पटना 09 मई, बिहार भारतीय जनता पार्टी(भाजपा)ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नक्सलवाद के खिलाफ संघर्ष में केंद्र पर संसाधनों में कटौती करने के आरोप पर पलटवार करते हुये आज कहा कि सत्तारूढ़ महागठबंधन के घटक दलों का नक्सली संगठनों से सीधा संबंध होने के कारण राज्य में उग्रवादियों को सरकार से खुला संरक्षण मिल रहा है। बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति के सभापति एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव ने यहां कहा कि नक्सलियों के प्रति नरम नीति अपनाना मुख्यमंत्री श्री कुमार की राजनीतिक विवशता है क्योंकि महागठबंधन में शामिल दलों और नेताओं का नक्सली संगठनों और उसके नेताओं से सीधा कनेक्शन है। बिहार में नक्सलियों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है। उन्होंने कहा कि पूर्व में भी नक्सलियों के खिलाफ चलाये गये ‘आॅपरेशन ग्रीन हंट’ का भी श्री कुमार ने विरोध किया था। श्री यादव ने कहा कि नक्सलियों की समस्या के समाधान के लिये केंद्र सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के कल हुये सम्मेलन में श्री कुमार का दिया गया भाषण उनकी नाकामियों पर परदा डालने वाला है। केन्द्र की कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में चार वर्ष पूर्व केन्द्रीय खुफिया एजेंसियों की संयुक्त सर्तकता समिति ने प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार को सौंपी अपनी छह पेज की रिपोर्ट में कहा था कि बिहार सरकार माओवादियों के प्रति नरम रुख अपना हुआ है। भाजपा नेता ने कहा कि इससे पूर्व नब्बे के दशक में भी बिहार सरकार नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की समिति में शामिल होने से यह कहकर इनकार करती रही कि बिहार में ऐसी कोई समस्या नहीं है जबकि उस वक्त नक्सली हिंसा से मध्य बिहार का इलाका काफी प्रभावित था। उन्होंने कहा कि उस समय सरकार किसकी थी सब जानते हैं।
श्री यादव ने कहा कि बिहार के नक्सल प्रभावित इलाकों में न सड़क बन रही है और न ही केंद्र सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से हो रहा है। सुरक्षात्मक प्रबंधों के लिये मिल रही राशि का सदुपयोग तक नहीं हो रहा है जबकि केंद्र वामपंथ उग्रवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिये प्रति वर्ष 40 करोड़ रुपये देती रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2016-17 में उग्रवाद प्रभावित 44 जिलों में बारहमासी सड़क बनाने के लिये 11,725 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी इसके लिये सड़क ‘‘सम्पर्कता घटक’’ बनाकर वर्ष 2020 तक काम पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस मद में बड़ी राशि बिहार को भी मिली है। भाजपा नेता ने कहा कि इतिहास गवाह है कि महागठबंधन में शामिल दल के नेताओं के माओवादियों से मधुर संबंधों की चर्चा सुर्खियों में रही है। नक्सलियों की मदद से मध्य बिहार के अधिसंख्य जिलों में चुनावी वैतरणी पार करने वाले नेता माओवादियों के पैरोकार रहे हैं। इसलिए, नक्सलियों के प्रति अपने साफ नजरिये पर परदा डालने के लिये श्री कुमार का भाषण पूरी तरह जनता को भ्रमित करने और राज्य सरकार के निक्कमेपन को छिपाने वाला है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री कुमार ने सोमवार को गृह मंत्रालय की ओर से वामपंथी उग्रवाद के समाधान पर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित समीक्षात्मक बैठक में केंद्र सरकार पर चौदहवें वित्त आयोग की अनुशंसाओं को ढाल बनाकर नक्सलवाद के खिलाफ संघर्ष के लिए बनाई गई योजनाओं को बंद करने या राज्यों को इस मद में दी मिलने वाली राशि में कटौती करने का आरोप लगाते हुये कहा था कि संसाधनों के अभाव में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ प्रभावकारी कार्रवाई सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं हो सकेगा।
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