नयी दिल्ली 24 जनवरी,आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई उच्चतम न्यायालय में आज चौथे दिन भी हुई और याचिकाकर्ताअों ने आधार डाटा के गलत इस्तेमाल से संबंधित कई अहम् बिंदु सामने रखे। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और श्याम दीवान ने जिरह की। इन अधिवक्ताओं का कहना था कि लंबे समय तक इकट्ठा डाटा किसी खास व्यक्ति या समुदाय की प्रोफाइलिंग में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एक सर्विलांस स्टेट को जन्म देगा, जिसकी संविधान अनुमति नहीं देता है। याचिकाकर्ताओं ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए कहा, “अगर सेना के जवानों एवं अधिकारियों की सैलरी के लिए आधार का इस्तेमाल होता है तो डाटा लीक की हालत में यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।” फिंगरप्रिंट की नकल पर भी सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, “हमने सुरक्षा जानकारों की ओर से दो हलफनामे दाखिल किये हैं, जो दिखाते हैं कि फिंगरप्रिंट्स की नक़ल की जा सकती है।” याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलील थी कि बायोमेट्रिक मशीनों के कोड पर सोर्स कोड खुद भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को भी मालूम नहीं है, इनमें ट्रोजन हॉर्स या दूसरे प्रोग्राम हो सकते हैं जो सूचना को लीक कर सकते हैं। इस पर दलीलों को सुनने के बाद संविधान पीठ के एक सदस्य न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि गूगल मैप जैसे एेप भी आपकी निगरानी करते हैं। इस पर याचिकर्ता का कहना था कि ऐसा गूगल और यूजर की सहमति से होता है। आधार का मामला बिलकुल अलग है। गूगल जैसी कंपनी और सरकार द्वारा सर्विलांस में कोई समानता नहीं। अब इस मामले की सुनवाई 30 तारीख को होगी।
बुधवार, 24 जनवरी 2018
आधार मामला में याचिकाकर्ताओं ने उठाये कई अहम सवाल
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