पाकिस्तान के मित्र देशों को प्रशिक्षण शिविरों को बंद करने के लिए दवाब डालना चाहिए :-गृह मंत्री - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 25 मार्च 2010

पाकिस्तान के मित्र देशों को प्रशिक्षण शिविरों को बंद करने के लिए दवाब डालना चाहिए :-गृह मंत्री

गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि पाकिस्तान के मित्र देशों अमेरिका और ब्रिटेन को इस्लामाबाद पर, वहां चल रहे आतंकवाद प्रशिक्षण शिविरों को बंद करने के लिए दबाव डालना चाहिए।

बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में चिदंबरम ने यह भी कहा पाकिस्तान की असैन्य सरकार ने आईएसआई और आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा तथा अल कायदा आदि पर अंकुश लगाने के लिए कदम नहीं उठाया है।

आधिकारिक दौरे पर यहां आए चिदंबरम ने कहा कि अगर पाकिस्तान में वास्तविक असैन्य सरकार होती जो आईएसआई पर लगाम कस सकती और सेना तथा आईएसआई को आतंकवादी ढांचा नष्ट करने का आदेश दे सकती तो आज हालात कुछ और होते।

उन्होंने कहा शिविरों को बंद किया जाना चाहिए और आतंकवाद का प्रशिक्षण खत्म होना चाहिए। गृह मंत्री से जब पूछा गया कि क्या वे पाकिस्तान में इस दिशा में कोई पहल देखते हैं तो उन्होंने कहा, अभी तक नहीं।

पूछे जाने पर कि क्या वह पाकिस्तान को इसके लिए समझाना चाहेंगे। उन्होंने कहा इस सवाल का जवाब अमेरिका और ब्रिटेन अच्छी तरह जानते हैं। निश्चित रूप से, हम पाकिस्तान को समझाने की स्थिति में नहीं हैं। यह काम पाकिस्तान के दोस्तों का है। पाकिस्तान के मित्र देशों को इसके लिए इस्लामाबाद पर दबाव बनाना चाहिए। चिदंबरम ने कहा कि पश्चिमी देशों का यह विचार सही नहीं है कि केवल भारत ही पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों के खतरे का सामना कर रहा है।

गृह मंत्री ने कहा कि एक बार अगर इन आतंकवादी समूहों को प्रशिक्षण देने, भर्ती करने की अनुमति दी जाती है तो वह हमला करने की क्षमता विकसित कर सकते हैं, भारत पर हमला कर सकते हैं, ब्रिटेन और डेनमार्क को अपना निशाना बना सकते हैं, क्योंकि वे कराची प्रोजेक्ट की योजना बना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कोई भी देश वास्तव में सुरक्षित नहीं है। यह मत सोचिए कि भारत अकेले ही खतरे का सामना कर रहा है। हर देश इन समूहों के खतरे से दो चार हो रहा है और लश्कर-ए-तैयबा अलकायदा की तरह ही कई देशों में फैला समूह है।

पुणे के बारे में उन्होंने कहा पुणे ऐसा मामला है जहां चूक हुई। पुणे निशाना था। उसके बारे में केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र पुलिस और वहां की सरकार को खुफिया सूचना दी थी। वह इलाका, कोरेगांव पार्क आदि सुरक्षा के दायरे में हैं।

चिदंबरम ने कहा कि तीन बार जर्मन बेकरी को परामर्श दिया गया। उसके मैनेजर की जानकारी में है कि परामर्श दिया गया। लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। उन्होंने न्यूनतम सुरक्षा ऐहतियात भी नहीं बरती। इसलिए यह दुर्भाग्यपूर्ण मामला है, जिसके बारे में मैं कहूंगा कि चूक हुई।

चिदंबरम ने कहा कि जैसा कि मैंने संसद में कहा है कि यह एक धब्बा है। इससे यह सबक भी मिला है कि जब खुफिया सूचना मिले और परामर्श जारी किए जाएं तो लोगों को सहयोग करना चाहिए। ऐसे में दुकानों, प्रतिष्ठानों, होटलों और मॉल्स आदि में न्यूनतम सुरक्षा उपाय अवश्य किए जाने चाहिए।

गृह मंत्री से पूछा गया कि क्या उन्हें पुणे की घटना का पाकिस्तान से कोई संबंध लगता है। उन्होंने कहा अब तक तो ऐसा मेरी जानकारी में नहीं लाया गया है। पुणे मामले की साजिश कहां रची गई। इस सवाल के जवाब में चिदंबरम ने कहा कि जांच जारी है। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता।

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