‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम फुस्स : चिदम्बरम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 16 जुलाई 2017

‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम फुस्स : चिदम्बरम

make-in-india-program-fusce-chidambaram
नयी दिल्ली, 16 जुलाई, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम का कहना है कि दुनिया में भारत को विनिर्माण क्षेत्र का केंद्र बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले जिस ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की घोषणा की थी वह पूरी तरह विफल रहा है। श्री चिदम्बरम ने कहा है कि सत्ता में आने के बाद श्री मोदी ने देश को विनिर्माण क्षेत्र का प्रमुख केंद्र बनाने की घोषणा की थी और वह सचमुच बहुत अच्छी पहल थी क्योंकि कोई भी देश तब ही समृद्ध बन सकता है जब वह अपने लोगों की आवश्यकता की जरूरी वस्तुओं का खुद निर्माण करता है, लेकिन दो साल में मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ नीति घोषणा भर ही बन कर रह गयी है। इस दौरान सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र का निवेश पाने के प्रयास भी बेकार साबित हुये हैं। पूर्व वित्त मंत्री ने पार्टी के मुख पत्र ‘कांग्रेस संदेश’ के ताजा अंक में प्रकाशित एक लेख में कहा “प्रधानमंत्री मोदी बिल्कुल सही थे जब उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार का लक्ष्य, ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को सर्वोच्च प्राथमिकता देना है। तब उन्होंने विश्व की विनिर्माण कंपनियों को ‘आओ और भारत में बनाओ’ कहकर आमंत्रित किया था। कोई भी बड़ा देश समृद्ध तभी बनता है जब वह अपने लोगों के उपयोग की वस्तुओं का विनिर्माण शुरू करता है। कोई भी देश यदि अपने लोगों की आवश्यकता वाली वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करने में सक्षम है वह तब ही समृद्ध हो सकता है। ” श्री चिदम्बरम ने कहा कि अब दो साल बाद ‘मेक इन इंडिया’ की स्थिति क्या है यह सबके सामने है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने विनिर्माण के सकल मूल्य संवर्धन(जीवीए)के जो आंकड़े दिए हैं उसमें 2015-16 की चौथी तिमाही और 2016-17 चौथी तिमाही के बीच लगातार गिरावट दर्ज की गयी है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने 15 अगस्त 2015 को ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की घोषणा की थी और उसके बाद कहीं भी यह कार्यक्रम तेज पकड़ता नहीं दिखा है। विनिर्माण क्षेत्र के इस घोषणा से तेजी पकड़ने के उलट इसकी गति काफी धीमी पड़ गयी। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि जब सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अहम कार्यक्रम के जरिए देश को विनिर्माण क्षेत्र का हब बनाने और इसके लिए कार्यक्रम शुरू किया तो इसके संचालन के लिए उचित प्रशासनिक ढांचागत व्यवस्था तैयार नहीं की गयी। परिणाम यह हुआ कि देश की सकल स्थिर पूंजी संरचना(जीएफसीएफ) हर तिमाही में गिरती रही और एक साल में इसमें 2.3 प्रतिशत की कमी आ गयी, जो एक तरह की आपदा है। उन्होंने कहा यह कार्यक्रम अच्छा था लेकिन इसे संचालित करने और गति देने में सरकार असफल रही जिसके कारण यह त्रासदी बन गया है। उन्होंने लिखा “मैंने मेक इन इंडिया’ का स्वागत किया था। यह अभिनव और नई आकांक्षा पैदा करने वाला था लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा लगता है कि घोषणा से पहले इसके लिए कोई तैयारी नहीं की गयी और बाद में भी कोई नीतिगत बदलाव नहीं हुए और मेक इन इंडिया एक खोखला नारा बन कर रह गया।”

कोई टिप्पणी नहीं: