बिहार : लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली हर लिहाज से ऐतिहासिक होगी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 14 फ़रवरी 2023

बिहार : लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली हर लिहाज से ऐतिहासिक होगी

  • पटना समेत पूरे बिहार से आए बुद्धिजीवियों व आंदोलनकारी सामाजिक कार्यकर्ताओं की भी अच्छी-खासी भागीदारी
  • रैली में शामिल होने के लिए लोगों के पटना पहुंचने का सिलसिला आज से ही शुरू

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पटना 14 फरवरी, कल 15 फरवरी 2023 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में होनेवाली ‘लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली हर लिहाज से ऐतिहासिक होने जा रही है. बिहार के कोने-कोने से, सभी जिलों के गांवों और कस्बों-शहरों से, भारी तादाद में लोग इस रैली में पहुंचेंगे. इनमें गरीब-दलित खेत ग्रामीण मजदूरों, किसानों के साथ ही छात्र-युवाओं, महिलाओं, स्कीम वर्कर्स और पटना राजधनी पटना समेत पूरे बिहार से आए बुद्धिजीवियों व आंदोलनकारी सामाजिक कार्यकर्ताओं की भी अच्छी-खासी भागीदारी होगी. यह रैली आज देश व राज्य के सामने मौजूद ज्वलंत जन समस्यायों, बेरोजगारी, महंगाई, वास-आवास से विस्थापन, स्वास्थ्य-शिक्षा-सम्मानपूर्ण जीविका पर मंडराता खतरा, महिलाओं पर बढ़ती हिंसा, सांप्रदायिक भेदभाव-नपफरत-उन्माद और बटाईदार किसानों की दुर्दशा और किसानों  के एमएसपी - इन सवालों पर रैली का मुख्य फोकस रहेगा.

भाकपा (माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य इस रैली को मुख्य वक्ता के बतौर संबोधित करेंगे. झारखंड के विधायक विनोद कुमार सिंह, अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव व पूर्व विधयक राजाराम सिंह, अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा, बिहार में विधायक दल के नेता महबूब आलम व उप नेता सत्यदेव राम, स्कीम वर्कर्स की राष्ट्रीय नेता शशि यादव, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी आदि समेत कई अन्य नेता भी रैली के वक्ता होंगे. माक्र्सवादी समन्वय समिति (मासस), आरएमपीआइ - पासला (पंजाब), लाल निशान पार्टी व सत्यशोधक कम्युनिस्ट पार्टी (महाराष्ट्र) आदि समान धर्मी सहयोगी पार्टियों के नेता भी रैली मंच को सुशाभित करेंगे.


रैली में शामिल होने के लिए लोगों के पटना पहुंचने का सिलसिला आज से ही शुरू हो गया है और ऐसा लगता है भाकपा (माले) की यह रैली पिछली सारी रैलियों का रिकार्ड तोड़ देगी. इस रैली से न केवल बिहार की, बल्कि देश की राजनीति को भी एक नई दिशा मिलेगी. इस रैली के साथ ही भाकपा (माले) के 11वें महाधिवेशन की भी शुरूआत होगी. भाकपा (माले) का 11वां महाधिवेशन (15-20 फरवरी 2023) श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में संपन्न होगा. ‘‘फासीवाद मिटाओ - लोकतंत्र बचाओ! शहीदों के सपनों का भारत बनाओ!!’’ के उद्घोष के साथ आयोजित हो रहे महाधिवेशन में कई महत्वपूर्ण कार्यभारों पर दस्तावेज पेश किए जायेंगे, उन पर गंभीर चर्चा की जायेगी और उन्हें पारित करने के साथ ही अगले पांच वर्षों तक उनसे मिली दिशा के आधार पर पूरे देश भर में बहुआयामी पहलकदमियां ली जायेंगी, आंदोलन तेज किया जायेगा. पहला विषय होगा - फासीवाद विरोधी जनप्रतिरोध का परिप्रेक्ष्य, दिशा व कार्यभार’. इसके तहत भारत के एक लोकतांत्रिक, समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष स्वरूप और स्वतंत्रता, बराबरी, भाईचारा और सामाजिक न्याय के घोषित मूल्यों पर होनेवाले हमलों का कारगर प्रतिरोध खड़ा करना और फासीवादी विचारधारा को राज व समाज दोनों ही जगहों से बेदखल करने की समग्र रणनीति पर गहरा विचार विमर्श किया जायेगा. अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति पर चर्चा के दौरान विश्वव्यस्था में आ रहे बदलावों पर विचार करते हुए लैटिन अमरीका में अमरीकी साम्राज्यवाद के खिलाफ सफलताओं व यूरोप में धुर दक्षिणपंथी आंदोलनों के उभार, युक्रेन युद्ध की समस्या तथा अफ्रीका व एशिया, आस्ट्रेलिया महाद्वीप समेत भारत के पड़ोसी देशों चीन, पाकिस्तान, नेपाल आदि पर खास निगाह डाली गई है. श्रीलंका में पिछले दिनों के घटनाक्रम जिसमें अडानी व अंबानी के खिलाफ उभरे जनविक्षोभ ने राष्ट्रपति राजपक्षे को देश छोड़ने व सत्ता त्यागने पर मजबूर कर दिया और नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टियों की सत्ता में वापसी का स्वागत करते हुए भाकपा (माले) पड़ोसी मुल्कों के साथ बराबरी व परस्पर सम्मान के आधार पर मित्रातापूर्ण संबंध कायम करने तथा दुनिया भर की जनविरोधी सरकारों के खिलाफ उभर रहे लोकप्रिय जनांदोलनों का समर्थन करने की अपनी नीति को विस्तार देने पर विचार मंथन करेगी.


राष्ट्रीय परिस्थिति में जहां कारपोरेट-फासीवादी मोदी सरकार पिछले आठ वर्षों से सत्ता पर काबिज है और देश संविधान, लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, संस्थानों की स्वायत्तता, नागरिकों के अधिकार, सामाजिक न्याय, संघीय ढांचे, संस्कृति, शिक्षा, इतिहास समेत लोकतांत्रिक व प्रगतिशील भारत की हर पहचान पर करारा हमला कर रही है, वामपंथ को मजबूत बनाना और भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिए व्यापक विपक्षी एकता का निर्माण करना प्राथमिक कार्यभार के बतौर स्वीकार किया गया है. महाधिवेशन में इस दिशा में आगे बढ़ने के व्यावहारिक कदमों पर जरूरी बहस की जायेगी. भाकपा (माले) महाधिवेशन में जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण पर पहली बार एक विशेष दस्तावेज लाया गया है जिसमें दुनिया के सर्वाधिक अमीर मुल्कों द्वारा भारत समेत दुनिया के गरीब मुल्कों पर इसका बोझ लाद देने का विरोध करते हुए भारत में अडानी-अंबानी समेत अन्य पूंजीपतियों को जल-जंगल-जमीन की लूट की खुली छूट दिये जाने से उत्पन्न पर्यावरणीय खतरों - जोशीमठ जैसी त्रासदी, अकाल व बाढ़ के संकट, तूफानी चक्रवात आदि के प्रति जनता को सचेत करते हुए इसके खिलाफ लोकप्रिय नागरिक विरोध खड़ा करने के कार्यभार पर विचार किया जाएगा. महाधिवेशन में पार्टी के संविधान और सामान्य कार्यक्रम में भी कतिपय संशोधन प्रस्तावों पर विचार किया जायेगा. साथ ही पार्टी संगठन को देश के समक्ष मौजूद फासीवादी चुनौती से निपटने में सक्षम बनाने हेतु ज्यादा गतिशील, प्रतिबद्ध व जागरूक बनाने हेतु पार्टी कतारों व नेताओं को वैचारिक रूप से मजबूत बनाने का कार्यभार पर विचार किया जायेगा. महाधिवेशन किसानों, खेत मजदूरों, स्कीम वर्कर्स, महिलाओं, छात्र-नौजवानों के मोर्चे पर भी कई कार्यभारों को सूत्रबद्ध करने और उनके आधार पर तमाम तबकागत आंदोलनों को भी नई गति व उंचाई देने पर विचार मंथन करेगा.

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