मुंबई 07 फरवरी, रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती महँगाई, विशेषकर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल के दाम में हो रही लगातार वृद्धि के मद्देनजर चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। रिजर्व बैंक का यह अनुमान सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण की तुलना में भी कम है जिसमें कहा गया था कि चालू वित्त वर्ष में विकास दर 6.75 प्रतिशत रहेगी। आरबीआई की मौद्रिक समिति नीति की दो दिवसीय बैठक के बाद आज यहाँ जारी बयान में कहा गया है कि कमोडिटी - विशेषकर कच्चा तेल - की ऊँची कीमत के कारण माँग में कमी आ सकती है। समिति ने अर्थव्यवस्था के परिदृश्य के बारे में कहा है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के क्रियान्वयन में स्थिरता आना अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है। समिति का मत है कि ऋण उठाव बढ़ा है जिससे निवेश में सुधार के शुरुआती संकेत मिलते हैं। पूँजीगत वस्तुओं के उत्पादन तथा आयात में सुधार के संकेत हैं। बड़े सार्वजनिक बैंकों का पुन:पूँजीकरण शुरू हो गया है। दिवालिया कानून के पारित होने और जोखिम में पड़े बड़े ऋणों के लिए समाधान प्रक्रिया शुरू होने से ऋण उठाव और बढ़ेगा। इन कारकों को ध्यान में रखते हुये आरबीआई ने वित्त वर्ष 2018-19 के लिए विकास अनुमान 7.2 प्रतिशत रखा है। उसने कहा है कि अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में विकास दर 7.3 प्रतिशत से 7.4 प्रतिशत के बीच और दूसरी छमाही में 7.1 प्रतिशत से 7.2 प्रतिशत के बीच रहेगी। आर्थिक सर्वेक्षण में अगले वित्त वर्ष के लिए विकास दर सात से 7.5 प्रतिशत के बीच रहने की बात कही गयी थी।
बुधवार, 7 फ़रवरी 2018
आरबीआई ने विकास अनुमान घटाया
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