सीहोर : आज रवाना होंगे गया के लिए लिए श्रद्धालु जत्था - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 10 अगस्त 2025

सीहोर : आज रवाना होंगे गया के लिए लिए श्रद्धालु जत्था

  • आवश्यकता है निर्मल मन और स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की: : कथा वाचक पंडित चेतन उपाध्याय

Sehore-piligrim
सीहोर। हमारे अंधकार को दूर कर प्रकाश रूपी ज्ञान भगवान प्रदान करता है। भगवान की लीला अपरंपार है। वे अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। श्रीमद भागवत कथा के महत्व को समझाते हुए कहा कि भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है, आवश्यकता है निर्मल मन और स्थिर चित्त के साथ कथा श्रवण करने की। उक्त विचार शहर के इंदौर नाके स्थित अपने निवास पर जारी एक दिवसीय सत्संग के दौरान कथा वाचक पंडित चेतन उपाध्याय ने कहे। रविवार को पंडित श्री उपाध्याय ने यहां पर आए श्रद्धालुओं को भुजरिया पर्व का आशीर्वाद दिया और कहाकि यह पर्व हमारे लिए परम्परा से बढ़कर संस्कार है। जिनका पालन करना जरूरी है। इन परम्पराओं के माध्यम से हम सब एकता की ओर चलते है। इसलिए सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए संस्कारों की आवश्यकता है।


इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार कथा वाचक पंडित श्री उपाध्याय की आगामी कथा बिहार के गया में है और सोमवार को वह रवाना होंगे। इससे पहले उन्होंने शहर के बस स्टैंड के समीपस्थ गीता मानस भवन में श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया था, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। रविवार को एक दिवसीय मिलन समारोह के साथ प्रवचन के दौरान कहाकि भागवत कथा सभी ग्रन्थों का सार है, यह तो हम जानते हैं मगर इस सार के पीछे जो रहस्य छिपा हुआ है वो कोई नहीं जानता। इस कथा में जो उपदेश अलग-अलग प्रसंगों में दिए गए है उसका पालन करना एवं उसके साथ-साथ मनुष्य जीवन में इस कथा के प्रत्येक प्रसंग के महत्व को समझकर उस पर चिंतन मनन करते हुए मनुष्य जीवन यापन करना ही मानव का धर्म है और यही भागवत पुराण सीखा रहा है। भगवान श्री कृष्ण अपनी लीलाओं के माध्यम से मनुष्य व देवताओं के धर्मानुसार आचरण करने के लिए प्रेरित करते हैं। भागवत कथा में जीवन का सार तत्व मौजूद है। आवश्यकता है निर्मल मन ओर स्थिर चित के साथ कथा श्रवण करने की और इस सार को समझने की। भागवत श्रवण से मनुष्य को परमानंद की प्राप्ति होती है। 

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