दुनिया के सबसे भयावह औद्योगिक आपदा भोपाल गैस त्रासदी के लिए यूनियन कार्बाइड कंपनी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई किए जाने की मांग को अमेरिका ने सिरे से खारिज कर दिया।1984 में हुई इस त्रासदी में 15 हजार से ज्यादा लोगों ने दम तोड़ दिया था।
अमेरिका ने उम्मीद जताई कि भोपाल गैस त्रासदी के सिलसिले में आया भारतीय अदालत का फैसला इस दुर्घटना के शिकार लोगों के हित में होगा। दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लेक ने संवाददाताओं से कहा भोपाल के बाबत, निश्चित तौर पर वह मानव इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदियों और औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी। और मुझे बस इतना भर कहने दीजिए कि हम उम्मीद करते हैं कि यह फैसला पीड़ितों और उनके परिवार के हित में होगा।
ब्लेक ने विदेशी संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में कहा लेकिन, मैं यह उम्मीद नहीं करता कि इस फैसले से कुछ नया सामने आएगा, चाहे वह कोई जांच हो या इसी तरह की कोई और चीज। उन्होंने कहा इसके उलट, हम उम्मीद करते हैं कि यह राहत में मददगार होगा।
भोपाल गैस त्रासदी और अदालत के फैसले से जुड़े एक सवाल के जवाब में ब्लेक ने कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है।
एक अन्य संवाददाता सम्मेलन में विदेश विभाग के प्रवक्ता ने पीजे क्राउले ने कहा यह त्रासदी 26 साल पहले हुई थी, और यह एक भयावह त्रासदी थी। मानव इतिहास की सबसे भयानक औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक, और हम निश्चित तौर पर यह उम्मीद करते हैं कि अदालत का फैसला इस त्रासदी के शिकार हुए लोगों के परिवार के हित में होगा।
क्राउले ने उम्मीद जताई कि यह खास मामला दोनों देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों की मजबूती की राह में रोड़ा नहीं बनेगा। क्राउले ने कहा कि भारतीय संसद को परमाणु दायित्व विधेयक पर फैसला लेना होगा, लेकिन संसद के सामने इस आपराधिक मामले का संबंध दायित्व विधेयक से नहीं होना चाहिए।
भोपाल गैस त्रासदी मामले में यूनियन कार्बाइड इंडिया के पूर्व अध्यक्ष केशुब महिंद्रा और छह अन्य को दोषी करार दिया गया। उन्हें दो-दो साल जेल की सजा सुनाई गई है। बहरहाल, अदालत का यह फैसला नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गया है।
अमेरिका ने उम्मीद जताई कि भोपाल गैस त्रासदी के सिलसिले में आया भारतीय अदालत का फैसला इस दुर्घटना के शिकार लोगों के हित में होगा। दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री रॉबर्ट ब्लेक ने संवाददाताओं से कहा भोपाल के बाबत, निश्चित तौर पर वह मानव इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदियों और औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक थी। और मुझे बस इतना भर कहने दीजिए कि हम उम्मीद करते हैं कि यह फैसला पीड़ितों और उनके परिवार के हित में होगा।
ब्लेक ने विदेशी संवाददाताओं के एक सवाल के जवाब में कहा लेकिन, मैं यह उम्मीद नहीं करता कि इस फैसले से कुछ नया सामने आएगा, चाहे वह कोई जांच हो या इसी तरह की कोई और चीज। उन्होंने कहा इसके उलट, हम उम्मीद करते हैं कि यह राहत में मददगार होगा।
भोपाल गैस त्रासदी और अदालत के फैसले से जुड़े एक सवाल के जवाब में ब्लेक ने कहा कि यह भारत का आंतरिक मामला है।
एक अन्य संवाददाता सम्मेलन में विदेश विभाग के प्रवक्ता ने पीजे क्राउले ने कहा यह त्रासदी 26 साल पहले हुई थी, और यह एक भयावह त्रासदी थी। मानव इतिहास की सबसे भयानक औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक, और हम निश्चित तौर पर यह उम्मीद करते हैं कि अदालत का फैसला इस त्रासदी के शिकार हुए लोगों के परिवार के हित में होगा।
क्राउले ने उम्मीद जताई कि यह खास मामला दोनों देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संबंधों की मजबूती की राह में रोड़ा नहीं बनेगा। क्राउले ने कहा कि भारतीय संसद को परमाणु दायित्व विधेयक पर फैसला लेना होगा, लेकिन संसद के सामने इस आपराधिक मामले का संबंध दायित्व विधेयक से नहीं होना चाहिए।
भोपाल गैस त्रासदी मामले में यूनियन कार्बाइड इंडिया के पूर्व अध्यक्ष केशुब महिंद्रा और छह अन्य को दोषी करार दिया गया। उन्हें दो-दो साल जेल की सजा सुनाई गई है। बहरहाल, अदालत का यह फैसला नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों के निशाने पर आ गया है।
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