विशेष : सरसों के जी.एम. बीज के विरोध में गांधीवादी लामबंद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 22 जून 2017

विशेष : सरसों के जी.एम. बीज के विरोध में गांधीवादी लामबंद

  • गांधीवादियों ने सरसों जी.एम.् बीज को लेकर भेजा प्रधानमंत्री को ज्ञापन 

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भोपाल। सरकार के द्वारा सरसों के जीन परिवर्तित बीज की किस्म ‘जेनेटिकली मोडीफाइड सीड्स‘ को लाये जाने का विरोध में प्रधानमंत्री को गांधीवादी जनों ने ज्ञापन भेजा है। प्रख्यात गांधीवादी डा.एस.एन. सुब्बराव ने कहा कि इससे खेती किसानी और जन जीवन पर बहुत ही बुरा प्रभाव पडे़गा। ज्ञापन के माध्यम से जीण्एमण् मस्टर्ड और जी.एम.खाद्य का विरोध करते हुये प्रधानमंत्री से किसानों, उपभोक्ताओं, पर्यावरण और देश हित में निर्णय लेकर इसको तत्काल रोकने की मांग की गयी है। एकता परिषद के संस्थापक डा. राजगोपाल पी.व्ही. ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी स्वयं अपने घोषणा पत्र में कहा है कि जी.एम.खाद्य के द्वारा लम्बी अवधि में मिट्टी के उत्पादों तथा लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों की वैज्ञानिक प़द्धिति से जांच कराये बिना अनुवांसिक रुप से संशोधित बीज के उपयोग की सहमति नहीं दी जायेगी। जबकि जी.एम. मस्टर्ड से लम्बी अवधि में होने वाले प्रभावों की वैज्ञानिक जांच अब तक नहीं की गई है। एकता परिषद के अध्यक्ष डा. रनसिंह परमार ने कहा कि देश में लगभग 5 लाख परिवारों की आजीविका मधुमक्खी पालन पर निर्भर है, जो लगभग 90000 मीट्रीक टन शहद उत्पादित करते हैं जिसमें से लगभग 35000 मीट्रीक टन निर्यात किया जाता है जिसकी कीमत बाजार में लगभग 350 करोड़ रुपये है। इसमें से 60 प्रतिशत शहद का उत्पाद सरसों से है। अनुवांसिक रुप से संशोधित इस प्रकार के सरसों के बीज से मधुमक्खियों पर बुरा असर पड़ेगा। गांधी स्मारक निधि, नई दिल्ली के संजय सिंह ने कहा कि सत्ताधारी सरकार अनुवांसिक रुप से सशोधित बीज लाकर देश की कृषि योग्य भूमि, लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के साथ घिनौना खेल खेलना चाहती है। गांधी भवन न्यास के दयाराम नामदेव ने कहा कि देष में कैंसर बुरी तरह से फैल रहा है और आई.सी.एम.आर.का कहना है के 2020 तक कैंसर के 17.3 लाख नये रोगी बढ़ेंगे। ऐसी परिस्थिति में आवश्यकता इस बात की है कि देश की सरकार खाद्य पदार्थाे की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दे न कि जी.एम. बीज बना कर रोग में बढ़ोतरी करे। जलाधिकार अभियान के अनिल भाई ने कहा कि हमारे देश की सरकार इस बात से अनभिज्ञ नहीं होगी कि विश्व के 38 देश जी.एम. बीज पर रोक लगाते हुये जैविक खेती की ओर अपना कदम तेजी से बढ़ा रहे हैं। एकता परिषद के संयोजक अनीश कुमार ने कहा कि ऐसे पर्याप्त सबूत उपलब्ध हैं जो यह बताते हैं कि जी.एम. बीज कृषि भूमि, लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिये हानिकारक है। सरकार यदि इसे नहीं रोकती है तो इसका बड़े पैमाने पर सड़क पर विरोध किया जायेगा। देश के जाने माने सर्वाेदयी एवं गांधीवादी डा. एस.एन.सुब्बाराव, प्रमुख राष्ट्रीय युवा परियोजना, डा. राजगोपाल पी.व्ही., संस्थापक एकता परिषद, श्री दयाराम नामदेव, सचिव, गांधी भवन, भोपाल, श्री रनसिंह परमार, अध्यक्ष, एकता परिषद, तथा श्री संजय सिंह, गांधी स्मारक निधि, नई दिल्ली, सहित देश के माने जाने 100 सामाजिक कार्यकर्ताओं के हस्ताक्षर सहित ज्ञापन प्रधानमंत्री महोदय को भेजा गया।

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