पटना 19 जुलाई, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा-माले)के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग करते हुये आज कहा कि इस व्यक्तिगत भ्रष्टाचार से कहीं बड़ा मामला राज्य में लगातार हो रहे शैक्षणिक एवं अन्य घोटालों का है, जिसकी जवाबदेही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेनी होगी। श्री भट्टाचार्य ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उप मुख्यमंत्री श्री यादव पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से वर्ष 2004 के कथित भ्रष्टाचार मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई है और उसकी जांच होनी चाहिए। लेकिन, इस व्यक्तिगत भ्रष्टाचार से ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल नीतीश सरकार के वर्तमान कार्यकाल में हुए संस्थागत एवं सिलसिलेवार शैक्षणिक भ्रष्टाचार एवं अन्य घोटालों तथा लोगों की जिंदगी की मूल समस्याओं का है। उन्होंने कहा कि यदि एक समय में चारा घोटाला बिहार में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना और उसकी वजह से तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को अपने पद से हटना पड़ा तो आज राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे इन संस्थागत घोटालों की जवाबदेही भी मुख्यमंत्री श्री कुमार को लेनी होगी। भाकपा-माले महासचिव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इन मामलों में लगातार दोहरी नीति अपना रही है। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपित केंद्रीय मंत्री उमा भारती के सवाल पर वह बिलकुल खामोश है। दंगा-हत्या-अपहरण जैसे कई गंभीर आरोपों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का नाम आ रहा है। यहां तक कि श्री आदित्यनाथ पर मुकदमा चलाने के लिए आदेश निर्गत करने की फाइल आज भी मुख्यमंत्री के ही टेबुल पर पड़ा हुआ है। ऐसे में भाजपा को जवाब देना चाहिए कि गंभीर आपराधिक कार्रवाइयों में लिप्त अपने केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों को वह क्यों बचा रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा का भ्रष्टाचार से लड़ने का दावा पूरी तरह खोखला और अपनी राजनीतिक विरोधियों को दबाने का एक जरिया मात्र बनकर रह गया है।
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि बिहार का डैकोनियन शराबबंदी कानून गरीबों पर कहर बनकर टूटा है। शराब पीने के आरोप में जहानाबाद के पूर्वी ऊंटा के मुसहर समुदाय के दो भाइयों मस्तान मांझी और पेंटर मांझी को 29 मई 2017 को गिरफ्तार किया गया और मात्र एक महीने के अंदर पांच साल सश्रम कारावास की सजा और एक लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया गया है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून के तहत अब तक करीब 44 हजार लोगों को जेल में डाल दिया गया है। इस तरह यह कानूनी पूरी तरह गरीबों को दबाने और उनको उत्पीड़ित करने के लिए ही लाया गया है। महासचिव ने कहा कि बिहार में शराब की होम डिलीवरी बखूबी जारी है लेकिन इसकी मार गरीबों पर पड़ रही है और गरीबों के लिए काला कानून साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह ‘स्वच्छता’ के नाम पर दलितों-पिछड़ों को ही प्रताड़ित किया जा रहा है। अभी हाल में राजस्थान में शौच के दौरान महिलाओं की वीडियोग्राफी का विरोध करने पर उनकी पार्टी के नेता जफर हुसैन की हत्या कर दी गयी। श्री भट्टाचार्य ने बताया कि बिहार में पिछले दिनों भूमि अधिकार आंदोलन चला। इसका तीसरा चरण आगामी 09 अगस्त से 15 अगस्त तक चलेगा। उन्होंने बताया कि आगामी 31 जुलाई को भूमि और मोतिहारी चीनी मिल के मजदूर-किसानों के बकाये के भुगतान के सवाल पर उनकी पार्टी विधानसभा के समक्ष धरना देगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें