हंगामें के बीच राज्यपाल का अभिभाषण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 27 मार्च 2012

हंगामें के बीच राज्यपाल का अभिभाषण


विपक्ष का हंगामा हार की खिसियाहट: इंदिरा


राज्य की तीसरी निर्वाचित सरकार के पहले विधानसभा सत्र में राज्यपाल को विपक्ष के हंगामें और भाषा के विवाद के कारण अभिभाषण मात्र दो मिनट में खत्म करना पड़ा। सरकार ने इसे विपक्ष का विरोध के लिए विरोध करार दिया तो भाजपा ने सरकार पर लगातार नियमों की अनदेखी का आरोप लगाया है। सत्र के पहले दिन राज्यपाल विधानसभा मण्डप में निर्धारित समय से पांच मिनट पहले पहुंच गई। राष्ट्रगान के बाद राज्यपाल ने अपना भाषण पहले हिंदी में और फिर अंग्रेजी में शुरू किया ही था कि विपक्ष की ओर से भाजपा के हरबंस कपूर, अजय भट्ट, मदन कौशिक ने सरकार को लोकतंत्र की हत्यारी सरकार करार देते हुए विरोध शुरू कर दिया। समूचा विपक्ष राज्यपाल के अभिभाषण को अंग्रेजी में पढ़े जाने का विरोध करने लगा, लेकिन राज्यपाल ने इसी बीच अभिभाषण की आखिरी लाईनों को हिंदी में पढ़ना शुरू कर दिया, लेनिक विपक्षी सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर अंग्रेजी में किए गए अभिभाषण की कॉपी विधानसभा सदस्यों को न देने पर हंगामा करने लगे। इस पर राज्यपाल ने कहा कि वे दक्षिण भारतीय हैं और जो मुझे आता है मैं वह पढूंगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के संविधान में भाषा विशेष को लेकर कहीं भी कोई कानून नहीं है और भाषा से कोई परेशानी भी नहीं है। विपक्ष के विरोध के बीच राज्यपाल के अभिभाषण का सत्र मात्र पांच मिनट में ही सिमट कर रह गया। सबसे मजेदार बात तो यह रही कि सदन में मनोनीत विधायक आर.वी. गार्डनर सत्ता पक्ष की बेंच पर बैठने की बजाए विपक्षी बंेच पर जा कर बैठ गए। जिन्हें बाद में वरिष्ठ सदस्य नवप्रभात को टोकना पड़ा तब वे सत्ता पक्ष की बेंच पर जाकर बैठे। इतना ही नहीं विधानसभा सचिवालय की ओर से भी एक बड़ी गलती तब हुई जब राज्यपाल मण्डप में प्रवेश ही नहीं कर पाई थी कि राष्ट्रगान बजा दिया गया। सदस्य जहां के तहां राष्ट्रगान समाप्त होने तक खड़े रहे। इसके बाद मंत्री व विधायक अपनी निर्धारित बंेचों पर जाकर बैठे।
भाजपा विधायकों ने विधानमण्डप से बाहर निकलते ही जमकर सरकार विरोधी नारेबाजी की। विधायक अजय भट्ट ने कहा कि सरकार लगातार संविधान का उल्लंघन कर रही है। प्रोटम स्पीकर की नियुक्ति में वरिष्ठता की अनदेखी की गई है, 71वें विधायक की नियुक्ति बिना बहुमत साबित किए कर दी गई, विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में निर्वाचित विधायकों के वोट का प्रावधान है, लेकिन कांग्रेस ने मनोनीत विधायक से भी मतदान करवा दिया, राज्यपाल ने अंग्रेजी में अभिभाषण पढ़ा और सदस्यों को हिंदी की प्रतियां बांटी गई। उन्होंने कहा कि भाजपा कांग्रेस की तरह हर मामले को लेकर वैल में जाने के बजाए अपने स्थान से सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करेगी।

संसदीय कार्यमंत्री डा. इंदिरा हृदयेश पाठक ने विपक्ष के हंगामें पर कहा कि विपक्ष केवल सदन की कार्यवाही में लगातार व्यवधान पैदा करना चाहता है जो उचित नहीं है। राज्यपाल का अभिभाषण सरकार का नीतिगत दस्तावेज है। उन्होंने विपक्षी दल के विरोध को विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव में मिली हार का बदला लेने का खिसियाहट बताई। वरिष्ठ विधायक सुबोध उनियाल ने कहा कि जब कांग्रेस ने राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध किया तो भाजपा ने इसे उस समय लोकतंत्र की हत्या बताया था, अब भाजपा क्या कर रही है यह सबके सामने है। दोपहर बाद शुरू हुए दूसरे सत्र में विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने राज्यपाल के अभिभाषण को पढ़कर बुधवार सुबह तक के लिए सदन स्थगित कर दिया।

(राजेन्द्र जोशी)

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