पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रश्नों का जवाब नहीं मिली. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 29 जनवरी 2012

पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रश्नों का जवाब नहीं मिली.


ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों से जुड़े कुछ मुद्दों को लेकर बीते साल नवंबर में उत्तर प्रदेश की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों को पत्र लिखा था, लेकिन आज तक उसे किसी भी दल का जवाब नहीं मिला है। राजनीतिक दलों के इस रवैये से नाराज बोर्ड ने अब आम लोगों के बीच इन मुद्दों को लेकर मुहिम तेज करने का फैसला किया है। चुनाव के इस मौसम में बोर्ड जिन चार मुद्दों को लेकर अपनी मुहिम चला रहा हैं, वे शिक्षा का अधिकार कानून, वक्फ संशोधक विधेयक-2010, प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक और उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार कानून हैं। 

बोर्ड के प्रवक्ता अब्दुल रहीम कुरैशी ने बताया, हमने बीते साल नवंबर में सभी दलों को पत्र लिखकर उनके सामने चारों मुद्दे रखे थे। अब तक हमें किसी का जवाबी पत्र नहीं मिला है। यह बात और है कि कुछ नेता और मंत्री जुबानी तौर पर वादे कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने हाल ही में मुंबई, आंध्र प्रदेश और कई अन्य जगहों पर इन मुद्दों पर लोगों को जगाने के लिए कार्यक्रम किए थे। अब अपनी इस मुहिम को हम तेज करेंगे। आने वाले समय में उत्तर प्रदेश के कई शहरों में ऐसे कार्यक्रम किए जाएंगे।

चुनावी मौसम में इन मुद्दों पर लोगों को जगाने की बात करने वाले मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि वह विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के पक्ष अथवा विरोध में बयान नहीं देगा क्योंकि वह कोई सियासी संगठन नहीं है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की मांग थी कि शिक्षा के अधिकार कानून के दायरे से मदरसों और धार्मिक शिक्षण संस्थानों को मुक्त किया जाए और पिछले दिनों सरकारी दिशा-निर्देश के जरिए धार्मिक संस्थानों को इस कानून के दायरे से अलग कर भी दिया गया है। अब बोर्ड का कहना है कि सरकारी दिशा-निर्देशों नहीं, बल्कि इस कानून में संशोधन के जरिए धार्मिक संस्थानों को इससे बाहर किया जाना चाहिए।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर भी पर्सनल लॉ बोर्ड की कई आपत्तियां रही हैं। वर्ष 2010 में इसे लोकसभा में पारित किया गया था, लेकिन मुस्लिम संगठनों की आपत्तियों के कारण इसे राज्यसभा की प्रवर समिति (सेलेक्ट कमेटी) के पास भेज दिया गया था। पिछले सत्र में समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी थी, हालांकि बोर्ड का अब भी कहना है कि उनकी आपत्तियों का निवारण नहीं किया गया है।

प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक का बोर्ड यह कहते हुए विरोध कर रहा है कि इसके कानून बन जाने के बाद सभी धार्मिक प्रतिष्ठान कर के दायरे में आएंगे जो बिल्कुल उचित नहीं है। उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार कानून-1951 में बोर्ड यह कहते हुए संशोधन की मांग कर रहा है कि यह मुस्लिम महिलाओं के हितों के मुताबिक नहीं है। बोर्ड का कहना है कि इस कानून में संशोधन किया जाना चाहिए ताकि शादी के बाद भी राज्य में मुस्लिम महिलाओं को अपने मां-बाप की जमीन में हिस्सा मिल सके। कुरैशी ने कहा कि इन मुद्दों को लेकर अब तक कोई राजनीतिक दल संजीदा नहीं दिखाई दिया है। कुछ नेताओं ने जुबानी वादे किए हैं, लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं हैं। हम अपनी मुहिम जारी रखेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: