पटना 19 अगस्त, बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड(जदयू)ने कांग्रेस पर देश में विपक्षी एकता की मंशा नहीं रखने का आरोप लगाते हुये आज कहा कि एकता के लिए उसके निरंतर प्रयासों के बावजूद सफलता नहीं मिली और यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस में विकल्प बनने की क्षमता ही नहीं है। जदयू की आज यहां राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया है कि कांग्रेस आज भी केंद्र में साझा सरकार बनवाने और बाद में उसे गिराने की मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाई है। उसने चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर, एच. डी. देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल को आगे कर केंद्र में सरकार बनवाई और बाद में वादे से मुकरकर समर्थन वापस ले लिया। आज भी इसी मंशा के साथ राजनीति कर रही कांग्रेस ने जदयू के निरंतर प्रयासों के बावजूद कभी भी वैकल्पिक नीतियों और कार्यक्रमों पर आधारित विपक्षी एकता की ईमानदार कोशिश नहीं की। विपक्षी एकता के लिए बिहार में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल(राजद) और जदयू के साथ बने महागठबंधन की तर्ज पर देश में एक मजबूत विकल्प बनाने के लिए वर्ष 2015 से 2017 तक लगातार प्रयास करने के बाद यह महसूस किया गया कि कांग्रेस में विकल्प बनने की क्षमता ही नहीं है। पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव के बाद असम के चुनाव में जदयू ने पहल कर साझा विकल्प की हर संभावना तलाशी लेकिन इस पर कांग्रेस लगातार निष्क्रिय और उदासीन बनी रही। वहीं, असम गण परिषद् और यूनाईटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट(यूडीएफ) नेता विपक्षी एकता के लिए जदयू के साथ सक्रिय रहे।
जदयू ने कहा कि इसके बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी उसकी ओर से कोशिश की गई कि बिहार की तरह यहां भी विपक्षी पार्टियां वैकल्पिक नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर मिलकर चुनाव लडें। इस प्रयास में राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते कांग्रेस से उम्मीद की गई कि वह पहल करेगी। लेकिन, चुनाव के लिए जब गठबंधन बनाने की बात हुई तो उसमें जदयू को अहमियत नहीं दी गई। चुनाव परिणाम आने के बाद भी विपक्ष यह समझने को तैयार नहीं हुआ कि जनता क्या चाहती है। इसके बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पिछले साल पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में भी कांग्रेस से विपक्षी एकता के लिए पहल करने की अपील की। कार्यक्रम में आये कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से नेतृत्व संभालने और विपक्ष की एकजुटता का प्रयास करने को लेकर खुली चर्चा हुई। प्रस्ताव में कहा गया है कि जदयू लगातार प्रयास करता रहा है कि देश में वैकल्पिक कार्यक्रमों और नीतियों के साथ एक सशक्त विकल्प बन सके, जिसके पास राष्ट्र निर्माण का सपना और संकल्प हो। लेकिन इस दिशा में सहयोग नहीं मिल सका। दो वर्षों के अथक प्रयास के बाद यह स्पष्ट हो गया कि कांग्रेस में विकल्प बनने की क्षमता ही नहीं है।
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