सुपर30 का गोरखधंधा, उगाही में कौन कौन ? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

सुपर30 का गोरखधंधा, उगाही में कौन कौन ?

बिहार का सुपर थर्टी और सुपर थर्टी का आनंद कुमार कोचिंग करके बच्चों को योग्य बनाते हैं मगर क्या ये इसकी हकीकत है. पटना से प्रकाशित आई नेक्स्ट ने इसपर तहकीकात के बाद जो रिपोर्ट प्रसारित किया है के हिसाब से आनद कुमार का सुपर थर्टी एक ऐसा गोरख धंधा है जिसे सरकारी संरक्षण प्राप्त है. देश विदेश में पहचान बनाने वाली सुपर थर्टी के बारे में पटना के छात्र की राय दुनियां की राय से अलग है. हालत यहाँ तक हो गए की संस्थान की एक छात्र मुख्यमंत्री के जनता दरबार में शिकायत लेकर पहुँच गई.

इस पूरी कोशिश में पत्रकारिता के छात्र अभिषेक आनद की स्वतंत्र पत्रकारिता वाकई काबिले तारीफ़ रही जिसने आनद कुमार के असली चेहरे को रौशनी से नहलाया तो वो आरक्षण के कोटे से स्याह हुआ पाया जिसकी बदौलत शत प्रतिशत उत्तीर्णता की गारेंटी दी जाती है.

आई नेक्स्ट के हवाले से जानकारी को साझा करने की आर्यावर्त की कोशिश......

सुपर थर्टी कितना सुपर

आपने आनंद सर के यहां बीच में पढ़ाई क्यूं छोड़ दी?
क्या बताएं, आपको.

नहीं सिर्फ इंफॉर्मेशन लेना चाह रहा था.
कुछ छापिएगा नहीं. आनंद कुमार बहुत बड़े आदमी हैं, समझे. क्या बताएं अब.. जिस आदमी को अमेरिका से कॉल आ रहा है, कभी विदेश जाना है तो कभी मनमोहन सिंह के साथ बैठक करनी है. और तो और मुख्यमंत्री से भी मिलना है. दूसरी तरफ अखबार में भी उनका एक भाग निकालते रहना है. वह आदमी जब इतना व्यस्त रहेगा तो फिर पढ़ाई कहां से करवाएगा.

अच्छा.
बस आनंद कुमार का नाम है. ये अलग बात है कि जब आनंद कुमार एंट्रेंस एग्जाम लेते हैं, तो उनके रोड में आधे किलोमीटर तक फोर व्हीलर्स की लाइन लग जाती है. इसमें ढेरों लाल बत्ती भी शामिल होती हैं.

सुपर थर्टी के एंट्रेंस में लाल बत्ती लगी रहती है?
नहीं, जेनरल बैच को भी पढ़ाते हैं न उसके लिए भी एंट्रेंस लेते हैं. उसमें भी बहुत भीड़ रहती है, उसके लिए भी बच्चों को सेलेक्ट किया जाता है.

यह तो वही पहलू है जो हम देखते हैं. क्या इसके अलावा भी कुछ ऐसी बातें हैं जिसे हम देख नहीं पाते हैं. बताइये, या आप पहले यह बताइये कि आपने छोड़ क्यूं दिया?
हम इसलिए छोड़ दिए क्योंकि हमको कोई फायदा नहीं लगा. होता है न कि हर चीज पढ़ा दिए मगर डीपली कुछ नहीं पढ़ाते हैं. मतलब इतना भी नहीं पढ़ाते हैं कि आईएससी लेवेल की भी पढ़ाई हो.
पर हम तो जानते हैं कि वो बहुत अच्छा पढ़ाते हैं. और आप कह रहे हैं कि इतना भी नहीं पढ़ाते जो आईएससी लेवेल का हो, तो आईआईटी में कैसे सेलेक्ट होते हैं उनके बच्चे?
आप पढ़े हुए हैं उनसे? जो बता रहे हैं कि कितना अच्छा पढ़ाते हैं.

नहीं, पर सुनते हैं, पढ़ते भी हैं. उनके बच्चे आईआईटी एंट्रेंस में स्कोर करते हैं. उनके जो बच्चे पास होते हैं, उन्हें मैथ्स तो वो खुद ही पढ़ाते हैं ना.
उनके जो बच्चे पास होते हैं, उनसे कभी आपने बात की है, अकेले में?

आप उनका कांटैक्ट नंबर दीजिये मैं अभी बात करता हूं.
आपको लगता है कि कांटैक्ट नंबर मिल जाएगा आपको?

