दूरसंचार कंपनियों को कारण बताओ नोटिस. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 30 नवंबर 2010

दूरसंचार कंपनियों को कारण बताओ नोटिस.

नए दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि केंद्र सरकार दूरसंचार कंपनियों को जल्द ही कारण बताओ नोटिस जारी करेगी कि पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए राजा की ओर से जारी किए गए 122 लाइसेंस में से 85 को क्यों न रद्द कर दिए जाए, क्योंकि ये तथ्य छिपाकर और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर हासिल किए गए हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा 119 लाइसेंसधारकों को वक्त रहते सेवाएं शुरू करने में नाकाम रहने के लिए नोटिस भेजा जाएगा।

ये सभी नोटिस इसी सप्ताह भेजे जा सकते हैं। सरकार कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय से यह भी पता लगाने को कहेगी कि क्या एतिसलत डीबी (स्वान) फ्रंट कंपनी के रूप में किसी दूसरी टेलीकॉम कंपनी के लिए काम कर रही थी। सिब्बल ने कहा, 'हम स्वान से जुड़े मालिकाना हक के मुद्दों को लेकर कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को पत्र लिखेंगे।' देश में 22 टेलीकॉम सर्किल हैं और देश भर में सेवाएं देने वाली कंपनी के पास कुल 22 टेलीकॉम लाइसेंस होंगे।

सिब्बल देश के शीर्ष ऑडिटर की उस रिपोर्ट पर कदम उठा रहे हैं, जिसमें कहा गया है कि यूनिनॉर, वीडियोकॉन, लूप टेलीकॉम, एस टेल, एतिसलत और अलायंज इंफ्राटेक जैसी छह कंपनियों को जारी 122 लाइसेंस में से 85 गैर-कानूनी हैं, क्योंकि ये कंपनियां इनके लायक योग्यता नहीं रखती। भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा था कि इन छह कंपनियों ने लाइसेंस हासिल करने के लिए अपर्याप्त जानकारी का खुलासा किया और फर्जी दस्तावेजों के अलावा फर्जी तौर-तरीके भी इस्तेमाल किए। कई कंपनियों को बाद में दस्तावेजों में बदलाव करने और फर्जीवाड़ा करने का मौका दिया गया और कुछ मामलों में ऐसा आवेदन जमा कराने के 12 महीने बाद तक हुआ।

ऑडिटर ने यह भी कहा था कि कई लाइसेंसधारकों के पास पहले से जानकारी थी। यहां तक कि पिछली तारीख के डिमांड-ड्राफ्ट भी थे, ताकि वे लाइन में आगे निकल सकें। सिब्बल ने कहा, 'तथ्यों की पड़ताल के बाद इनमें से हर कंपनी को अलग-अलग नोटिस जारी किए जाएंगे। उन्हें जवाब देने के लिए 60 दिन का वक्त दिया जाएगा।' केंद्र सरकार इनके जवाब पर गौर करने के बाद पाबंदियां लगा सकती है या इन कंपनियों के मोबाइल परमिट रद्द भी कर सकती है। अगर यह साबित होता है कि लाइसेंस फर्जी तरीकों के इस्तेमाल से लिए गए, तो भारतीय कानून सरकार को इन कंपनियों के खिलाफ बीती अवधि से कार्रवाई करने का अधिकार देते हैं।

सिब्बल का इस मामले में कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय को शामिल करने की वजह कैग रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि सबसे विवादित लाइसेंसधारकों में से एक पूर्ववर्ती स्वान टेलीकॉम आवेदन के वक्त रिलायंस टेलीकॉम की फ्रंट कंपनी थी। अनिल अंबानी की कंपनी की स्वान में 10 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी थी, जो नियमों का उल्लंघन है। रिपोर्ट में स्वान पर 2जी लाइसेंस के लिए आवेदन करते वक्त मालिकाना हक से जुड़ी अहम जानकारी छिपाने का आरोप लगाया गया है। स्वान के आवेदन पर रिलायंस एडीए समूह के कर्मचारी का ईमेल और समूह का कॉरपोरेट पता था। फिलहाल स्वान में 45 फीसदी हिस्सेदारी संयुक्त अरब अमीरात की एतिसलत की है

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