पटना : राहुल गांधी ने पेश किए चुनावी धांधली के ठोस सबूत : दीपंकर भट्टाचार्य - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


शुक्रवार, 8 अगस्त 2025

पटना : राहुल गांधी ने पेश किए चुनावी धांधली के ठोस सबूत : दीपंकर भट्टाचार्य

dipankar-bhattacharya
पटना, 8 अगस्त (रजनीश के झा)। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 2024 के आम चुनाव में बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हुई चुनावी धांधली के ठोस सबूत पेश किए हैं। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर गंभीरता से ध्यान देगा, दोषियों को सख़्त सज़ा दिलवाएगा और भविष्य में ऐसी धांधली की गुंजाइश ख़त्म करने के लिए बिहार में चल रहे विशेष पुनरीक्षण (SIR) को तुरंत रोकेगा। महादेवपुरा/बेंगलुरु सेंट्रल कोई अलग-थलग मामला नहीं है। यहां वही तरीका अपनाया गया है, जिसके ज़रिए कई चुनावों में मतदाता सूचियों में हेराफेरी कर नतीजे बदले गए हैं। अगर मोदी 3.0 सरकार ऐसी मनगढ़ंत सूचियों और चुनिंदा क्षेत्रों में चोरी किए गए चुनावों के आधार पर बनी है, तो पूरे नतीजे की वैधता पर गंभीर सवाल उठता है।


उच्चस्तरीय जांच कराने के बजाय चुनाव आयोग राहुल गांधी को रोकने और डराने में लगा है। आयोग उनसे एक ऐसा शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करवाना चाहता है, जिसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।  मतदाता सूची में 1 लाख से ज़्यादा संदिग्ध नामों वाले इतने बड़े घोटाले का पर्दाफ़ाश करना, किसी एक-दो नाम पर स्थानीय स्तर पर आपत्ति दर्ज कराने जैसा नहीं है, जो वैसे भी 30 दिन के भीतर करना होता है। चुनाव आयोग को अब पूरी मतदाता सूची मशीन से पढ़े जा सकने वाले फ़ॉर्मेट (जैसे एक्सेल या CSV) में उपलब्ध करानी चाहिए। बिहार के चल रहे एसआईआर में बूथ-स्तर पर हटाए गए नामों और हटाने के कारणों की सूची न देकर, आयोग बिहार में भी इसी तरह की धांधली का रास्ता खोल रहा है। ज़रूरी चुनावी रिकॉर्ड (फुटेज) को 45 दिनों में नष्ट करने का नियम बदलना, और जब गड़बड़ियां साफ़ दिख रही हों तब भी मसौदा सूची के प्रकाशन के 30 दिनों के भीतर दावे-आपत्तियों की औपचारिक प्रक्रिया का हवाला देकर लिस्ट का बचाव करना—सिर्फ़ और ज़्यादा धांधली को बढ़ावा देगा। यह सब चुनावी धोखाधड़ी रोकने और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी है। सुप्रीम कोर्ट और जनता को अब चुप नहीं रहना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं: