नयी दिल्ली 11 दिसंबर, प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने सरकार को अगामी बजट में कर सुधार का रोडमैप जारी करने का सुझाव देते हुये कहा है कि इससे निवेशकों को अधिक पारदर्शिता मिलेगी और सभी छूट को समाप्त कर न्यूनतम वैकल्पिक कर (एमएटी) को 20 फीसदी किया जाना चाहिए ताकि भारतीय कंपनियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकें। वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ आज यहां बजट पूर्व परिचर्चा के दौरान अर्थशास्त्रियों ने कई सुझाव दिये। उन्होंने कहा कि सरकार को वित्तीय सुदृढ़ीकरण जारी रखना चाहिए। किसी कारण से यदि वित्तीय लक्ष्याें को हासिल नहीं किया जा सकता है तो उसे स्पष्ट किया जाना चाहिये। उन्होंने वृहद अर्थव्यवस्था की स्थिरता से समझौता किये बगैर बुनियादी ढाँचे में निवेश को प्रोत्साहित करने के साथ ही छोटे एवं मझौले उद्यम और निर्माण क्षेत्र को आर्थिक तौर पर सक्षम बनाने के उपाय किये जाने की सिफारिश की। इसके साथ ही महंगाई को चार से छह प्रतिशत के दायरे में रखने को ध्यान में रखते हुये किसानों को उनके उत्पादों के बेहतर मूल्य दिये जाने की भी वकालत की है। श्री जेटली के साथ इस परिचर्चा में भाग लेने वालों में जे.पी. मॉर्गन के मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री साजिद चिनॉय, एनआईएफपी निदेशक डॉ. रतिन रॉय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के जीन ड्रेज, जॉश फेल्मन, बिजनेस स्टैंडर्ड के अध्यक्ष टी.एन. निमन, ओएक्सयूएस इंवेस्टमेंट के प्रबंध निदेशक सुरजीत एस. भल्ला, आदित्य बिड़ला समूह के मुख्य अर्थशास्त्री अजीन रनाडे, आईआईएफटी के निदेशक मजोज पंत, फोरम फाॅर स्ट्रेटिजिक इनिशियेटिव के अध्यक्ष अरविंद वीरमानी, जेएनयू के सीईएसपी के एसोसियेट प्रोफेसर हिमांशु, एनसीएईआर के महानिदेशक शेखर शाह, एचएसबीसी की मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी, फाइनेंशल एक्सप्रेस के प्रबंध संपादक सुनिल जैन, विश्व बैंक की लीड अर्थशास्त्री रिंकु मुरगल, सेंटर फॉर पाॅलिसी रिसर्च के पार्थ मुखोपाध्याय और आईसीआरआईईआर के निदेशक एवं मुख्य अर्थशास्त्री रजत कथुरिया शामिल थे। इस दौरान नीति आयोग के उपायक्ष राजीव कुमार और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष एवं नीति आयोग के सदस्य बिबेक देबरॉय भी मौजूद थे।
सोमवार, 11 दिसंबर 2017
बजट में कर सुधार का रोडमैप जारी करने का सुझाव
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