नयी दिल्ली 20 अगस्त, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोगी श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कारखाना अधिनियम (संशोधन) विधेयक 2014 का विरोध करते हुए कहा है कि ‘स्टार्ट अप’ और ‘कारोबार के अनुकूल माहौल’ बनाने की प्रक्रिया ने अधिनियम का उद्देश्य ही समाप्त कर दिया है तथा कारखानों में काम करने वाले मजदूरों और आस पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को खतरनाक हालत में डाल दिया है। बीएमएस का कहना है कि प्रस्तावित बदलाव में उद्योगों के साथ साथ मजदूरों और समाज के हितों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। बदलाव प्रगतिशील होने चाहिए लेकिन कारखाना अधिनियम में प्रस्तावित बदलावों से देश एक बार फिर सामंतवादी व्यवस्था में पहुंच जाएगा। सरकार प्रस्तावित संशोधनों के जरिए श्रम संबंधी संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों का भी उल्लंघन कर रही है। समिति ने कारखाना अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों के जरिए श्रमिकों की सुरक्षा, संरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण की गारंटी देने को कहा है। श्रमिक संघ का आरोप है कि प्रस्तावित संशोधनों से बड़ी कंपनियों को लाभ होगा और उनको गलतियां करने का मौका मिलेगा। सरकार ऐसे संशोधन करने जा रही है जिन्हें विभिन्न श्रमिक संगठनों ने अस्वीकार कर दिया है। सरकार ने त्रिपक्षीय विचार विमर्श को ‘मजाक’ बना दिया है। प्रस्तावित संशोधनों से सुरक्षा संबंधी प्रावधान को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए बीएमएस ने कहा है कि देश के प्रत्येक शहर में भोपाल त्रासदी जैसे हादसे होने की आशंका बढ़ जाएगी। श्रम संबंधी कानूनों को लागू करने और इनमें बदलाव करने के समस्त अधिकार नौकरशाही में समाहित हो जाएगें।
सोमवार, 21 अगस्त 2017
कारखाना अधिनियम में प्रस्तावित बदलावों का विरोध किया बीएमएस ने
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