नयी दिल्ली 17 जनवरी, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ने नोट छापने के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करते हुए उन विदेशी कंपनियों को इनकी छपायी का काम सौंपा जिनके नाम पहले से ही काली सूची में दर्ज हैं।केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओम्मन चांडी तथा कांग्रेस प्रवक्ता मीम अफजल ने आज यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि सरकार ने ब्रिटेन की कंपनी डे ला रू को नोटों की छपाई का काम सौंपा है। पार्टी ने कहा है कि यह संदिग्ध कंपनी है और संसद की सार्वजनिक उपक्रम समिति ने 21 मार्च 2013 को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में नोट छापने के लिए आउटसोर्सिंग का सहारा लेने पर गहरी आपत्ति दर्ज की थी । कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि संसदीय समिति की रिपोर्ट में आउटसोर्सिंग के जरिए नोटों की छपायी के काम को राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करार दिया था । भारतीय जनता पार्टी के सांसद जगदम्बिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा था कि यदि विदेशी कंपनियों को देश की मुद्रा छापने का काम सौंपा जाता है तो देश के दुश्मन भारत की सुरक्षा को खतरा पहुंचा सकते हैं ।
श्री चांडी तथा श्री अफजल ने कहा कि भारत सरकार ने तीन विदेशी कंपनियों को एक लाख करोड़ रुपए मूल्य के नोट छापने का काम सौंपा है। इन तीन कंपनियों में ब्रिटेन की डे ला रू के अलावा अमेरिका की बैंकनोट कंपनी और जर्मनी की गीसेक एंड रेरिवेंट कंर्सोटम शामिल हैं जिनको भारत सरकार ने नोटों की छपायी का काम सौंपा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जो भी रिपोर्ट मिल रही हैं उनके आधार पर यह तीनों कंपनियां विश्वसनीय हैं। उनका कहना है कि खबरें इस तरह की भी है कि ये तीनों विदेशी कंपनियों देश की सुरक्षा के साथ किसी भी समय समझौता कर सकती हैं और भारतीय मुद्रा आंतकवादियों तथा आर्थिक अपराधियों तक पहुंचा सकती है जिसका देश को बडा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
पार्टी ने कहा कि 2011 में डी ला सुरक्षा कसौटियों पर खरी नहीं उतरी थी और वह अनुबंध के निर्देशों का अनुपालन करने में विफल रही थी , जिसके बाद उसे नोटों की छपायी का काम देने से इनकार कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि अपनी खामियों को खुद इस कंपनी ने भी स्वीकार किया था। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने कहा कि उस समय मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि ब्रिटिश कंपनी डे ला रू के पास 2000 टन छपे हुए नोट बेकार पड़े मिले थे और उसके बाद गृह मंत्रालय ने इस कंपनी को काली सूची में डाल दिया था। उन्होंने कहा कि सारे सबूतों से स्पष्ट है कि जो कंपनी सुरक्षा मानकों पर खरी नहीं उतर रही है भारत सरकार ने उसे अपनी मुद्रा छापने का जिम्मा सौंपा है।
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