तेजस्वी ने परिवारवाद के मुद्दे पर भाजपा को फटकारा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 21 जनवरी 2017

तेजस्वी ने परिवारवाद के मुद्दे पर भाजपा को फटकारा

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पटना 21 जनवरी, बिहार के उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने परिवारवाद के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि इस देश में सबसे ज्यादा परिवारवाद को बढ़ावा देने वाला परिवार तो भाजपा का जन्मदाता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) परिवार है। श्री यादव ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर दिल की बात श्रृंखला के तहत लिखा कि अक्सर दूसरे राजनीतिक दलों पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाने वाली भाजपा का जन्मदाता ही देश में परिवारवाद को सर्वाधिक बढ़ावा देने वाला "आरएसएस" परिवार है। इस परिवार मात्र जुड़ने से भाजपा के लिए कोई भी व्यक्ति या उम्मीदवार तुरन्त योग्य, कर्मठ, देशप्रेमी और अनुभवी कहलाने लगता है। उप मुख्यमंत्री ने आगे लिखा कि दूसरों पर परिवारवाद का आरोप लगाने वालों को ना तो परिवार आधारित पार्टी जैसे शिव सेना, लोक जनशक्ति पार्टी, शिरोमणि अकाली दल, पीडीपी इत्यादि से चुनावी गठबंधन से कोई परहेज़ है और ना ही अपने ही दल में पनप रहे परिवार केंद्रित महत्वाकांक्षा से कोई तकलीफ़ है। दोहरे चाल, चरित्र और चेहरे वाली पार्टी भाजपा अपने पल्लू में नहीं झाँकती जिसमें अनगिनत परिवार जैसे कल्याण परिवार, राजनाथ परिवार, बहुगुणा परिवार, आर्य परिवार, मुंडे परिवार, महाजन परिवार, धूमल परिवार, वर्मा परिवार, गोयल परिवार, मिश्र परिवार, टण्डन परिवार, रमन परिवार, येदुर्रप्पा परिवार, बेल्लारी परिवार, जसवंत परिवार, सिन्हा परिवार, ठाकुर परिवार, चौबे परिवार इत्यादि अनेकों अनेक परिवार नहीं दिखते है। श्री यादव ने कहा कि भाजपा का संकीर्ण लक्ष्य तो बस दूसरों के जनसमर्थन को देखकर, किसी भी विषय पर विवाद खड़ा कर हंगामा करना और कराना होता है। ताकि मूल मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके। भाजपाई गौबेल्स के इतने बड़े भक्त हैं कि उसकी कही हर बात को ब्रह्मवाक्य मान, पूरी निष्ठा से उसका अनुकरण करते हैं। भाजपा के लोग वादों और नारों की कलई ये स्वयं खोलते है। गौबेल्स की भाँति भाजपा का मानना है कि प्रोपगेंडा, झूठ को सच बता निरन्तर दोहराने, चोरी कर सीनाजोरी करने से अपने हर दोष को छुपाया जा सकता है, हर झूठ को सच साबित किया जा सकता है। 

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में परिवारवाद के मुद्दे पर राज्य के लोगों से जवाब मिलने के बावजूद भाजपा में वंशवाद का मुद्दा आज भी जस का तस बना है। भाजपा में वंशवाद के बावजूद भी ये दूसरे पर अँगुली उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं। पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में ऐसे लगभग सैंकड़ो भाजपा नेता हैं जो अपने बच्चों को टिकट दिलवाने के होड़ में लगे हैं। श्री यादव ने कहा, “ वैश्विक विश्व में यदि भारत को आगे बढ़ना है तो यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि भारतीय युवाओं की सोच व्यापक और सभी के साथ भिन्नता को आदरपूर्वक स्वीकार करके आगे बढ़ने वाला हो, ना कि संकीर्ण बनकर अपने ही देश को लोगों में सांस्कृतिक और धार्मिक भिन्नता के आधार पर भेद करने वाला हो। तभी हमारा युवा देश की पैठ पूरे विश्व में जमाने में मददगार साबित हो सकता है।” श्री यादव ने आगे लिखा , “ राजनीति में किसी के किसी राजनीतिक परिवार से होने से भले प्रारम्भिक लाभ मिल सकता है लेकिन उसे अपने काम और काबिलियत से लोगों के हृदय में स्थान बनाने की पहल स्वयं ही करनी पड़ती है। यदि उनकी पार्टी या परिवार बार-बार उन्हें जनता के सम्मुख रख भी दें, तो भी उन्हें स्वीकार या अस्वीकार करने का अधिकार जनता के पास ही रहता है। यह राजशाही नहीं जो अयोग्य वारिस भी स्वयं को जनता पर थोप सकता हो। मतदाता का मत जिसके पास हो, वही देश के नागरिकों की सेवा करने का अधिकार पाता है, और वह भी सीमित समय के लिए। अतः परिवारवाद का मुद्दा किसी भी लोकतंत्र के लिए बेमानी है, क्योंकि इसे बढ़ावा देने या नकारने का अधिकार अंत में जनता के हाथ में ही होता है। 

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