बिहार : "जन वितरण प्रणाली खत्म करने की तैयारी कर रही है सरकार" : प्रीति सिन्हा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 24 जनवरी 2021

बिहार : "जन वितरण प्रणाली खत्म करने की तैयारी कर रही है सरकार" : प्रीति सिन्हा

  • कृषि कानूनों के खिलाफ़ बिहार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करे सरकार: गोपाल रविदास"
  • "कम्पनी राज थोपना चाहती है सरकार" : डी.एम.दिवाकर
  • "जम्हूरियत के खिलाफ हैं तीनो कृषि कानून": इमरान
  • नागरिक अभियान "किसानों के साथ हम पटना के लोग" के छठे दिन फुलवारी शरीफ के पेठिया बाज़ार के पास आयोजित सभा में जुटे सैकड़ों लोग
  • तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को तत्काल रद्द करने की उठायी मांग, 30 जनवरी को विराट मानव श्रृंखला में शामिल होने का हुआ आह्वान

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पटना ( 24  जनवरी) : केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ रविवार को फुलवारी शरीफ के पेठिया बाज़ार पर ऑल इंडिया पीपल्स फोरम (एआइपीएफ) के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम "किसानों के साथ हम पटना के लोग" में छठे दिन प्रबुद्ध नागरिक समाज के अनेक लोग जुटे और तीन कृषि कानूनों के जनविरोधी परिणामों से लोगों को अवगत कराते हुए किसान आंदोलन के साथ एकजुट होने का आह्वान किया. सभा को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य वक्ता भाकपा-माले के फुलवारी शरीफ विधायक गोपाल रविदास ने कहा कि मोदी सरकार आम-अवाम की थाली से दाना-पानी छीनकर अंबानी-अडानी जैसे पूंजीपतियों के लिए देश में कंपनी राज स्थापित करना चाहती है.  उन्होंने इन कानूनों को असंवैधानिक बताते हुए केंद्र सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि देश से लोकतंत्र खत्म कर लोगों को दाने-दाने का मोहताज बनाने की तैयारी है जिसके खिलाफ किसान आज सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं. लोगों से किसान आंदोलन का समर्थन करने की अपील करते हुए माले विधायक ने कहा कि आने वाले विधानसभा सत्र में भाकपा-माले महागठबंधन की अन्य पार्टियों के साथ मिलकर नीतीश सरकार पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की पुरजोर मांग उठाएगी. ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक , अर्थशास्त्री प्रो. डी.एम. दिवाकर ने तीन कृषि कानून के बारे में लोगों को विस्तार से बताते हुए कहा कि पूंजीपतियों के पक्ष में बनाए गए ये कानून जिस तरह से संसद से पारित किए गए वह जम्हूरियत के खिलाफ है. किसान सिर्फ खेती-किसानी बचाने की नहीं, बल्कि जम्हूरियत बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. "फिलहाल" पत्रिका की संपादक प्रीति सिन्हा ने कहा कि इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब से शुरू हुआ आंदोलन आज पूरे देश का आंदोलन बन चुका है. अगर ये लागू हो जाएंगे तो धीरे-धीरे जनवितरण प्रणाली की व्यवस्था खत्म हो जाएगी और आम-अवाम की थाली से भोजन छिन जाएगा. लिहाजा इनके खिलाफ हमारा-आपका एकजुट होना ज़रूरी है. इस दौरान युवा कवि अंचित ने हिंदी के प्रसिद्ध कवि केदारनाथ सिंह की कविता के साथ स्वरचित कविता 'किसान आंदोलन के साथ' का पाठ करते हुए आंदोलन रत किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित की. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए युवा पत्रकार मो. इमरान ने किसान आंदोलन को ऐतिहासिक बताते हुए , उठाए जा रहे सवालों को देश की आम अवाम के भोजन के अधिकार से जोड़ते हुए इसे जम्हूरियत की लड़ाई बताया और इसके समर्थन की अपील की. कार्यक्रम का संचालन करते हुए इस नागरिक अभियान के संयोजक एआइपीएफ से जुड़े वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ग़ालिब ने मोदी सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि दो महीनों से भीषण ठंड में किसान सड़कों पर हैं और 150 से ज़्यादा किसानों की जान जा चुकी है. यह मौत नहीं, मोदी सरकार द्वारा की गई  सांस्थानिक हत्या है. लिहाजा व्यापक समाज को इस आन्दोलन से जोड़ना हम सबकी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है. इसी मकसद से यह अभियान चलाया जा रहा है. "किसानों के साथ हम पटना के लोग" नामक इस नागरिक अभियान का यह पांचवा दिन था जो पटना के अलग अलग इलाकों में गणतंत्र दिवस (26 जनवरी )तक चलेगा. इसमें सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता, कवि-साहित्यकार, प्राध्यापक-चिकित्सक, कवि,गायक,रंगकर्मी, युवा-मजदूर आदि समाज के सभी तबके भाग ले रहे हैं. गीत, कविता, नुक्कड़ नाटक व वक्तव्यों से किसान आंदोलन के समर्थन का आह्वान किया जा रहा है.  उक्त वक्ताओं के अलावा कार्यक्रम में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता रणजीव, अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश सह सचिव उमेश सिंह, गुरुदेव दास, जितेंद्र कुमार, अनवर हुसैन, इंकलाबी नौजवान सभा के साधु शरण, अफशां जबीं व मो.सोनू समेत नागरिक समाज के दर्जनों लोग मौजूद थे.  अभियान के छठे दिन 25 जनवरी को दोपहर 1 बजे से यह कार्यक्रम दानापुर रेलवे स्टेशन के दक्षिणी भाग पर आयोजित किया जाएगा. 

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