अमेरिकी अदालत का दरवाज़ा खटखटाया जा सकता :- सरकार !! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

अमेरिकी अदालत का दरवाज़ा खटखटाया जा सकता :- सरकार !!

सरकार ने सोमवार को कहा कि पुणे विस्फोट में डेविड हेडली समेत विदेशी हाथ होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, जबकि ऐसा खुलासा किया गया है कि आईएसआई प्रायोजित कराची प्रोजेक्ट के तहत भारतीय युवाओं को आतंक की ओर उन्मुख किया जा रहा था। इस बीच, आतंकी मामले में संदिग्ध पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक डेविड हेडली तक पहुंच के लिए भारत, अमेरिकी अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।

गृह सचिव जीके पिल्लई ने कहा कि निश्चित तौर पर पुणे विस्फोट के हेडली से तार जुड़े हुए हैं क्योंकि यह स्थान ओशो आश्रम से काफी करीब है जहां वह गया था। उन्होंने कहा कि इस बात पर विश्वास करना काफी कठिन है कि हेडली के वीडियो से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि हेडली ने आईएसआई प्रायोजित कराची प्रोजेक्ट के बारे में बताया था जिसका मकसद भारतीय युवाओं को शामिल कर भारत में आतंकी हमलों को अंजाम देना था।

बहरहाल, पिल्लई ने कहा कि पुणे विस्फोट में जांच का कार्य अभी प्रारंभिक अवस्था में है और इस पर कोई भी टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने कहा कि यह सर्वविदित है कि इंडियन मुजाहिदीन जैसे संगठन का संचालन करने वाले सीमा पार हैं। पिल्लई ने कहा कि हम विस्फोट में विदेशी हाथ होने या नहीं होने किसी भी संभावना को खारिज नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जांचकर्ता अपने काम पर लगे हुए हैं और मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए सरकार को कुछ समय और चाहिए।

यह पूछे जाने पर कि क्या विस्फोट से पहले सरकार को कोई खुफिया सूचना थी, पिल्लई ने कहा कि कि सरकार के पास कुछ सामान्य जानकारी थी जिसे महाराष्ट्र सरकार तक पहुंचाया गया था लेकिन किसी शहर में आतंक खतरे के बारे में कोई विशेष सूचना नहीं थी।

हमले में इंडियन मुजाहिदीन के शामिल होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पिल्लई ने कहा हमें नहीं मालूम कि क्या पुराने आतंकी या तंत्र अभी भी मौजूद है या कुछ नये सक्रिय हो गये हैं। लेकिन हमने राज्यों को इसके बारे में सतर्क कर दिया है कि इनकी गतिविधियों को नियंत्रित किया जाए।

अमेरिकी हिरासत में मौजूद हेडली तक पहुंच के बारे में पूछे जाने पर पिल्लई ने कहा हम हेडली तक पहुंच के लिए पहले ही कह चुके हैं। इसके लिए पहले आरोप पत्र दाखिल करना होगा, फिर अदालत में आग्रह पत्र दायर करने के बाद उस तक पहुंच के लिए अमेरिकी अदालत में मामला ले जाना होगा।

उन्होंने कहा कि दोनों देशों की कानूनी प्रणाली में अंतर के कारण भारतीय जांचकर्ता हेडली तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि मुम्बई पर आतंकी हमले के दौरान पाकिस्तानी सेना का मेजर कंट्रोल रूम में मौजूद था, पिल्लई ने कहा कि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। हमें एफबीआई से कुछ रिपोर्ट मिली है लेकिन जब तक हमें आवाज का नमूना नहीं मिल जाता है तब इसे जोड़ पाना मुश्किल है।

वहीं, केन्द्र सरकार पुणे की जर्मन बेकरी में बम रखने वाले आतंकवादियों के बारे में सुराग देने वाले व्यक्ति को एक करोड़ रुपये बतौर इनाम देने पर विचार कर रही है। गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने कहा कि इनाम सम्बन्धी प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और इसे जल्द ही अमली जामा पहनाया जा सकता है।

एक अफसर ने कहा इनाम की घोषणा होने पर हम लोगों से कहेंगे कि इस विस्फोट में शामिल लोगों के बारे में कोई सूचना देने वाले व्यक्ति का नाम और पता गुप्त रखा जाएगा। हम भी उसका नाम नहीं पूछेंगे और सूचना सही होने पर उसे इनाम दिया जाएगा।

गौरतलब है कि शनिवार को पुणे की जर्मन बेकरी में विस्फोट की वारदात की जांच कर रहे अधिकारी इस घटना में शामिल लोगों का सुराग ढूंढने के लिये अब भी जद्दोजहद कर रहे हैं।

जीके पिल्लई ने कहा है कि सरकार मुम्बई में पिछले वर्ष 26 नवम्बर को हुए आतंकवादी हमले के आरोपी एवं अमेरिका में गिरफ्तार डेविड कोलमैन हेडली से हाल में पुणे में बम विस्फोट के मामले में पूछताछ करने की कोशिश करेगी।

पिल्लई ने सोमवार को एक निजी टेलीविजन चैनल से से कहा कि हम हेडली के खिलाफ आरोप निर्धारित कर उससे पूछताछ की इजाजत के लिए अमेरिकी अदालत जाएंगे। उन्होंने पुणे विस्फोट मामले में पाकिस्तान का हाथ होने के संबंध में टिप्पणी करने से इनकार करते हुए कहा कि हम फिलहाल पुणे विस्फोट मामले में विदेशी हाथ होने की संभावना से न तो इनकार कर सकते हैं न तो इसकी पुष्टि कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पुणे विस्फोट मामले में कौन जिम्मेदार है इसका पता लगाने में हमें थोडा समय लगेगा।

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