विजय की फिर हुई विजय, भाजपा चित्त - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 30 मार्च 2012

विजय की फिर हुई विजय, भाजपा चित्त


39 मत पाकर माहरा राज्यसभा सीट के लिए हुए निर्वाचित


बहुगुणा सरकार ने शुक्रवार को अपने खाते में तीसरी विजय भी दर्ज कर दी। उत्तराखण्ड से कांग्रेस के राज्यसभा प्रत्याशी महेन्द्र सिंह माहरा को 39 मत मिले, जबकि भाजपा के अनिल गोयल को भाजपा के 31 मत ही मिल पाए। राज्यसभा के लिए मतदान की प्रक्रिया शुक्रवार प्रातः 9 बजे से विधानसभा में शुरू हुई और शाम चार बजे समाप्त हुई। कांग्र्रेस प्रत्याशी महेन्द्र सिंह माहरा के पक्ष में कांग्रेस के 32 बसपा के तीन विधायक और निर्दलीय चार विधायकों ने मतदान किया। विधानसभा के 70 विधायकों ने राज्यसभा के लिए मतदान शुक्रवार को मतदान किया। कांग्रेस की तरफ से पार्टी अभिकर्ता के रूप में डा. इंदिरा ह्दयेश पाठक एवं दिनेश अग्रवाल को मतदान प्रकिया में बैठाया गया। बसपा के दो तथा यूकेडी का एक और निर्दलीय दो विधायकों ने सबसे आखिर में लगभग सवा दो बजे मतदान किया। 

उल्लेखनीय है कि बहुगुणा सरकार ने शुक्रवार को चुनाव के बाद सरकार बनने के बाद से यह तीसरा किला फतह किया है। इससे पहले बहुगुणा सरकार ने विधानसभा में अपना अध्यक्ष के रूप में गोविंद सिंह कुंजवाल को 39 वोटों से विजयी बनाया था, जबकि इसके बाद गुरूवार को राज्य सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने के दौरान 39 मतों से अपनी सरकार को प्रदेश में स्थापित करने में सफलता प्राप्त की थी। जबकि शुक्रवार को शुरू से ही कयास लगाए जा रहे थे कि कहीं निर्दलीय व बसपा विधायकों में से कुछ एक भाजपा के संपर्क में है और वे सरकार के खिलाफ मत दे सकते हैं, लेकिन कयास, कयास ही बनकर रह गए। विजय बहुगुणा की इस विजय में उनके राजनैतिक कौशल और कांग्रेस पार्टी का संगठनात्मक ढांचा महत्वपूर्ण रहा है, वहीं कंेद्रीय मंत्री हरीश रावत की भी महत्वपूर्ण भूमिका सरकार को स्थिर बनाने में रही है। कांग्रेस में भले ही नेताओं में आपसी खींचतान रही हो, लेकिन आखिरी समय में कांग्रेसियों ने एकजुटता का परिचय देते हुए भाजपा को चार खानें चित्त कर डाला है। अब फिलहाल छह महीने तक भाजपा के पास सरकार के खिलाफ कोई ऐसा एजेंडा नहीं है कि जिससे वह सरकार के प्रति अविश्वास की बात कह सके। हालांकि भाजपा के विधायक शुक्रवार सुबह से ही यह कह रहे थे कि निर्दलीय और बसपा विधायक उनके संपर्क में है और चुनाव परिणाम आने के बाद सबकुछ साफ हो जाएगा, लेकिन भाजपा नेताओं के दावे हवा-हवाई ही साबित हुए और विजय सरकार के गठन के बाद उन्हें तीसरी बार मात खानी पड़ी है। भाजपा के कुछ नेताओं का कहना था कि दो बार मुंह की खा चुकी पार्टी को इस समय तीसरी बार अपना प्रत्याशी राज्यसभा के लिए खड़ा नहीं करना चाहिए था, लेकिन कुछ बड़े नेताओं के दबाव के चलते यह सब किया गया और पार्टी को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। 

जैसे ही राज्यसभा सांसद के लिए महेन्द्र सिंह माहरा के नाम की घोषणा हुई कांग्रेसियों में हर्ष की लहर चल पड़ी। जहां कांग्रेस भवन पर कांग्रेसियों ने आतिशबाजी की वहीं विधानसभा के भीतर कांग्रेसियों ने मुख्यमंत्री जिन्दाबाद, हरीश रावत जिन्दाबाद के साथ ही सोनिया गांधी जिन्दाबाद के नारे भी जमकर लगाए। विजय की तीसरी विजय पर कांग्रेसियों के चेहरे पर सरकार की रौनक दिखाई देने लगी। वे सब इसका श्रेय सोनिया गांधी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दे रहे थे। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मदन सिंह बिष्ट का कहना था कि कांग्रेस ने उत्तराखण्ड में विकास की जो लहर तिवारी सरकार के समय में बहाई थी, उसी दिशा में विजय बहुगुणा सरकार भी काम करेगी और विकास के मार्ग पर राज्य को ले जाने का प्रयास करेगी। इस विजय पर संसदीय कार्यमंत्री डा. इंदिरा हृदयेश पाठक का कहना था कि यह कांग्रेस की तीसरी विजय है और विजय बहुगुणा के नेतृत्व में यह सरकार विकास के नए आयामों को छूयेगी। मतदान करने के बाद हरक सिंह रावत ने बोलते हुए कहा कि कांग्रेस सभी वर्गो को साथ में लेकर आगे बढ़ रही है और राज्य सभा के मतदान में बसपा, यूकेडी और आजाद विधायकों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर साबित कर दिया है कि सभी कांग्रेस के साथ मिलकर राज्य का विकास करना चाहते है। भाजपा हमेशा से ही प्रदेश के विकास को अवरूद्ध करना चाहती है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।


(राजेन्द्र जोशी)

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