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शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

ओबामा को भारत और चीन के आगे बढ़ने से चिंता !!

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने साफ शब्दों में चेताया है कि भारत और चीन की अर्थव्यवस्था जिस तेजी से सुधार की ओर बढ़ रही है, उसे देखते हुए अमेरिका के पिछड़ने का खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि मंदी से उबरने के बाद अमेरिका दूसरे स्थान पर रहना बर्दाश्त नहीं कर सकता।

बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस को अपने पहले संयुक्त संबोधन में ओबामा ने कहा कि मंदी के चलते नौकरी गंवाने वाले लोगों के लिए रोजगार पैदा करना उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। इसके लिए उन्होंने नौकरियों की आउटर्सोसिंग करने वाली कंपनियों को मिल रहीं रियायतें खत्म करने की भी घोषणा की ।


ओबामा ने कहा कि जब भी आर्थिक सुधारों की बात आती है, लोगों को इंतजार करने को कहा जाता है। लेकिन भारत, चीन और जर्मनी जैसे देश चुपचाप नहीं बैठे हैं। वे गणित और विज्ञान को तवज्जो देते हुए अपनी अर्थव्यवस्था को लगातार मजबूत कर रहे हैं। 69 मिनट के अपने संबोधन में ओबामा ने कहा, ‘अब हम इंतजार नहीं कर सकते। हमें उन समस्याओं को दूर करना होगा, जो हमारे आर्थिक विकास में बाधक हैं।’ ओबामा के इस भाषण को मंदी के बाद देश के हालात से चिंतित अमेरिकी जनता को तसल्ली देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है


ओबामा ने कहा कि विदेशों में नौकरियों की आउटर्सोसिंग करने वालों को करों की रियायतें खत्म की जाएंगी। इसके विपरीत घरेलू रोजगार को बढ़ावा देने वाली कंपनियों को छूट मिलेगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, 2015 तक आउटर्सोसिंग के चलते 33 लाख अमेरिकियों को नौकरियों से हाथ धोना पड़ेगा। भारत में बीपीओ इंडस्ट्री को इस आउटर्सोसिंग से 71.7 अरब डॉलर की कमाई होती है।


ओबामा ने कहा कि अमेरिका अगले चार साल में दुनिया के सारे एटमी हथियारों की सुरक्षा तय करना चाहता है। उन्होंने कहा कि अप्रैल में होने वाले परमाणु सम्मेलन में वे भारत समेत 44 देशों के नेताओं से मिलकर इन हथियारों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे, ताकि अमेरिकियों के खिलाफ आतंकियों की तरफ से एटमी हमले की किसी भी आशंका को दूर किया जा सके।

अमेरिकी कांग्रेस में ओबामा के संबोधन के दौरान इस बार कोई टोका-टोकी या हंगामा नहीं हुआ। विपक्षी रिपब्लिकन सांसद दम साधे भाषण सुनते रहे। भारत और चीन से पिछड़ने की चेतावनी पर सांसदों ने खड़े होकर कहा, ‘हम नंबर एक हैं।’ 535 सदस्यीय कांग्रेस में सांसदों ने 80 बार खड़े होकर राष्ट्रपति के प्रस्तावों का स्वागत किया।

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