रिजर्व बैंक ने बढ़ाया रीपो रेट. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

रिजर्व बैंक ने बढ़ाया रीपो रेट.

महंगाई को कंट्रोल करने के अपने सख्त उपायों के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कयास के मुताबिक रीपो रेट में इजाफा कर दिया है। आरबीआई ने 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी रीपो रेट में की है। जाहिर है कि इसका सीधा असर लोन चुकाने और लेने वालों पर भी पड़ेगा। आपकी ईएमआई में भी इस परसेंटेज के मुताबिक इजाफा होगा।

रिजर्व बैंक के इस कदम से आने वाले समय में कारोबार और व्यक्तिगत उपभोक्ता के लिए बैंकों से कर्ज लेना और महंगा हो सकता है। रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को दूसरी तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करते हुए प्रमुख नीतिगत दर रीपो को 0.25 प्रतिशत बढ़ाकर 7.75 प्रतिशत कर दिया। रीपो वह दर है जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को एकाध दिन के लिए नकद राशि उधार देता है। वाणिज्यिक बैंक नकदी की तात्कालिक जरूरत के लिए केंद्रीय बैंकों से हर रोज करीब एक लाख करोड़ रुपए की नकदी उधार लेते हैं। 

लेकिन दूसरी तरफ बैंकों की बढ़ी हुई अतिरिक्त नकदी की सुविधा के लिए रिजर्व बैंक से धन लेने का सस्ता करते हुए सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 8.75 प्रतिशत कर दिया। राजन की यह पहली पूर्ण मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक थी। उन्होंने 4 सितंबर को कार्यभार ग्रहण किया था और 20 सितंबर को पहली मध्य तिमाही समीक्षा में रीपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर बाजार को चौंका दिया था। 

राजन ने कहा, 'इन उपायों से जहां एक तरफ वृहद आथिर्क और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा मिलेगा वहीं इससे आर्थिक वृद्धि की मजबूती के लिए बेहतर परिवेश बनेगा। रिजर्व बैंक आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुए मुद्रास्फीतिकारी जोखिम की भी नजदीकी से निगरानी रखेगा।' 

केन्द्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपनी आर्थिक वृद्धि के अनुमान को भी 5.5 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। पिछले वित्तीय वर्ष में भी आर्थिक वृद्धि एक दशक के निचले स्तर 5 प्रतिशत तक गिर गई थी। रिजर्व बैंक ने रीपो दर और एमएसएफ के अलावा अन्य दरों को पूर्ववत रखा है। 

बैंकों के लिए रिजर्व बैंक के पार रखनी जाने वाली आरक्षित नकदी का का अनुपात (सीआरआर) उनके पास जमा राशि के 4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया जबकि सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश किए जाने वाले सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) को भी 23 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। सीआरआर के तहत रिवर्ज बैंक के पास पड़ी जमा पर बैंकों को कोई ब्याज नहीं मिलता। 

बहरहाल, रिजर्व बैंक गवर्नर ने बैंकिंग तंत्र में नकदी बढ़ाने के लिए बैंकों को उनकी सात और 14 दिन की रीपो व्यवस्था के तहत उनकी नकदी की स्थिति यानी नेट डिमांड ऐंड टाइम लायबलिटी (एनडीटीएल) के समक्ष उधार सीमा को दोगुना कर 0.5 प्रतिशत कर दिया। यह व्यवस्था तुरंत प्रभाव से लागू होगी। 

रीपो दर बढ़ने और एमएसएफ दर कम करने से रिजर्व बैंक ने मुख्य दर रीपो के साथ एमएसएफ के अंतर को फिर से एक प्रतिशत पर ला दिया है। 20 सितंबर की मध्य तिमाही समीक्षा में रिजर्व बैंक ने इसका जिक्र किया था। 

रिजर्व बैंक ने कहा था उसकी मुख्य नीतिगत दर रीपो दर ही होगी। रीपो दर से एक प्रतिशत नीचे रहेगी रिवर्स रीपो और इससे एक प्रतिशत ऊपर रहेगी एमएसएफ की दर। पिछले दिनों डॉलर के मुकाबले रुपए में भारी गिरावट आने पर रिजर्व बैंक ने एमएसएफ दर को दो प्रतिशत बढ़ाकर 10.25 प्रतिशत कर दिया था। रीपो के मुकाबले इसमें तीन प्रतिशत का फासला हो गया था, लेकिन अब यह कम होकर वापस एक प्रतिशत के फासले पर आ गई है। 

रिजर्व बैंक के तुरंत प्रभाव से किए गए ताजा बदलाव के बाद रीपो दर 0.25 प्रतिशत बढ़कर 7.75 प्रतिशत, रिवर्स रीपो दर तदनुसार 6.75 प्रतिशत होगी जबकि एमएसएफ 0.25 प्रतिशत घटकर 8.75 प्रतिशत पर आ गई है। इसके साथ ही बैंक दर भी 8.75 प्रतिशत हो गई है। 

मूल्य सूचकांक के मोर्चे पर खुदरा मुद्रास्फीति को सबसे बड़ा खतरा बताते हुए रिजर्व बैंक ने कहा है कि यह 9 प्रतिशत से ऊपर बनी रहेगी। थोक मुद्रास्फीति मामले में बैंक ने कहा है कि रुपए की विनिमय दर में आई गिरावट और ईंधन के दाम में वृद्धि से इसमें वर्ष की शेष तिमाहियों में वृद्धि होगी। 

बैंक ने ऊंची मुद्रास्फीति को लेकर चिंता जताई है। थोक मुद्रास्फीति बैंक के लिहाज से सामान्य स्तर से ऊपर बनी हुई है जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित उच्च मुद्रास्फीति भी चिंता का विषय है। समीक्षा में कहा गया है- 'अच्छे मॉनसून का खाद्य मुद्रास्फीति पर अनुकूल असर होगा लेकिन पहले से ही ऊंची खाद्य और ईंधन मुद्रास्फीति पर पड़ने वाले एक और दौर का असर दूसरी उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं पर भी पड़ेगा।'

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