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गुरुवार, 29 मार्च 2012

बाबा रामदेव की दवाइयां पकड़ी गई.


करोड़ों रुपये की कर चोरी के मामले में पहले ही फंसे हुये बाबा रामदेव अब सेल टैक्स की चोरी के मामले में उलझ गये हैं. बाबाजी की एक ट्रक दवाइयां पकड़ी गई हैं, जिन्हें बिना किसी रसीद या दस्तावेज के हरिद्वार से बाहर भेजा जा रहा था. 

गढ़वाल के वाणिज्य कर विभाग के संयुक्त आयुक्त एनएस दताल का कहना है कि ट्रक नंबर UK 08 CA 1740 पर पतंजलि ट्रस्ट की दवाइयां लदी हुई थीं और यह ट्रक बिना किसी रसीद के बाहर ले जाई जा रही थीं. लगभग 13 लाख रुपये की ये दवाइयां बाबाजी के ट्रस्‍ट द्वारा संचालित कंपनियों में ही बनाई गई हैं. अफसरों का कहना है कि सेल टैक्स चोरी करने के उद्देश्य से बाबाजी की कंपनी ने ऐसा किया है. 

सफाई देने पहुंचे बाबा रामदेव के सहयोगी बालकृष्ण भी पत्रकारों को इस बात का जवाब नहीं दे पाये कि आखिर ट्रक के साथ जरुरी दस्तावेज क्यों नहीं थे. बालकृष्ण का कहना था कि बाबा रामदेव को परेशान करने की नियत से यह किया गया. पत्रकारों ने जब उनसे जानना चाहा कि क्या दवाइयों का कर चुकाया गया था तो बालकृष्ण उसका जवाब देने के बजाये पत्रकारों पर ही बरस पड़े. 

गौरतलब है कि इसी महीने बाबा रामदेव द्वारा लगभग 5 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी का सनसनीखेज मामला सामने आया था. तहलका का आरोप था कि बाबा रामदेव की कंपनी ने 2004-05 में 6, 73, 000 रुपये की दवाओं की बिक्री दिखाकर 53000 रुपये बिक्री कर के तौर पर चुकाए. लेकिन उत्तराखंड के बिक्री कर विभाग ने उत्तराखंड के सभी डाकखानों से सूचना मांगी. डाकखाने से मिली जानकारी ने एसटीओ के शक को पुख्ता कर दिया. वहां से पता चला कि 2004-05 में दिव्य फार्मेसी ने 2509.256 किलो ग्राम दवाएं 3353 पार्सल के जरिए भेजा था. इन पार्सलों के अलावा 13,13000 रुपये के वीपीपी भी किए गए थे. इसी वित्त वर्ष में दिव्य फार्मेसी को 17, 50, 000 रुपये के मनी ऑर्डर दवाइयों के लिये मिले थे. 

बिक्री कर विभाग की विशेष जांच शाखा ने दिव्य फार्मेसी में छापा मारा तो लगभग 5 करोड़ की कर चोरी का मामला सामने आया. बाद में राज्य सरकार ने छापा मारने वाले अफसर पर इतना दबाव बनाया कि उसे अंततः वीआरएस लेना पड़ा. तहलका का दावा है कि उसके पास ऐसे कागजात हैं, जो साबित करते हैं कि दिव्य फार्मेसी ने 30,17000 रुपये कीमत की दवाएं बाबा रामदेव के दूसरे ट्रस्ट दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट को ट्रांसफर किए. ट्रस्ट की ओर से दिए गए आयकर रिटर्न में बताया गया कि सभी दवाएं गरीब और जरूरतमंदों में मुफ्त में बांट दी गई. लेकिन तत्कालीन बिक्री कर अधिकारियों का कहना है कि इन दवाओं को कनखल में मौजूद दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट ले जाकर बेचा गया. आज तक दिव्य योग मंदिर और पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट बिक्री कर विभाग में पंजीकृत तक नहीं हैं. जो भ्रष्ट तरीके से दवाइयां बेच रही हैं.

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