकों के पास उपलब्ध नकदी को लेने के लिये अल्पकालिक उधारी लेता है। कुछ घंटों से लेकर एक दिन तक का यह लेनदेन रेपो और रिवर्स रेपो दर पर होता है।
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