कैसे नहीं मिलेगा, क्या बच्चों को छिपाकर रखा जाता है.
नहीं, पर आप एक बात बताइये. हम या आप जिस लोकैलिटी में रहते हैं, वहां कोई न कोई लॉज तो होगा. वहां से कितने परसेंट बच्चे आईआईटी निकालते हैं. अगर एक लॉज से एक परसेंट बच्चे भी आईआईटी नहीं क्लियर कर रहे हैं, तो फिर कैसे आनंद कुमार के तीस में से तीस बच्चे आईआईटी एंट्रेंस में सफल हो रहे हैं. बात दरअसल यह है कि उनके सारे बच्चे एसटी होते हैं, मुश्किल से एक-दो जेनरल होते हैं. दूसरा कारण यह है कि कहने को सब बोलते हैं कि सारे बच्चों का आईआईटी क्लियर हो गया. पर मैक्सिमम बच्चे उसमें से ईएमआर में होते हैं. एसटी होने के बावजूद उनका रैंक देखा जाये तो, उनका एसटी रैंक होता है तकरीबन 4,000 से 5,000 में. ईएमआर यानी एक्सटेंडेड मेरिट लिस्ट जो होती है उसका भी नाम जोड़ के दिखा देते हैं कि हमारे इतने बच्चों का आईआईटी निकला है. वहीं एक और भी रीजन है वो कहते हैं कि तीस बच्चे लेकर तीस बच्चों को पढ़ाते हैं. ऐसा नहीं है. ओवरऑल उनके कोचिंग में करीब डेढ़ सौ बच्चे सुपर थर्टी के नाम पर पढ़ते हैं, उसमें से वे 30 का रिजल्ट दिखा देते हैं. उनको फंड अमेरिका वगैरह हर जगह से मिलता है.

जो 30 या 150 बच्चे पढते हैं उनसे वे किसी रूप में कोई फी नहीं लेते हैं?
हां, पैसा नहीं लेते हैं.

पर एक लड़की पिछले दिनों नीतीश कुमार के जनता दरबार में पहुँच गई, रोने लगी कि मुझे आनंद सर के यहां नहीं पढ़ना है. उनके लोग हमसे पैसा लिए हैं और पैसा मांग रहे हैं.
ऐसा हुआ क्या? हालांकि बात को दबा दिया जाएगा, आनंद कुमार का नीतीश कुमार से अच्छा टैग है.

ऐसी बात नहीं है, आज ही एक अखबार में खबर है कि एक स्टूडेंट यूनियन ने उनसे स्टूडेंट की लिस्ट जारी करने को कहा है?
अरे वो नाम जारी क्या करेंगे, उनसे प्रेस कांफ्रेंस करके बीस सवाल पूछा जायेगा तो अपने आप सारा सच सामने आ जायेगा. एक उदाहरण देता हूं अभी जो मेडिकल के पीटी का जेईई क्लासेज का रिजल्ट निकला है. यह देखिये अखबार में करीब 50 बच्चों का नाम लिखा है. अब नाम सुनिए- अमित पौडर, ये नाम बिहार का नाम है? इसमें ऐसे-ऐसे ही टाइटल दिखेंगे. साफ पता चलता है कि बिहार के नाम नहीं हैं. ऐसा होता है क्या कि बच्चा रहता है राजस्थान या दिल्ली में और पटना आकर तैयारी करे? इसी तरह आनंद कुमार की पूरी धांधली है. क्या-क्या बताएं?

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100 परसेंट रिजल्ट नहीं


प्रश्न - कुछ दिन पहले सीएम के जनता दरबार में खुशबू नामक एक लड़की नीतीश कुमार से मिली. उसने मैथमेटिशियन आनंद कुमार पर कई आरोप लगाया. कहा- मेरा पैसा वापस करा दीजिए. मैं उनसे नहीं पढ़ना चाहती? इस पूरे वाकये पर आपका क्या कहना है? चूंकि आपने वहां पढ़ाई की है.
उत्तर - ऐसा तो है ही, वहां जो लोग हैं ऐसा करते ही हैं. इतना मीडिया पर पकड़ बना हुआ है उनका कि पता नहीं चल पाता.

प्रश्न - असल में पैसा लेने वाली यह रिपोर्ट अखबार में आई है. सुपर थर्टी में आनंद कुमार क्या तीस से ज्यादा बच्चों को पढ़ाते हैं?
उत्तर - पहले आप यह आप कन्फर्म हो लीजिए कि वहां 30 से कहीं ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ते हैं. फिर उसमें जो बच्चे पढ़ते हैं, उसमें गरीब तबके के बहुत कम बच्चे होते हैं.

प्रश्न - आप ऐसा कैसे कह सकते हैं?
उत्तर - उनकी वेशभूषा व पहनावा से यह पता चल ही जाता है.

प्रश्न - तीस से कितने ज्यादा बच्चों को पढ़ाते होंगे? आपने बैच को पढ़ते हुए देखा होगा?
उत्तर - लगभग 100 के आसपास बच्चे होंगे.

