सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर आज 83 साल की हो गयीं। सिनेमाई संगीत के सुनहरे दौर की साक्षी रहीं लता मंगेशकर का मानना है कि संगीत का मौजूदा दौर अलग है और उनके लिये नया है लिहाजा वह इससे दूर हैं। उन्होंने यह भी कहा कि गाना उन्होंने बंद नहीं किया, लेकिन वही गायेंगी जो उन्हें पसंद आयेंगे।
लता मंगेशकर ने कहा कि बदलाव दुनिया का दस्तूर है। मैंने फिल्म इंडस्ट्री में 1947 से 1995 तक जो दौर देखा, वह अलग था। अभी का दौर अलग है, मेरे लिये नया है। यह बदलाव लाजमी भी है क्योंकि फिल्में और कलाकार तक अब बदल गए हैं। इसीलिये मैं इस दौर से दूर हूं।
छत्तीस भाषाओं में और एक हजार से अधिक हिन्दी फिल्मों में गा चुकीं लता ने हालांकि यह भी कहा कि उन्होंने गाना बंद नहीं किया है, लेकिन अपनी पसंद से ही गाती हैं। उन्होंने कहा कि मैं गाना अभी भी गाती हूं, लेकिन जो मुझे अच्छा लगता है, बस वही। फिल्म उद्योग और संगीत में आये बदलाव को महसूस करने वाली लता के लिये कुछ रिश्ते नहीं बदले और उनमें से एक रिश्ता उनका और मशहूर फिल्मकार यश चोपड़ा का है।
लता ने कहा कि मुझे आजकल बहुत गुस्सा आता है जब लोग पूछते हैं कि आपने यश चोपड़ा की अगली फिल्म (जब तक है जान) में गाना क्यों नहीं गाया। मेरा और यशजी का रिश्ता पेशेवर नहीं बल्कि भाई-बहन का है। हम कभी गानों पर बात नहीं करते और उनके लिये नहीं गाने पर हमारा रिश्ता खत्म नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि फिल्म में ऐसी कोई परिस्थिति ना रही हो कि मेरा गाना उसमें रहे। मैंने उनकी हर फिल्म में गाया है और मैं कभी उन्हें मना नहीं करती हूं, लेकिन गाने या ना गाने से हमारे रिश्ते पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कई बड़े-बड़े फनकारों के साथ काम कर चुकीं लता ने यह भी कहा कि फिल्म जगत में अमिताभ बच्चन ऐसे शख्स हैं जिनकी वह बहुत इज्जत करती हैं। उन्होंने कहा कि मदन भैया (मदनमोहन), शंकर, जयकिशन, मजरूह साब और शैलेंद्र जैसे कई लोग मेरे करीबी थे। हमारा एक ग्रुप हुआ करता था। एक-एक करके सब चले गए। मौजूदा समय में एक शख्स ऐसे हैं जिनकी मैं बहुत इज्जत करती हूं और वह हैं अमिताभ बच्चन। लता ने कहा कि अमिताभ की शख्सियत में भारतीयता झलकती है। उनके पिताजी भी ऐसे ही थे। अमिताभ महान अभिनेता हैं, लेकिन कभी छोटी बात नहीं करते। मैं हिन्दी कविता पर काम करना चाहती हूं और उनसे इस बारे में जरूर राय लूंगी।
कई गैर फिल्मी एलबम कर चुकीं लता ने यह भी कहा कि इंटरनेट के आने के बाद संगीत उद्योग पर सबसे बुरा असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि आजकल दुर्भाग्य की बात यह है कि संगीत कंपनियां घाटे में जा रही है क्योंकि इंटरनेट पर सबकुछ उपलब्ध है। रिकॉर्ड नहीं बिकते जिससे कंपनियों को नुकसान होता है और वे कलाकारों को उचित रॉयल्टी नहीं दे पातीं। मौजूदा दौर के कलाकारों को क्या राय देंगी, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि उनकी राय की कोई जरूरत ही नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं क्या किसी को राय दूंगी। सभी अच्छा गा रहे हैं और लगातार गा रहे हैं। सुनिधि, श्रेया, सोनू, केके और दक्षिण के कुछ गायक बहुत अच्छा गा रहे हैं। लता की आवाज को लोगों ने सरस्वती का वरदान माना और वह खुद भी ऐसा महसूस करती हैं। उन्होंने कहा कि भगवान ने मुझे अच्छी आवाज दी तो मैं भी यह मानती हूं कि यह वरदान ही है। उसके बाद मेहनत करके कलाकार काम अच्छा कर सकते हैं जो मैंने भी किया। लोगों के प्यार ने मुझे लगातार अच्छा गाने की प्रेरणा दी और उसी वजह से मैं यहां तक पहुंच सकी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें