विद्यार्थी जी के 85 वाॅ वलिदान दिवस पर बिषेष आलेख- - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 29 मार्च 2016

विद्यार्थी जी के 85 वाॅ वलिदान दिवस पर बिषेष आलेख-

  •  गणेष षंकर विद्यार्थी महान राजनीतिज्ञ व भारतीय पत्रकारिता के पुरौधा माने जाते थें

ganesh shankar vidyarthi
भारत देष की आजादी के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने बाले भारतीय पत्रकारिता के पुरौधाष्षहीद गणेष षंकर विद्यार्थी का जन्म आष्विन षुक्ल चतुर्दषी संवत् 1947 दिनांक 26 अक्टूवर 1890 को श्रीमती गोमती देवी श्रीवास्तव (कायस्थ) की कोख से हुआ, उस समय श्रीमती गोमती देवी अपने पिता जी के घर अतरसुईया मोहल्ला इलाहावाद में थी इसलिए उनका जन्म ननिहाल में हुआ । इनके पिता का नाम बाबू जय नारायण लाल एक षिक्षक थें , यह परिवार ग्वालियर जिला के मुुंगावली में रहा करता था, । सामप्रदायिक एकता के प्रतीक अमरषहीद गणेष षंकर विद्यार्थी जी के प्रपितामह (परदादा) का नाम मुंषी देवी प्रसाद था जो हथगाॅव जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेष के निवासी थें । इनके दादा जी का नाम बंषगोपाल उनके पुत्र बाबू जय नारायण लाल थें जो षिक्षक रहे ।   गणेष षंकर विद्यार्थी जी का विवाह 19 बर्ष की आयु में हेा गया था । अपनी अल्य आयु में जो कार्य किए वह समाज व देष हितों के लिए किए गये , उन्हे भारतीय इतिहास में उचित स्थान दिया गया है ।   देष की स्वतंत्रता केक लिए किए गए गणेष षंकर विद्यार्थी जी के सराहनीय प्रयासों को कभी भुलाया नही जा सकता हे । उन्होने जाति - धर्म के भेद-भाव को मिटाकर मानव-धर्म को सर्वोपरि माना और अंततः इसी के लिए उन्होने अपने प्राणों को भी बलिदान कर दिया । विद्यार्थी जी देष भक्त, समाजसेवी, कुषल बक्ता और महान राजनीतिज्ञ ही नही , बल्कि वह देष के निर्भीक पत्रकारों में से थे ।  अंग्रेजों की गुलामी के समय भारत देष में हिंदी पत्रकारिता के क्षेत्र में कर्मयोगी और उर्दू में स्वराज्य नामक समाचार पत्रों के माध्यम से विद्यार्थी जी ने अपनी लेखनी से लिखना ष्षुरू किया था, देष के लोगों को जगाने का काम यहीं से ष्षुरू किया ।  जब विद्यार्थी जी को यह लगने लगा कि हम अपनी लेखनी स्वतंत्र नही चला पाते है तो उन्होने अपना स्वयं का समाचार पत्र ्रपताप का प्रकाषन किया । उनकी पत्रकारिता का उद्देष्य मानव जाति का कल्याण उनका उद्देष्य रहा उन्होने हमेषा प्रताप समाचार पत्र के माध्यम से गरीव, असहाय, जनता की अवाज बुलंद किया करते थें । उनकी मृत्यू 25 मार्च 1931 को हुई थी । यह दिन बलिदान दिवस के रूपमें मनाया जाता है । 

गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब प्रान्तीय समिति ने विद्यार्थी जी के जीवन एवं उनके कर्मयोग को जन जन पहुॅचाने के लिए मानवसेवा, समाजसेवा, भारतीय संस्कृति-संस्कारों के साथ साथ बर्तमान मीडिया में स्वतंत्र पत्रकारिता, साहित्यकारो, इलेक्ट्रानिक मीडिया, षोसल मीडिया को एक माला में पिरोकर कार्य करने का संकल्प लिया है ।  इस संस्था में समाज के नीचे से उच्च स्थान तक बैठें लोगों को उनका मान सम्मान दिलाने एवं पत्रकारिता को निष्पक्ष एवं सेवाभावना के साथ कार्य करने पर बल दिया है । साहसी, वुध्दिमान, योग्यता के साथ साथ मानवता के धनी गणेष षंकर विद्यार्थी जी ने अपने मित्र पंडित सुन्दर लाल के सम्पर्क में आने के बाद उन्हे पत्रकारिता से मोह हो गया और उन्होने क्राॅतिकारी महर्षि अरविन्द घोष के कर्मयोगिन से प्रभावित होकर एक पत्र कर्मयोगी  समाचार पत्र को अपने लेख लिखने लगे यही से उन्होने पत्रकारिता की ष्षुरूआत की इसके बाद अनेक समाचार पत्रों से जुड़ते चले गये ।  उन्होने आचार्य महावीर प्रसाद व्दिवेदी के सरस्वती समाचार पत्र में संपादन के साथ अनेक सालों तक वह पत्रकारिता के साथ जुड़े रहे । उन्होने तय किया कि वह देष की स्वाधीनता के लिए स्वयं अपना समाचार पत्र प्रकाषित कर कार्य करेगें । 

उन्होने अभ्युदय समाचार पत्र से कार्य छोड़कर पंडित षिवनारायण मिश्र के साथ बिचार विमर्ष करने के बाद स्वंय का समाचार पत्र प्रकाषन करने का तय किया । विधिक कार्यावाही करने के वाद 9 नवम्बर 1913 को प्रताप समाचार पत्र का उदय हुआ ।   देष व समाज के लिए समाचार प्रकाषित करने का होसला बुलंद किया ।  अंग्रेजी हुकुमत के सामने झुके नही जिस कारण अनेकों वार प्रताप समाचार पत्र को बंद किया गया तथा गणेष षंकर विद्यार्थी जी को जेल भेजा गया । 
     
23 मार्च 1931 को क्रांतिकारी सरकार ने सरदार भगत सिंह को फाॅसी दी जिससे  जनता बोखला गई तथा सरकार के खिलाफ नारे बाजी दंगों में परिवर्तन हो गई । कानपुर में हिन्दु मुस्लिम दंगों को अनेकोवार रोकने के बाद भी दंगे षांत को पूरा प्रयास किया ।   25 मार्च 1931 को अपने साथी राम रतन गुप्त जी चैवे गोला मोहल्ला से होते हुए मठिया पहुॅचे जहां कुछ देषद्रोही लोगों ने घेर कर गणेष षंकर  विद्यार्थी जी की हत्या कर दी । गणेष षंकर विद्यार्थी जी ने अपने जीवन में कभी किसी को धोका नही दिया, मानव सेवा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दी थी । उन्ही के विचारों से प्रभावित होकर हरिहर भवन नौगाॅव (बुन्देलखण्ड) में उनके नाम से एक पत्रकारों का संगठन 1 जनवरी 2013 को गठित किया गया जिसका नाम गणेष षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब दिया गया । इस संस्था का पंजीयन होकर मध्य प्रदेष के लगभग 25 जिलों में समितियाॅ गठित कर ली गई है ।   गणेष षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब संस्था मध्य प्रदेष के प्रत्येक जिला, तहसील, थाना व ग्राम पंचायत स्तर तक पहुूचने के लिए लगातार मीडियाॅ से जुड़ें लोगों के संपर्क में है ।  इसका कार्य क्षेत्र सम्पूर्ण मध्य प्रदेष बनाया गया है ।  गणेष षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब प्रदेष अध्यक्ष -संतोष गंगेले ने अपना जीवन इस संस्था एवं संगठन को समर्पित करते हुए प्रदेष में गणेष ष्षंकर विधार्थी जी के जीवन से प्रभावित लोगों को समिति में स्थान देने पर बल दिया है ।  षहीद गणेषषंकर विद्यार्थी हिन्दी पत्रकारिता के पुरौधा, देष के सुधारवादी नेता , स्वधीनता आन्दोलन के कर्मठ सिपाही रहे । उनकी जयन्ती पर प्रेस क्लब उन्हे याद करते हुये उनके पदचिन्हो पर चलने का प्रयास जारी रहेगा । 

गणेश शंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब संस्था मध्य प्रदेष का एक विषाल सम्मेलन राजगढ़ (व्यावरा) की तहसील जीरापुर में भोपाल के संभागीय अध्यक्ष श्री माखन बिजयवर्गीय, जिला अध्यक्ष श्री दिनेष जमीदार के सहयोग  से संपन्न हुआ, जो इतिहासिक आयोजन गिना जायेगा ।  गणेष षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब संस्था मध्य प्रदेष ने अपने एक बर्ष के कार्यकाल में प्रदेष के अंदर ऐसो आष्चर्य  जनक कार्य किए है जिनकी आम जनता को आषा नही थी, आने बाले समय में प्रदेष के महान पत्रकारों , साहित्यकारों को इस संगठन में स्थान देकर संगठन प्रदेष में अपनी पहचाने बनाने जा रहा है । 




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