कविता : फिर वही दिन आया है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 26 जनवरी 2025

कविता : फिर वही दिन आया है

सत्य, अहिंसा और लोकतंत्र का मार्ग,

हमें हमारे संविधान ने बताया है,

2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन की मेहनत से,

भारत ने यह पवित्र संविधान पाया है,

251 पन्ने में पूरा एक भारत समाया है,

इसी संविधान ने भारत में लोकतंत्र को बताया है,

न्याय, स्वतंत्रता, समानता और धर्मनिरपेक्षता, 

यही है इसकी नींव और जीवन की सापेक्षता,

दुनिया में संविधान ने भारत का मान बढ़ाया है,

तभी तो भारतवासी ने इसे सर आंखों पर बिठाया है,

संशोधन है इसकी जीवंतता का सामान और,

न्याय है इसकी नैतिकता का प्रमाण,

भारत के संविधान ने ही विश्व गुरु का मंत्र बताया है,

और दुनिया में भारत को सम्मान दिलाया है,

आज भारतीय गणतंत्र का फिर वही दिन आया है,

जिस दिन हमने इस संविधान को अपनाया है।।



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अंशु कुमारी

मुजफ्फरपुर, बिहार

चरखा फीचर्स

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