राजेश और नुपुर तलवार के खिलाफ वारंट. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 1 मार्च 2011

राजेश और नुपुर तलवार के खिलाफ वारंट.


 सीबीआई की एक विशेष अदालत ने नोएडा के बहुचर्चित आरुषि हेमराज हत्या मामले में नोएडा के चिकित्सक दंपति राजेश और नूपुर तलवार के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए। अदालत ने इस आदेश के साथ ही मजिस्ट्रेट के समक्ष दंपति के निजी तौर पर पेश होने से छूट मांगने संबंधी उनकी याचिका को खारिज कर दिया। विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रीति मिश्र ने राजेश और नूपुर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। उन्होंने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज करते हुए तलवार दंपति को हत्या, सबूत नष्ट करने और अपराध करने की साझ इच्छा रखने का आरोपी बनाया था। एक अन्य घटनाकम के तहत तलवार दंपति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में सोमवार को दिए हलफनामे में दावा किया है कि जांच के दौरान कई तथ्य सामने आए थे, जिन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने नजरअंदाज कर दिया है।

तलवार दंपति ने अपने हलफनामे में दावा किया कि 6 नवंबर, 2008 को किए गए डीएनए परीक्षण के निष्कर्ष में बताया गया था कि उनके घर की छत, घर में पाई गई व्हिस्की की बोतल और एक अन्य नौकर कृष्णा के तकिये पर पाए गए उंगलियों के निशान एक ही व्यक्ति के थे और निश्चित तौर पर यह व्यक्ति पुरुष था। सीबीआई की अदालत में पेश याचिका में राजेश तलवार ने चिकित्सागत कारणों का हवाला देते हुए व्यक्तिगत तौर पर पेशी से छूट की मांग की थी, जबकि नूपुर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में इसी हत्याकांड से जुड़े मामले के लंबित होने के चलते अदालत में निजी तौर पर पेशी से छूट की मांग की थी। दंपति ने सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा उन्हें जारी समन को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले की 25 फरवरी को सुनवाई शुरू करने वाले हाईकोर्ट ने सीबीआई की अदालत के आदेश के खिलाफ कोई भी स्थगन लगाने से इनकार कर दिया था।तलवार दंपति के वकील सतीश टमटा ने कहा कि सीबीआई की अदालत ने राजेश और नूपुर की याचिका को खारिज करते हुए उनके खिलाफ बीस-बीस हजार रुपए के जमानती वारंट जारी किए। अदालत ने अब उन्हें 22 मार्च को पेश होने का आदेश दिया है। टमटा ने कहा, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को उनकी याचिका पर सुनवाई की, लेकिन अपना फैसला मंगलवार के लिए सुरक्षित रख लिया। उन्होंने कहा, राजेश चिकित्सकीय तौर पर स्वस्थ नहीं हैं और उन्हें विश्राम की सलाह दी गई है और वह मदद के बिना चल फिर नहीं सकते।

याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में कहा था कि इस तथ्य के बावजूद उन्हें समन जारी कर दिए गए हैं कि जांच एजेंसी ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में उन्हें आरोपी नहीं बनाया है।ज्ञात हो कि दिल्ली के निकट नोएडा में 15-16 मई, 2008 की रात में अपने आवास में आरुषि तलवार (14) मृत पाई गई थी, जबकि घर के नौकर हेमराज का शव कुछ घंटों बाद घर की छत पर पाया गया था। हालांकि सीबीआई ने राजेश से नारको परीक्षण तथा ब्रेन मैपिंग सहित व्यापक पूछताछ की थी, लेकिन जांच एजेंसी ने राजेश या उनकी पत्‍नी नूपुर को इस वर्ष दाखिल अपनी क्लोजर रिपोर्ट में आरोपी के तौर पर पेश नहीं किया था।

तलवार दंपति ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें आरुषि के कंप्यूटर तक पहुंच से प्रतिबंधित कर दिया गया था, जबकि उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत एक आवेदन दिया था। इस कंप्यूटर को सीबीआई ने जांच के लिए जब्त कर लिया था। तलवार दंपति ने कहा कि उन्हें कंप्यूटर तक पहुंच मुहैया करायी जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि राउटर को किसने स्विच ऑफ किया होगा, जो इंटरनेट तक पहुंच के लिए आवश्यक है। 15 मई, 2008 को राउटर उस समय चालू पाया गया था, जब आरुषि अपने कमरे में मृत पाई गई थी। तलवार दंपति ने यह भी कहा कि इसके अलावा आरुषि की मां नूपुर के खिलाफ भी कोई सबूत नहीं पाया गया था। हाईकोर्ट में तलवार दंपति के वकील गोपाल चतुर्वेदी ने तर्क दिया कि यदि मुकदमे के दौरान हत्याकांड में उनके खिलाफ कोई सबूत सामने आता है, तो अदालत दंड प्रकिया संहिता की केवल धारा-319 के तहत नूपुर के खिलाफ कार्यवाही कर सकती है। सीबीआई के वकील नजरूल इस्लाम जाफरी ने पिछले शुकवार को किए गए तलवार के इस दावे को, कि जांच एजेंसी को याचिका का विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है, यह कहते हुए खारिज किया कि सीबीआई इस मामले में कोई पक्ष नहीं है और वह केवल अदालत की मदद के लिए इस मामले में तर्क पेश कर रही है।

याचिकाकर्ता के पूर्व में किए गए इस दावे पर कि अदालत ने उनके खिलाफ गलती से मुकदमा चलाने का फैसला किया है, जबकि तथ्य यह है कि सीबीआई ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट में उन्हें संदिग्ध करार नहीं दिया था। जाफरी ने कहा, यदि जांच एजेंसी के नतीजों से कोई न्यायाधीश सहमत नहीं हैं, तो वह इस संबंध में कोई भी फैसला करने के लिए स्वतंत्र हैं। जाफरी ने तलवार दंपति के वाहन चालक उमेश शर्मा के उस बयान का भी हवाला दिया जिसमें उसने कहा था कि उसने 15 मई, 2008 को रात करीब साढ़े नौ बजे आरुषि को तलवार दंपति के साथ भोजन की मेज पर देखा था। अपने बयान में तलवार दंपति की नौकरानी भारती ने कहा था कि अगली सुबह साढ़े छह बजे उसने दंपति को उस समय जगाया, जब आरुषि ने दरवाजा खटखटाने का कोई जवाब नहीं दिया था। नूपुर ने इस पर उस चाबी से दरवाजा खोला, जो उसके पास थी। जाफरी ने कहा, इससे साबित होता है कि आरुषि की हत्या उमेश के तलवार दंपति के घर जाने और रोजमर्रा के काम निपटाने के लिए भारती के आने के बीच हुई। इस बीच क्या हुआ, यह साबित करने का जिम्मा तलवार दंपति का है।

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