बिहार सरकार ने निजी स्कूलों को फिर आरटीई के प्रावधानों की याद दिलाई है। प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने बच्चों के अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा अधिनियम को लेकर गाइड लाइन जारी किया है। उधर, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिंह ने हिन्दुस्तान को बताया कि नामांकन के लिए बच्चों के चयन अथवा लॉटरी में कोई गड़बड़ी न हो इसको लेकर विभाग सतर्क है।
विभाग के अधिकारी के समक्ष ही चयन की प्रक्रिया संपादित होगी। इसके लिए एक-एक अधिकारी की तैनाती हर निजी विद्यालय में की जाएगी। विभाग के प्रवक्ता आरएस सिंह ने बताया कि कुछ नामचीन विद्यालयों के साथ बैठक की गई है। इसमें सिस्टर जस्टिना और फादर पीटर समेत कई महत्वपूर्ण लोग शामिल थे।
निजी स्कूलों को कहा गया है कि आप प्रास्पेक्टस में पूरी प्रक्रिया का जिक्र करें और चयन में पारदर्शिता रखें। बैठक उन्हें ‘मे फ्लावर’ स्कूल का प्रास्पेक्टस भी दिया गया, जिसमें स्पष्ट उल्लेख है कि जिन बच्चों का नामांकन के लिए चयन नहीं होता है, स्कूल उनका आवेदन शुल्क वापस कर देगा। निजी विद्यालय खुद अपनी व्यवस्था ऐसी कर लें नहीं तो सरकार को मजबूर होकर उसमें दखल देना पड़े। इसके साथ ही शिक्षा विभाग ने राज्य में अनिवार्य एवं निशुल्क शिक्षा अधिनियम लागू होने के समय से अबतक जारी निर्देशों की विज्ञप्ति भी निजी स्कूलों के लिए जारी कर दी है। हालांकि इसकी जानकारी पहले भी निजी स्कूलों को दी गई थी। जारी निर्देश के मुताबिक बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र अनुपलब्ध रहने पर किसी का नामांकन अस्वीकार नहीं किया जाएगा।
अस्पताल या मिडवाइफ पनजी अभिलेख, आंगनबाड़ी अभिलेख, माता-पिता या गार्जियन के घोषणा पत्र पर भी नामांकन किया जा सकेगा। प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय के लिए 1 किमी एवं मध्य विद्यालय के लिए 3 किमी उसका पड़ोस क्षेत्र होगा। किसी भी बच्चों को शारीरिक दंड नहीं दिया जाएगा। विद्यालय द्वारा किसी भी बच्चों के प्रवेश हेतु कैपीटेशन फीस नहीं लिया जाएगा। इस श्रेणी में वे सभी भुगतान आएंगे जो विद्यालय के निर्धारित शुल्क के अतिरिक्त हैं। हर विद्यालय नर्सरी या कक्षा एक में 25 प्रतिशत सीट पर अलाभकारी समूह या कमजोर वर्ग के बच्चों का नामांकन लेंगे। अलाभकारी समूह में सभी आरक्षित जातियों के वैसे बच्चों आएंगे, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 1 लाख तक हो।
कमजोर वर्ग का मतलब सभी जातियों, समुदायों के वैसे बच्चों से है जिनके अभिभावक की आय 2 लाख रुपए से कम सालाना हो। एक शैक्षिक वर्ष में एक से पांच कक्षा में 200 दिन माने कि 800 घंटे की और कक्षा 6 से आठ में 220 दिन यानी कि 1000 घंटे की न्यूनतम पढ़ाई अनिवार्य है।
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