चारा नष्ट होने पर मानवाधिकार आयोग गंभीर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

चारा नष्ट होने पर मानवाधिकार आयोग गंभीर


संबलपुर, (पश्चिम  ओड़िशा) जनवरी महीने में ओडि़शा मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस राधाकृष्ण पात्र को बरगढ़ जिला के अताबिरा में रहने वाले समाजसेवी राजेश अग्रवाल ने रबी फसल का चारा नष्ट होने से संबंधित एक ज्ञापन सौंपते हुए कार्रवाई किए जाने की निवेदन किया था। जस्टिस श्री पात्र ने इसे गंभीरता से लिया और श्री अग्रवाल की पीटिशन पर सुनवाई करने के बाद यह निर्देश जारी किया है। महानदी में बीते वर्ष आई बाढ़ से प्रभावित संबलपुर, बरगढ़ समेत स्वर्णपुर में रबी फसल का धान चारा नष्ट होने की घटना को लेकर, मानवाधिकार आयोग का ध्यानाकर्षित किए जाने के बाद आयोग ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए, हीराकुद बांध मंडल के अधीक्षण अभियंता को चार सप्ताह के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में सुनवाई आगामी 27 मार्च को तय की गई है। समाजसेवी राजेश अग्रवाल ने मानवाधिकार आयोग के समक्ष जब इस आशय का पीटिशन दाखिल किया तब आयोग ने यह मामला दर्ज कर बीते आठ फरवरी के दिन पीटिशन पर सुनवाई करने के बाद शिकायत की जांच शुरू करने हीराकुद बांध के मंडल अधीक्षण अभियंता को निर्देश दिया है। इस निर्देश के बाद अंचल के किसानों की आस बंधी है कि उन्हें न्याय मिल सकेगा।

चलित वर्ष हीराकुद बांध के सिंचाई क्षेत्र में रबी फसल का धान चारा नष्ट हो जाने की वजह से किसानों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई है। बीज खरीदने समेत खेतबाड़ी में हजारों रुपये खर्च करने वाले किसान दुर्दशा भुगत रहे हैं।  चारा नष्ट हो जाने के स्टीक कारण का पता भी नहीं चल सका है। कुछ लोगों का मानना है कि मौसम में आए अस्वाभाविक परिवर्तन की वजह से ऐसा हुआ है, जबकि अन्य कुछ का मानना है कि उर्वरक में पोटाश की कमी के कारण ऐसा हुआ। इस बारे में कृषि निर्देशक से भी उचित सलाह नहीं मिल पा रहा है।श्री अग्रवाल ने बताया है कि संभवत: हीराकुद जलभंडार के पानी में विभिन्न संयंत्रों का रासायनिक द्रब्य मिल जाने से पानी प्रदूषित होकर खेतों में पहुंच जाने से ऐसा हुआ होगा। बीते वर्ष महानदी में आई बाढ़ का पानी संबलपुर, बरगढ़ और स्वर्णपुर जिला में घुस गया था और इसी प्रदूषित पानी की वजह से धान चारा नष्ट हुआ होगा। सरकार भी किसानों की इस दुर्दशा पर ध्यान नहीं देने से किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है। 




(प्रफुल्ल शर्मा)

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