प्रश्न - ज्यादातर बच्चे एसटी के होते हैं?
उत्तर - हां, लगते तो ऐसे ही हैं.

प्रश्न - और उनके सिस्टम में आप क्या खामियां पाते हैं?
उत्तर - बहुत-सी खामियां नजर आती हैं. जैसे बोलते हैं कि कुछ अलग करके पढ़ाना चाहते हैं, लेकिन वैसा करते नहीं. जितना बोलते हैं उतना कर नहीं पाते. कभी सीएम से मिलने जा रहे हैं, तो कभी पीएम से मिलने जा रहे हैं.

प्रश्न - तो इससे क्लास डिस्टर्ब होता है?
उत्तर - क्लास तो डिस्टर्ब होगा ही ना. कभी यूएसए जा रहे हैं और कभी कहीं और. देखिए, और एक बात यह कि उनका कि पढ़ाने का कोई खास स्टैण्डर्ड नहीं हैं. लड़के लोग पैसा लगाकर एक उत्साह के साथ जाते हैं, लेकिन लौटते हैं मायूस होकर.

प्रश्न - ऐसा तो बाकी जगहों पर भी होता होगा?
उत्तर - हां, कमोबेश पटना का यही हाल है.

प्रश्न - लेकिन, मीडिया में उनकी जो बात आती है, उसमें कहा जाता है कि 30 में 30 बच्चों ने आईआईटी निकाला. आप दो साल पढ़े हैं, उन लड़कों से कभी मिले हैं?
उत्तर - जो फाउन्डेशन बैच से हैं, उन्हें उन लड़कों से मिलवाते नहीं हैं. वैसे लड़कों को अपने होस्टल में रखते हैं. बोलते हैं कि आप लोगों को मिलवाएंगे, लेकिन ऐसा कभी होता नहीं है. एक बात तो जरूर कह सकते हैं कि वहां पर नाम के अनुसार काम नहीं होता है.

प्रश्न - तो आप क्या चाहते हैं?
उत्तर - हमलोग तो सिर्फ यही चाहते हैं कि क्लास ठीक से चले. मीडिया में इतना जो रहना चाहते हैं उनसे हटके रहना चाहिए. पढ़ाई पर ज्यादा फोकस करना चाहिए.

प्रश्न - तो आपको वे किस चीज पर फोकस करते दिखते हैं?
उत्तर - बस, यही सब कि आज यहां गए थे. आज उनसे मिलने गए थे. ये ऐसे बोले, वो ऐसे बोले.

प्रश्न - जो सुपर 30 के बच्चे निकलते हैं उनके मैथ की जिम्मेवारी तो उनकी ही होती हैं न? वे पढ़ाने में बेहतर तो होंगे ही न. भले ही आप लोगों को समय नहीं दे पाते हों?
उत्तर - यह बात तो सही है कि उनमें टैलेंट तो है. लेकिन वह टैलेंट अब पढाई के लिए नहीं रह गया है.

प्रश्न - फी कितना लिये थे.
उत्तर - टारगेट बैच में 10000 लिये थे. इसमें फिजिक्स व मैथ, दोनों की पढ़ाई होती थी और फाउन्डेशन में 6000 रुपए लिये गए थे.

प्रश्न - क्या फी रिटर्न का भी कोई रूल है?
उत्तर - नहीं, पैसा रिटर्न नहीं होता.



साभार :- आई नेक्स्ट

3 टिप्‍पणियां:

pranay ने कहा…

main bas ye puchna chahta hoon ki jin bacho ne ye saari baat aapko batayi hai wo jarur samajhdaar aur akalmand honge .. to unka iit nahi to aieee to jarur hi nikla hoga .. kya aap mujhe ye bata sakte hai ki ye dono student abhi kya kar rahe hai ... apne me dosh koi nahi dekhta hai bas dusro ki galti hi dhundhte hai sab .. main ye nahi kah raha hoon ki anand sir aisa nahi karte honge .. ho sakta hai aisa hua hoga dono k saath .. lekin mera prasn bas ye hai ki jab aap jaante the ki aisa ho raha hoga to aapko unke bharose nahi rahna chahiye aur khud hi mehnat karke iit nikal lena chahiye .....

ANIL KUMAR ने कहा…

first thing is publish any news with sufficient proofs, as media has responsibility to produce only truth nothing else and give logical information needed to know and ask the students why he is telling all these and what is the reason to do it, as there could be that its truth and may be that he could not be able to understand the subject in the class and intentionally he wants to do it.

बेनामी ने कहा…

tippni par dhyan degea .....alochna kisi ko bhi achcha banati hai ....or rahi bat kya iit ya aiee nikalne wale bachchi hi akalmand hote hai ...? anand kumar achcha kam kar rahe hain par kanhi kuch garbar hai to use sudharna chahea ....